विजयनगर साम्राज्य का सम्पूर्ण इतिहास

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-: Vijayanagar Empire :-

विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत का एक महान हिंदू साम्राज्य था, जिसकी स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। इस साम्राज्य ने लगभग 230 वर्षों तक दक्षिण भारत पर शासन किया और कला, संस्कृति, व्यापार एवं प्रशासन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया।

स्थापना (1336 ई.)

स्थिति: यह साम्राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित था और वर्तमान कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बड़े हिस्सों में फैला हुआ था।

संस्थापक: संगम वंश के दो भाई हरिहर और बुक्का (जो पहले काकतीय वंश और फिर दिल्ली सल्तनत के अधीन थे) ने संत विद्यारण्य के मार्गदर्शन में इस साम्राज्य की स्थापना की।

प्रमुख उद्देश्य:

  1. दक्षिण भारत को दिल्ली सल्तनत के आक्रमणों से बचाना।

  2. हिंदू धर्म और संस्कृति को संरक्षित करना।

  3. दक्षिण भारत में एक मजबूत राज्य स्थापित करना।

शासन एवं प्रशासन

विजयनगर साम्राज्य का प्रशासन बहुत संगठित था और इसमें विभिन्न विभागों की व्यवस्था थी।

1. राजा और दरबार

  • राजा को सर्वशक्तिमान माना जाता था, लेकिन वह मंत्रियों और अधिकारियों की सहायता से शासन करता था।

  • प्रशासन के संचालन के लिए विभिन्न विभाग थे, जैसे कि वित्त, सैन्य, न्याय, और धार्मिक कार्य।

2. प्रांतीय प्रशासन

  • साम्राज्य को प्रांतों में विभाजित किया गया था, जिन्हें नायकों (स्थानीय प्रशासकों) द्वारा शासित किया जाता था।

  • नायक स्थानीय कर वसूलते थे और सेना का प्रबंधन करते थे।

3. न्याय व्यवस्था

  • हिंदू धर्मशास्त्रों के आधार पर न्याय किया जाता था।

  • अपराधों के लिए कड़े दंड दिए जाते थे।

4. सेना

  • विजयनगर की सेना बहुत शक्तिशाली थी, जिसमें पैदल सैनिक, घुड़सवार, हाथी सेना, और नौसेना शामिल थे।

  • सेना में विदेशी बंदूकों और तोपों का भी उपयोग किया जाता था।

विजयनगर साम्राज्य के प्रमुख वंश

विजयनगर साम्राज्य चार प्रमुख राजवंशों द्वारा शासित था:

1. संगम वंश (1336-1485 ई.)

  • हरिहर प्रथम (1336-1356 ई.) – साम्राज्य के पहले शासक।

  • बुक्का प्रथम (1356-1377 ई.) – विजयनगर को मजबूत किया।

  • देवराय प्रथम (1406-1422 ई.) – फारसी घुड़सवारों को सेना में शामिल किया।

  • देवराय द्वितीय (1422-1446 ई.) – सेना और प्रशासन को संगठित किया।

2. सालुव वंश (1485-1505 ई.)

  • नरसिंह सालुव ने सत्ता हथिया ली और नए वंश की स्थापना की।

  • इस वंश का शासन कमजोर रहा।

3. तुलुव वंश (1505-1570 ई.)

  • कृष्णदेवराय (1509-1529 ई.) – विजयनगर का सबसे महान शासक।

  • उन्होंने बहमनी सल्तनत और ओडिशा के गजपति शासकों को हराया।

  • उनके शासनकाल में तेलुगु, संस्कृत, कन्नड़, और तमिल साहित्य का विकास हुआ।

  • “अमुक्तमाल्यद” नामक ग्रंथ की रचना की।

4. अरविदु वंश (1570-1646 ई.)

  • रामा राय इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।

  • 1565 ई. में तालिकोटा की लड़ाई में विजयनगर को बहमनी सुल्तानों से हार का सामना करना पड़ा।

  • इसके बाद साम्राज्य कमजोर होता चला गया।

महत्वपूर्ण युद्ध एवं संघर्ष

1. बहमनी सल्तनत के साथ संघर्ष

  • विजयनगर और बहमनी सल्तनत के बीच अक्सर संघर्ष होते रहते थे, खासकर कृष्णा और तुंगभद्रा नदी क्षेत्रों को लेकर।

  • देवराय प्रथम और द्वितीय ने बहमनी सल्तनत से कई युद्ध लड़े।

2. तालिकोटा का युद्ध (1565 ई.)

  • विजयनगर बनाम दक्कन सुल्तानates (गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर, बीदर और बरार)।

  • इस युद्ध में विजयनगर के शासक रामा राय की हार हुई।

  • युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य तेजी से कमजोर हो गया।

विजयनगर साम्राज्य की कला और संस्कृति

1. स्थापत्य कला

  • विजयनगर की राजधानी “हम्पी” अपने भव्य मंदिरों, महलों और किलों के लिए प्रसिद्ध थी।

  • विरुपाक्ष मंदिर, विट्ठल मंदिर, हजारा राम मंदिर, लेपाक्षी मंदिर इसकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

2. साहित्य और भाषा

  • संस्कृत, कन्नड़, तमिल और तेलुगु साहित्य का विकास हुआ।

  • कृष्णदेवराय की “अमुक्तमाल्यद” एक प्रसिद्ध कृति है।

3. संगीत और नृत्य

  • कर्नाटक संगीत का विशेष रूप से विकास हुआ।

  • भरतनाट्यम और कथक जैसे शास्त्रीय नृत्य प्रचलित थे।

विजयनगर साम्राज्य का पतन

  • 1565 में तालिकोटा के युद्ध के बाद साम्राज्य कमजोर हो गया।

  • राजधानी हम्पी को लूटकर नष्ट कर दिया गया।

  • 17वीं शताब्दी तक यह साम्राज्य पूरी तरह समाप्त हो गया।

विरासत और प्रभाव

  • विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारतीय संस्कृति, कला, और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

  • हम्पी आज भी एक विश्व धरोहर स्थल है।

  • इस साम्राज्य ने हिंदू धर्म और परंपराओं को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विजयनगर साम्राज्य का सम्पूर्ण विश्लेषण

हमने पहले विजयनगर साम्राज्य की स्थापना, प्रमुख राजवंशों, शासन प्रणाली, युद्धों और सांस्कृतिक योगदान के बारे में चर्चा की। अब, हम इसके अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे आर्थिक व्यवस्था, व्यापार, धार्मिक नीतियाँ, सैन्य रणनीति और पतन के बाद के प्रभावों का गहन अध्ययन करेंगे।

1. विजयनगर साम्राज्य की आर्थिक व्यवस्था और व्यापार

कृषि और कर प्रणाली

  • कृषि इस साम्राज्य की रीढ़ थी।

  • चावल, गन्ना, कपास, सुपारी, मसाले, और दालों की खेती होती थी।

  • कर प्रणाली संगठित थी, जिसमें किसानों से उत्पादन का हिस्सा कर के रूप में लिया जाता था।

व्यापार और वाणिज्य

विजयनगर दक्षिण भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र था।

  • प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ: मसाले, कपड़ा, रत्न, हाथी दांत, घोड़े और चावल।

  • विदेशों से अरब, फारस, चीन, यूरोप, और दक्षिण-पूर्व एशिया के व्यापारी आते थे।

  • बंदरगाह: गोवा, बारकूर, हंवाड़ा, और नालगोंडा।

सिक्का प्रणाली

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  • तांबा, चांदी और सोने के सिक्कों का प्रचलन था।

  • ‘पगोडा’ (Pagoda) नामक स्वर्ण मुद्रा सर्वाधिक प्रचलित थी।

2. विजयनगर की धार्मिक नीति और मंदिर निर्माण

धार्मिक सहिष्णुता

  • विजयनगर साम्राज्य हिंदू धर्म का रक्षक था, लेकिन इस्लाम और जैन धर्म के प्रति भी सहिष्णु था।

  • विभिन्न मंदिरों का निर्माण किया गया।

  • मुस्लिम व्यापारियों और सूफियों को भी संरक्षण दिया गया।

प्रमुख मंदिर और स्थापत्य कला

विजयनगर स्थापत्य कला अद्वितीय थी।

  • विरुपाक्ष मंदिर (हम्पी) – विजयनगर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक।

  • विट्ठल मंदिर – इसमें अद्भुत पत्थर का रथ और संगीत स्तंभ हैं।

  • हजारा राम मंदिर – इसमें रामायण के दृश्य उकेरे गए हैं।

  • लेपाक्षी मंदिर – ‘हैंगिंग पिलर’ के लिए प्रसिद्ध।

मठ और संत परंपरा

  • संत विद्यारण्य विजयनगर के आध्यात्मिक गुरु थे।

  • संत पुरुषोत्तम, कनकदास और वैष्णव भक्तों का भी इस काल में योगदान था।

3. विजयनगर की सैन्य शक्ति और युद्ध रणनीति

विजयनगर की सेना दक्षिण भारत की सबसे शक्तिशाली सेना थी।

सैन्य संरचना

  1. स्थायी सेना – राजा के नियंत्रण में रहती थी।

  2. नायक प्रणाली – क्षेत्रीय शासकों को अपनी सेना रखने की अनुमति थी।

  3. विदेशी हथियारों का प्रयोग – तुर्की और फारसी तोपों का प्रयोग किया जाता था।

मुख्य युद्ध रणनीतियाँ

  • घुड़सवार सेना को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता था।

  • किलों और जल संरक्षण प्रणाली का निर्माण किया गया।

  • सेना में अरबों और अफगानों को भी भर्ती किया जाता था।

4. विजयनगर साम्राज्य का पतन और उसके बाद के प्रभाव

तालिकोटा का युद्ध (1565 ई.)

  • यह विजयनगर साम्राज्य के लिए निर्णायक युद्ध था।

  • दक्कन के पांच मुस्लिम सुल्तान – गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर, बीदर और बरार ने विजयनगर पर संयुक्त आक्रमण किया।

  • रामा राय पराजित हुए और हम्पी को नष्ट कर दिया गया।

पतन के कारण

  1. क्षेत्रीय नायकों की बढ़ती शक्ति।

  2. लगातार युद्धों से कमजोर अर्थव्यवस्था।

  3. सेना में विदेशी सैनिकों की अधिक निर्भरता।

  4. मुस्लिम सुल्तानों से लगातार संघर्ष।

पतन के बाद क्या हुआ?

  • अरविदु वंश के कुछ शासक 1646 तक बचे रहे।

  • विजयनगर के पतन के बाद बीजापुर और गोलकुंडा शक्तिशाली हो गए।

  • मैसूर, मदुरै और तंजावुर जैसे छोटे हिंदू राज्य उभरकर आए।

  • मराठाओं ने बाद में विजयनगर की शक्ति को पुनः जीवित करने की कोशिश की।

5. विजयनगर साम्राज्य की ऐतिहासिक विरासत

1. हम्पी – विश्व धरोहर स्थल

  • हम्पी के खंडहर आज भी विजयनगर की भव्यता को दर्शाते हैं।

  • यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।

2. सांस्कृतिक प्रभाव

  • कर्नाटक संगीत का विकास विजयनगर काल में हुआ।

  • तेलुगु साहित्य और कन्नड़ साहित्य को प्रोत्साहन मिला।

3. प्रशासनिक विरासत

  • ‘नायक प्रणाली’ बाद में मराठा शासन में भी अपनाई गई।

  • नगर नियोजन और जल प्रबंधन प्रणाली आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है।

विजयनगर साम्राज्य का सम्पूर्ण विस्तृत अध्ययन

हम पहले ही विजयनगर साम्राज्य के इतिहास, प्रशासन, आर्थिक व्यवस्था, सैन्य शक्ति, कला-संस्कृति और पतन के बारे में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं। अब हम इसके गहरे पहलुओं का विश्लेषण करेंगे:

  1. नायक प्रणाली

  2. विजयनगर और मराठाओं के संबंध

  3. जल प्रबंधन और वास्तुकला

  4. सामाजिक संरचना और जाति व्यवस्था

  5. विदेशी संबंध और यूरोपीय व्यापारियों का प्रभाव

  6. पतन के बाद दक्षिण भारत के राजनीतिक परिवर्तन और आधुनिक प्रभाव

1. नायक प्रणाली – विजयनगर की प्रशासनिक रीढ़

विजयनगर साम्राज्य ने एक अनूठी “नायक प्रणाली” अपनाई थी, जो साम्राज्य के सुचारू संचालन और सैन्य मजबूती के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी।

नायक प्रणाली क्या थी?

  • यह एक सामंती व्यवस्था थी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों को नायकों (स्थानीय शासकों) के अधीन रखा गया था।

  • नायक राजा के प्रति निष्ठा रखते थे और बदले में उन्हें अपने क्षेत्र पर शासन करने का अधिकार मिलता था।

  • नायकों को स्थानीय कर वसूलने, सेना तैयार करने और राजा को सहायता देने की जिम्मेदारी दी गई थी।

मुख्य नायक राज्य

  1. चंद्रगिरी नायक (आंध्र प्रदेश)

  2. तंजावुर नायक (तमिलनाडु)

  3. मदुरै नायक (तमिलनाडु)

  4. मैसूर नायक (कर्नाटक)

नायक प्रणाली के लाभ

  • बड़े साम्राज्य को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिली।

  • स्थानीय प्रशासन मजबूत हुआ।

  • सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक स्थायी सैन्य प्रणाली बनी।

पतन के बाद नायकों की भूमिका

  • विजयनगर के पतन के बाद ये नायक स्वतंत्र हो गए और मैसूर, मदुरै, तंजावुर जैसे राज्य उभरकर आए।

  • नायक प्रणाली बाद में मराठाओं और ब्रिटिश शासन में भी अपनाई गई।

2. विजयनगर और मराठाओं के संबंध

विजयनगर साम्राज्य और मराठाओं के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध थे।

मराठा-पूर्व काल (1500-1646)

  • मराठाओं के उदय से पहले विजयनगर दक्षिण भारत की प्रमुख शक्ति थी।

  • विजयनगर ने कई मराठा सरदारों को अपनी सेना में शामिल किया।

मराठाओं का प्रभाव (1646 के बाद)

  • विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण भारत में मराठाओं का प्रभाव बढ़ा।

  • शिवाजी ने दक्षिण भारतीय राज्यों (तंजावुर, मैसूर) के नायकों के साथ संबंध बनाए।

  • मराठाओं ने मुस्लिम सुल्तानों के विरुद्ध लड़ाई में विजयनगर के शासकों की नीतियों को अपनाया।

3. विजयनगर का जल प्रबंधन और वास्तुकला

जल प्रबंधन प्रणाली

विजयनगर की जल प्रबंधन प्रणाली अद्वितीय थी।

  • कुंड और तालाब: हम्पी और अन्य क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए विशाल कुंड बनाए गए।

  • केंद्रित जल वितरण: प्रमुख नगरों में पाइपलाइन व्यवस्था थी।

  • नहरें और बांध: तुंगभद्रा नदी पर कई बांध बनाए गए।

मुख्य वास्तुकला

विजयनगर की स्थापत्य कला हिंदू, इस्लामिक और द्रविड़ शैलियों का मिश्रण थी।

  1. हंपी का विट्ठल मंदिर – इसके पत्थर के रथ और संगीतमय स्तंभ विश्व प्रसिद्ध हैं।

  2. हजारा राम मंदिर – इसमें रामायण की कहानियाँ उकेरी गई हैं।

  3. लोटस महल – इसमें हिंदू और इस्लामिक स्थापत्य का मिश्रण दिखता है।

4. सामाजिक संरचना और जाति व्यवस्था

सामाजिक संरचना

  • समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र में विभाजित था।

  • ब्राह्मणों को प्रशासन और धार्मिक मामलों में उच्च स्थान प्राप्त था।

  • क्षत्रिय शासक, योद्धा और सेनापति थे।

  • व्यापारी वर्ग (वैश्य) बहुत समृद्ध था।

  • शूद्र कृषि और शिल्प उद्योग से जुड़े थे।

महिला स्थिति

  • महिलाओं को शिक्षा और कला में भाग लेने की अनुमति थी।

  • रानी चिन्नादेवी जैसी महिलाएँ प्रशासन में भूमिका निभाती थीं।

  • लेकिन सती प्रथा और बाल विवाह जैसी प्रथाएँ भी प्रचलित थीं।

5. विजयनगर के विदेशी संबंध और यूरोपीय व्यापारियों का प्रभाव

अरब और फारसी व्यापारी

  • मसाले, हाथी, रत्न और घोड़ों का व्यापार फारस और अरब व्यापारियों के साथ होता था।

  • मुस्लिम व्यापारियों को भी व्यापार करने की छूट दी गई थी।

यूरोपीय प्रभाव

  • 15वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने गोवा और कोच्चि में व्यापारिक केंद्र स्थापित किए।

  • विजयनगर ने पुर्तगालियों से आधुनिक तोपें और बंदूकें खरीदीं।

  • यूरोपीय व्यापारी विजयनगर के कपास, मसाले और चावल का व्यापार करते थे।

6. विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण भारत में राजनीतिक परिवर्तन

1565 के बाद का परिदृश्य

  1. बीजापुर और गोलकुंडा का प्रभुत्व

    • विजयनगर के पतन के बाद, बीजापुर और गोलकुंडा शक्तिशाली हो गए।

  2. नायक राज्यों का उदय

    • तंजावुर, मदुरै, और मैसूर स्वतंत्र राज्य बन गए।

  3. मराठा शक्ति का उदय

    • शिवाजी और मराठाओं ने दक्षिण भारत में मुगलों और बीजापुर के खिलाफ युद्ध किया।

  4. ब्रिटिश और फ्रेंच हस्तक्षेप

    • 17वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियाँ (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) दक्षिण भारत में प्रभावी हो गईं।

आधुनिक प्रभाव

  • विजयनगर की कला, स्थापत्य और प्रशासनिक प्रणाली को दक्षिण भारत के विभिन्न शासकों (मराठा, मैसूर) ने अपनाया।

  • आज भी हम्पी विजयनगर की विरासत का प्रतीक है और यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित है।

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