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गोण्ड जनजातीय करमा/सैला नृत्य दल श्री महाकालेश्वर भगवान की पाचवी सवारी में सम्मिलित होंगे

Ujjain Mahakal Sawari

-: Ujjain Mahakal Sawari :-

श्री महाकालेश्वर भगवान की पांचवी सोमवार की सवारी में भी मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा।

19 अगस्त को गोण्ड जनजातीय करमा/ सैला नृत्य दल श्री प्रताप सिंह दूर्वे के नेतृत्व में श्री महाकालेश्वर भगवान की पाचवी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। आदिवासी गोण्ड जनजाति का सैला करमा नृत्य कर्म की प्रेरणा देना वाला नृत्य है। दल के प्रमुख श्री प्रताप सिंह धुर्वे ने बताया कि, आदिवासी गोड़ जनजाति का मैला करमा नृत्य कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है।

ग्राम वासियो में श्रम का महत्व है, श्रम को ही कर्मदेवता के रूप में मानते है। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्मपूजा का उत्सव मनाया जाता है। उसमें करमा नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में युवक-युवतियाँ दोनों भाग लेते है और उनके बीच गीत रचना होड़ लग जाती है। यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधियों के बीच विकसित होता है। यही कारण है कि करमा गीतों मे स्थिति के बहुत विविधता है।

उसमे रोजमर्रा की जीवन शैली के साथ प्रेम का गहरा सूक्ष्म भाव भी अभिव्यक्त होता है। मध्यप्रदेश में सैला करमा नृत्य गीत का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। इस नृत्य में मादर, टिमकी, बासुरी मजीरा, चटकोला बजाया जाता है। और पुरुष के हाथो मे सवा हाथो का डण्डा मोरपंख रखकर के नृत्य किया जाता है। सुदूर छत्तीसगढ़ से मंडल के गौंड और बैगा जनजातियों तक इसका विस्तार मिलता है।

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