-: That Depth Of The Ocean :-
हम सब जानते हैं कि समुद्र बेहद विशाल होता है यहां दूर-दूर तक पानी ही पानी दिखाई देता है और धरती का अधिकतर हिस्सा महासागरों से ही ढका हुआ है पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह समुद्र कितना गहरा होगा डीप दी ओशन पर बहुत कम लोग इसका जवाब जानते हैं अगर एक लाइन में बताना हो तो हम यही कहेंगे कि समुद्र बहुत गहरा है इस बहुत का अंदाजा लगाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है क्योंकि समुद्र इंसान की सोच से भी ज्यादा गहरा है।
द कन्वर्सेशन वेबसाइट के अनुसार 500 साल पहले से ही कई नाविक समुद्र के बारे में जानने के लिए यात्रा पर जाते रहे हैं मगर उन्हें लंबे वक्त तक इसका सही पता नहीं चल पाया आमतौर पर लोग तालाब या स्विमिंग पूल की गहराई नापने के लिए एक लंबी डोरी उसके पानी में डालते हैं और डोरी का जितना हिस्सा भीग जाता है।
उससे अंदाजा लगाया जाता है कि तालाब या पूल कितना गहरा है मगर समुद्र के लिए यह नियम बिल्कुल भी लागू नहीं होता आपने कई ऐसी फिल्में देखी होंगी जिसमें लोग समुद्र के अंदर डूब जाते हैं। कई फिल्मों में लोग स्कूबा डाइविंग करने भी पानी के अंदर जाते हैं मगर हर बार यह सवाल मन में जरूर आता है कि समुद्र का बेस कितना नीचे होगा।
सबसे पहले हम समुद्र की गहराई को जानने के लिए इसके सतह से शुरुआत करते हैं। सतह के अंदर 40 मीटर की गहराई तक आमतौर पर लोग स्कूबा डाइविंग कर सकते हैं पर इसके आगे 93 मीटर की गहराई पर फेमस ब्रिटिश पेनिस के थोड़े से आगे 100 मीटर की गहराई ड्राइवर्स के लिए खतरनाक साबित होती है क्योंकि यहां पर पानी का प्रेशर इतना ज्यादा होता है कि उसमें उनकी बॉडी के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं लेकिन ऑस्ट्रिया के मशहूर फ्री डाइवर निशि इकलौते इंसान हैंजिन्होंने 21144 मीटर की गहराई तक डाइव करके वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था और यह पूरा रिकॉर्ड उन्होंने सिर्फ एक सांस में बनाया था।
इस रिकॉर्ड की वजह से आज दुनिया इनको द दीपेस्ट मैन ऑन द अर्थ के नाम से जानती है लेकिन इनका यह रिकॉर्ड ज्यादा समय तक नहीं रहा इजिप्ट के रहने वाले अहमद गबर ने 332 मीटर की गहराई में स्कूबा डाइविंग करके वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया और अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया अगर अहमद भाई और 111 मीटर की गहराई तक जाते तो इसकी गहराई तकरीबन 443 मीटर हो जाती और अगर आपको ना पता हो तो बता दें कि न्यूयॉर्क में स्थित एंपायर स्टेट बिल्डिंग जिसकी ऊंचाई 443 मीटर है।
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इससे थोड़ा और 500 मीटर की गहराई तक जाएं तो यह वह लेवल है जहां पर दुनिया का सबसे बड़ा जीव यानी कि ब्लू वहेल तैर सकती है ब्लू वहेल का वजन 150000 किग्रा होता है और ब्लू वहेल ही ऐसी जीव है जो समुद्र में 500 मीटर तक की डाइव लगाकर इस लेवल तक जा सकती है अमेरिकन नेवी की सीवोल्फ सबमरीन जो कि एडवांस न्यूक्लियर सबमरीन है वह भी 500 मीटर से ज्यादा गहराई तक नहीं जा सकती और यहां से आगे 535 मीटर की गहराई पर पानी का प्रेशर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि इंसान उसे सहन नहीं कर पाएगा।
ऐसा लगेगा कि उसके ऊपर एक बड़ा सा सैंडविच गिर पड़ा हो लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि समुद्र की इतनी गहराई में भी ऐसे कई जीव पाए जाते हैं जो यहां भी तैर सकते हैं एंपरर पेंग्विन ऐसा जीव है जो कि इतना प्रेशर भी बर्दाश्त कर सकता है और आप आराम से उसमें डाइव लगा सकता है इसके और नीचे जाएं तो यानी 830 मीटर की गहराई तक दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बर्ज खलीफा का टॉप पाया जाएगा अगर उसको उल्टा करके समुद्र में डाला जाए।
आप समझ सकते हैं कि यह कितना गहरा है और यह समुद्र का वह पॉइंट है जहां तक सूरज की रोशनी पहुंच सकती है यहां से नीचे करीब 1000 मीटर की गहराई के विस्तार को स्क्रीन जॉन के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसके आगे सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती यानी कि पूरा अंधेरा होता है और यहां किसी इंसान का जाना पूरी तरह से ना मुमकिन है क्योंकि इस जगह बाहर पानी का प्रेशर 10500 साई हो जाता है लेकिन यहां भी ऐसे कई जीव हैं जो इस स्क्रीन जन में पाए जाते हैं जो कि जॉइंट्स स्क्विड नाम से जाना जाता है जो कि इस खतरनाक जगह पर रहते हैं।
इसके थोड़े नीचे यानी 10280 मीटर की गहराई पर समुद्री कछुए पाए जाते हैं जिनको लेदर बैग सीड टोटल यानी लेदर बैग कछुए के नाम से जाना जाता है यह दुनिया में मौजूद सभी समुद्री कछुओं के मुकाबले बहुत बड़े होते हैं और इनका वजन करीब 700 किलोग्राम तक होता है इससे भी और नीचे यानी 2000 मीटर की गहराई में कई तरह के रोचक समुद्री जीव पाए जाते हैं।
यहां पर एक ऐसी मछली भी पाई जाती है जिसको कुदरत ने टॉर्च दे रखी है इसे लाइट फिश के नाम से जान जाता है इसके ऊपर लगे टॉर्च के कारण इतने अंधेरे में भी इसे रास्ता देखने और शिकार करने में मदद मिलती है थोड़ा और आगे यानी 2250 मीटर की गहराई पर हमें स्पर्म वेल और कोलोस स्क्विड नाम की खतरनाक जीव जातियां पाई जाती हैं।
कोलोस स्क्विड का वजन 750 किग्रा होता है और यह 14 मीटर तक लंबी होती है और इनकी एक आंख खाने की प्लेट जितनी बड़ी होती है इनकी बा में तेज धारदार दांत लगे होते हैं जिनसे यह अपने शिकार को जकड़ कर मार सकती है इससे भी अधिक गहराई यानी 3800 मीटर पर फेमस जहाज जिसे टाइटेनिक के नाम से जाना जाता था उसका मलबा मौजूद है यह तो बस शुरुआत है इससे 200 मीटर और गहराई पर यानी 4000 मीटर पर समुद्र का प्रेशर करीब 11000 साई जितना होता है।
यानी कि 10 के सिक्के पर एक बड़े से हाथी का खड़ा होना और हैरानी की बात तो यह है कि यहां पर भी वाइपर फिश नाम की अजीबोगरीब प्रजाति पाई जाती है इससे भी 2000 मीटर यानी कि 6000 मीटर की गहराई पर हेडल जॉन शुरू होता है इस जॉन में पानी का प्रेशर समुद्र की सतह के मुकाबले हजार गुना ज्यादा हो जाता है यानी कि वाटर प्रेशर इतना ज्यादा हो जाता है कि वह एक नॉर्मल बुलेट प्रूफ कार को एक ही झटके में फाड़ सकता है।
अगर इससे भी 2500 मीटर और अधिक यानी कि 8800 मीटर की गहराई पर जाएं तो पानी का दबाव बहुत ज्यादा हो जाता है और अगर विश्व की सबसे ऊंची छोटी माउंट एवरेस्ट को उल्टा करके इसमें डुबोया जाए तो वह भी पूरा का पूरा इसमें डूब सकता है आप समझ सकते हैं कि यह कितना गहरा होगा लेकिन इन समुद्री गहराइयों का अंत अभी भी नहीं हुआ है इन महासागरों में और नीचे जाएं तो करीब 1097 2 मीटर की गहराई होती है जितना कि एक हवाई जहा जहाज आसमान में उड़ता है।
हवाई जहाज की विंडो सीट पर बैठने पर जब आप नीचे देखते हैं और जो फीलिंग आती है बस उतना ही हिस्सा समुद्र के नीचे भी है यानी कि समुद्र 1097 मीटर से भी गहरा है 11 किलोमीटर गहराई वाले इन क्षेत्रों में भी विभिन्न प्रकार के समुद्री जीव जातियां पाई जाती हैं आप जानते हैं मारियाना ट्रेंच के बारे में जो कि समुद्र में सबसे खतरनाक और सबसे गहरा हिस्सा माना जाता है यह 11 324 मीटर यानी कि लगभग 11 किलोमीटर गहरा है।
यहां का दबाव सतह से 26 गुना ज्यादा है इतना तेज कि यह मनुष्य के फेफड़ों को आराम से फाड़ सकता है इसलिए व्यक्ति नीचे नहीं जा पाता रिटायर्ड लेफ्टिनेंट डॉन वॉल्श और उनके स्विस सहकर्मी जैक पिकार्ड सन 1960 में मारियाना ट्रेंच तक पहुंचने के लिए एक सबमरीन में करीब 10790 मीटर की गहराई तक गए थे साल दो 2012 में कनाडा के फिल्म निर्माता जेम्स कैमरन एक सबमरीन में सोलो ट्रिप पर इस गहराई तक पहुंचने के लिए 10889 मीटर तक नीचे गए थे।
उन्हें इसके लिए सबमरीन बनाने में 7 साल का समय लगा था अब तक इंसान समुद्र में 3575 6 फीट की गहराई तक ही पहुंच पाया है मारियाना ट्रेंच में पहुंचे वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की गहराई में ऐसी प्रजातियां हो सकती हैं जो अभी तक खोजी भी नहीं गई हैं और यह समुद्री भाग इतना विशाल है कि अभी तक इसके केवल 10 से 15 प्र हिस्से ही खोजे जा सके हैं तो आप समझ गए होंगे कि समुद्र कितना गहरा है।
अब समझते हैं समुद्र की गहराई आखिर कैसे नापी जाती है समुद्र की गहराई नापने के लिए ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है पानी के जहाज पर एक मशीन लगी होती है जो अल्ट्रासोनिक तरंगे पैदा करती हैं इस यंत्र का नाम इको साउंड होता है इसका प्रयोग महासागरों की गहराई नापने के लिए किया जाता है यह एक गहराई नापने का यंत्र है जो ध्वनि तरंगों के चलने में लगे समय का काउंट करके जल की गहराई झांत करता है।
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