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-: Summer Season Crops :-
गर्मी के मौसम में कुछ फसलें ऐसी होती हैं जो न केवल इस मौसम में अच्छी तरह से उगाई जाती हैं, बल्कि स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी होती हैं। यहां प्रमुख गर्मी की फसलें दी गई हैं जो इस मौसम में उगाई जाती हैं:
1. भिंडी (Lady Finger / Okra)
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लाभ: इसमें फाइबर, विटामिन C और फोलेट की भरपूर मात्रा होती है। यह पाचन में मदद करती है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है।
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उगाने का समय: मार्च से जून के बीच।
2. ककड़ी (Cucumber)
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लाभ: इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर को ठंडक देती है। यह डिहाइड्रेशन से बचाती है।
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उगाने का समय: अप्रैल से जुलाई तक।
3. तरबूज (Watermelon)
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लाभ: गर्मी में शरीर को ठंडक देने वाली और पानी की कमी को पूरा करने वाली फल फसल। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं।
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उगाने का समय: फरवरी के अंत से अप्रैल तक।
4. टमाटर (Tomato)
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लाभ: इसमें विटामिन A, C और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह गर्मियों में सलाद व अन्य व्यंजनों में खूब उपयोग होता है।
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उगाने का समय: फरवरी से जून के बीच।
5. लोकी (Bottle Gourd)
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लाभ: यह पचने में हल्की होती है और शरीर को ठंडक देती है। यह उच्च रक्तचाप और वजन घटाने में भी सहायक होती है।
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उगाने का समय: मार्च से जून तक।
यहाँ उन पाँच फसलों के बाद कुछ और लाभकारी गर्मी की फसलें हैं जो न केवल मौसम के अनुकूल हैं, बल्कि पोषण और आर्थिक दृष्टि से भी बेहद फायदेमंद हैं:
6. मूँग (Green Gram)
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लाभ: मूँग दाल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। यह मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है क्योंकि यह नाइट्रोजन को फिक्स करती है।
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उगाने का समय: मार्च से मई के बीच।
7. बैंगन (Brinjal / Eggplant)
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लाभ: यह आयरन और फाइबर से भरपूर होता है। गर्मियों में इसकी खेती बहुत फायदेमंद होती है।
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उगाने का समय: मार्च से जून।
8. मिर्च (Chili)
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लाभ: इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। यह गर्मियों में अच्छा उत्पादन देती है और व्यापारिक दृष्टि से भी लाभकारी है।
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उगाने का समय: फरवरी से अप्रैल।
9. नारियल (Coconut) – तटीय क्षेत्रों में
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लाभ: नारियल पानी गर्मी में शरीर को ठंडा रखता है। नारियल तेल और अन्य उत्पादों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
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उगाने का समय: वर्षभर, लेकिन गर्मी में अच्छी वृद्धि होती है।
10. धान (Early variety of Rice – खासतौर पर गर्मियों में रोपाई के लिए)
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लाभ: कुछ क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन धान (जैसे ‘आषाढ़ी धान’) की खेती की जाती है। यह मिट्टी को तैयार करने और अतिरिक्त फसल लेने का अच्छा तरीका है।
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उगाने का समय: मार्च–अप्रैल।
11. ग्वार (Cluster Beans)
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लाभ: यह सूखे और गर्म जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है। इसके बीजों से ग्वार गम बनता है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है।
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उगाने का समय: अप्रैल से जून।
12. करेला (Bitter Gourd)
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लाभ: करेले में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं और यह गर्मियों में बहुत मांग में रहता है। इसकी सब्जी और जूस दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
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उगाने का समय: मार्च से मई तक।
13. धानिया (Coriander – हरा पत्ता)
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लाभ: इसकी पत्तियां गर्मियों में भोजन को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाती हैं। इसमें विटामिन A, C और K होता है।
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उगाने का समय: फरवरी के अंत से अप्रैल तक।
14. ज्वार (Sorghum)
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लाभ: यह एक मोटा अनाज है, जो गर्मियों में शरीर को ठंडा रखता है। यह सूखा सहन करने वाली फसल है।
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उगाने का समय: अप्रैल से जून तक।
15. तिल (Sesame)
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लाभ: तिल के बीजों में तेल की भरपूर मात्रा होती है। यह गर्म जलवायु में कम पानी में भी बढ़ती है और व्यावसायिक रूप से बहुत फायदेमंद है।
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उगाने का समय: मार्च से मई।
जैविक खेती के महत्वपूर्ण टिप्स (Organic Farming Tips):
1. जैविक खाद का उपयोग करें
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गोबर खाद (वर्मी कम्पोस्ट), नीम की खली, हरी खाद, और फसल अवशेषों से बनी खाद का प्रयोग करें।
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इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं पड़ती।
2. बीज उपचार जैविक विधि से करें
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बीज बोने से पहले नीम, लहसुन, और गोमूत्र से उपचार करें ताकि बीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।
3. जैविक कीटनाशकों का प्रयोग
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नीम का अर्क, लहसुन-अदरक नीम का घोल, गोमूत्र आधारित स्प्रे, ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उपचार करें।
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ये कीटों को भगाते हैं लेकिन मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाते।
4. फसल चक्र अपनाएं (Crop Rotation)
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एक ही फसल बार-बार न उगाएं। इससे मिट्टी में पोषण संतुलित रहता है और कीट-रोग भी कम होते हैं।
5. मल्चिंग (Mulching) करें
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पौधों के चारों ओर सूखी घास, पत्तियां, या प्लास्टिक मल्च बिछाकर नमी बनाए रखें और खरपतवार (weeds) से छुटकारा पाएं।
कम लागत में ज़्यादा उत्पादन के उपाय:
1. स्थानीय बीज और संसाधनों का प्रयोग करें
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महंगे हाइब्रिड बीजों के बजाय स्थानीय, देसी और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करें जो कम लागत में अधिक उपज देते हैं।
2. मिट्टी की जाँच करवाएं
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खेत की मिट्टी की जांच करवाकर सही खाद का उपयोग करें — इससे अनावश्यक खर्च से बचेंगे।
3. समय पर सिंचाई और बुआई करें
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समय पर बुआई से पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं। टपक सिंचाई (drip irrigation) से पानी की बचत होती है और पौधों को सीधे जड़ से पानी मिलता है।
4. समेकित खेती अपनाएं (Mixed or Integrated Farming)
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एक ही खेत में सब्जी, दालें, या फल मिलाकर उगाएं। इससे भूमि का बेहतर उपयोग होता है और आय के स्रोत बढ़ते हैं।
5. कृषि मशीनों का साझा उपयोग (Custom Hiring Center)
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ट्रैक्टर, थ्रेशर आदि किराए पर लेकर उपयोग करें। इससे व्यक्तिगत खर्च कम होता है।
अगर आप चाहें तो मैं एक व्यवस्थित प्लान भी तैयार कर सकता हूँ — जैसे:
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1 एकड़ खेत के लिए जैविक खेती की लागत और आमदनी का अनुमान
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कौन-सी फसलें मिलाकर उगानी चाहिए
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जैविक कीटनाशक/खाद की रेसिपी
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मार्केटिंग के उपाय (जैसे जैविक मंडी या सीधे ग्राहक से जुड़ना)
क्या आप किसी खास फसल या जमीन के आकार के अनुसार प्लान चाहते हैं?
अधिक उत्पादन और लाभ के स्मार्ट उपाय:
6. बायोफर्टिलाइज़र (Biofertilizers) का उपयोग करें
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जैसे – राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, फॉस्फेट सोलूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) आदि।
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ये मिट्टी में प्राकृतिक पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते हैं, जिससे फसल बेहतर होती है।
7. कीट नियंत्रण के लिए ट्रैप्स लगाएं
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फेरोमोन ट्रैप, येलो स्टिकी ट्रैप और लाइट ट्रैप जैसे उपकरण बहुत कारगर होते हैं।
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ये कीटों को आकर्षित कर मारते हैं, बिना रसायन के।
8. आंतरफसली (Intercropping) खेती अपनाएं
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जैसे – मक्का के साथ मूँग, टमाटर के साथ धनिया, आदि।
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इससे फसल की सुरक्षा भी बढ़ती है और एक ही समय में दो उत्पादों से कमाई होती है।
9. गांव या समूह स्तर पर जैविक किसान समूह बनाएं
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सामूहिक खेती से लागत घटती है और जैविक उत्पादों को मंडी या सुपरमार्केट तक पहुँचाना आसान होता है।
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इससे ब्रांडिंग और मार्केटिंग आसान हो जाती है।
10. डायरेक्ट मार्केटिंग या कस्टमर से संपर्क करें
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आजकल ग्राहक जैविक उत्पादों के लिए ज़्यादा कीमत देने को तैयार रहते हैं।
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सोशल मीडिया (WhatsApp, Instagram) और स्थानीय समूहों के ज़रिए डायरेक्ट सेलिंग कीजिए — बीच के बिचौलियों से बचिए।
जैविक खेती के लिए घरेलू नुस्खे
नीम का कीटनाशक घोल:
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1 किलो नीम की पत्तियाँ
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10 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर उबालें
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ठंडा करके छान लें और स्प्रे करें
जीवनामृत (Jeevamrut):
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10 लीटर पानी
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1 किलो गोबर + 1 लीटर गोमूत्र
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1 मुट्ठी गुड़ + 1 मुट्ठी बेसन
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3–4 दिन सड़ा कर, छान कर, फसल पर छिड़कें — यह प्राकृतिक टॉनिक है।
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