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-: Sadhi Maa :-
सधी माँ, जिन्हें “रेगिस्तान की देवी” के रूप में पूजा जाता है, राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में विशेष रूप से पूजनीय हैं। उनकी चमत्कारी कहानियाँ जनमानस की आस्था और विश्वास का प्रतीक हैं। नीचे एक लोकप्रिय और चमत्कारी कथा प्रस्तुत है:
सधी माँ की चमत्कारी कहानी
बहुत समय पहले की बात है, राजस्थान के थार रेगिस्तान में एक छोटा-सा गाँव था, जो लगातार सूखे और अकाल से जूझ रहा था। न खेतों में अनाज होता था, न कुएं में पानी। गाँव के लोग भूख-प्यास से बेहाल हो चुके थे। तभी एक दिन एक साधारण सी स्त्री गाँव में आई, जिसके चेहरे पर अद्भुत तेज था। वह रेत पर नंगे पाँव चलती थी, पर उसके कदमों के निशान में हरियाली उग जाती थी।
गाँववालों ने उससे पूछा, “माता, आप कौन हैं?”
वो मुस्कराकर बोली, “मैं सधी हूँ, तुम्हारे दुःख हरने आई हूँ।”
सधी माँ ने गाँव के बाहर एक स्थान पर ध्यान लगाया और व्रत रखा। कुछ ही दिनों में चमत्कार होने लगा — सूखा कुआँ पानी से भर गया, खेतों में हरियाली छा गई, और गाँव में फिर से खुशहाली लौट आई।
एक दिन कुछ लालची लोग माँ की परीक्षा लेने लगे। उन्होंने कहा, “अगर तू सच्ची देवी है, तो इस मरे हुए ऊँट को जिंदा कर दे।”
सधी माँ ने प्रेमपूर्वक ऊँट को देखा और कहा, “अगर तुम्हारा विश्वास सच्चा है, तो यह ऊँट अभी उठ खड़ा होगा।”
जैसे ही उन्होंने कहा, ऊँट उठकर खड़ा हो गया और दौड़ने लगा। यह देख पूरा गाँव माँ के चरणों में झुक गया।
उस दिन से सधी माँ को “रेगिस्तान की देवी” के रूप में पूजा जाने लगा। आज भी राजस्थान के कई इलाकों में उनका मंदिर है, और लोग दूर-दूर से उनके दर्शन के लिए आते हैं।
सधी माँ की चमत्कारी रक्षा और आशीर्वाद
सधी माँ के चमत्कार की खबर धीरे-धीरे पूरे मरुस्थल में फैलने लगी। दूर-दूर के गाँवों से लोग उनके दर्शन के लिए आने लगे। उनकी उपस्थिति से जहाँ भी लोग पीड़ा में होते, वहाँ माँ सहायता पहुँचातीं।
डाकुओं से गाँव की रक्षा
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एक बार एक गिरोह ने गाँव पर हमला कर दिया। लूटपाट मचाने के इरादे से वे रात के अंधेरे में आए। लेकिन जैसे ही वे गाँव की सीमा के पास पहुँचे, उन्हें एक तेज़ प्रकाश दिखाई दिया। अचानक उनके सामने एक तेजस्वी देवी प्रकट हुईं – उनके हाथ में त्रिशूल था, आँखों से अग्नि निकल रही थी।
डाकू भयभीत होकर वहीं बेहोश हो गए। अगली सुबह गाँववालों ने देखा कि डाकू सधी माँ के मंदिर के सामने पड़े हैं, और उनके हाथ-पाँव बँधे हुए हैं। माँ ने उनकी रक्षा की थी।
बांझ स्त्री को संतान का वरदान
एक महिला, जो वर्षों से संतान सुख से वंचित थी, माँ सधी के मंदिर में तपस्या करने लगी। 21 दिन तक उसने व्रत रखा और माँ की मूर्ति के सामने दीप जलाया। 22वें दिन उसे माँ ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा –
“बेटी, तेरा दुख अब समाप्त होगा। एक वर्ष में तू एक पुत्र को जन्म देगी।”
और वैसा ही हुआ। उस स्त्री ने ठीक एक वर्ष बाद एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया, जिसे उसने “सधीराम” नाम दिया।
इस तरह, माँ सधी सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं से ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत दुखों से भी मुक्ति देती थीं। आज भी उनकी समाधि पर लोग नारियल, चुनरी और प्रसाद चढ़ाकर मनोकामना मांगते हैं — और मान्यता है कि जो सच्चे दिल से माँ को पुकारता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है।
सधी माँ की समाधि और वर्तमान चमत्कार
जब माँ ने वर्षों तक लोगों की सेवा कर ली और उनका काम पूर्ण हो गया, तब उन्होंने एक दिन गाँववालों को बुलाकर कहा:
“अब मेरा शरीर मिट्टी में विलीन होगा, लेकिन मेरी आत्मा सदा यहीं रहेगी। जब-जब कोई भक्त सच्चे मन से मुझे पुकारेगा, मैं उसकी सहायता को अवश्य आऊँगी।”
गाँववालों की आँखों में आँसू थे। माँ ने वहीं रेत के टीले पर बैठकर ध्यान लगाया और कुछ ही समय में उनकी देह ज्योति में विलीन हो गई। उस स्थान को लोग “सधी माँ की समाधि” कहने लगे।
मंदिर की स्थापना
कुछ समय बाद माँ ने एक पुजारी को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा:
“यह स्थान अब तीर्थ होगा, यहाँ मेरा मंदिर बनाओ।”
गाँव के सभी लोगों ने मिलकर रेत के टीले पर भव्य मंदिर का निर्माण किया। माँ की मूर्ति को रजत सिंहासन पर विराजमान किया गया। मंदिर के गर्भगृह में आज भी वही तेज महसूस किया जाता है।
आज भी होते हैं चमत्कार
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बीमार लोग माँ के दर्शन कर चमत्कारी रूप से स्वस्थ हो जाते हैं।
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गुमशुदा व्यक्ति के लिए लोग मंदिर में धागा बाँधते हैं, और कुछ ही समय में व्यक्ति लौट आता है।
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संतानहीन दंपती माँ की चुनरी चढ़ाकर प्रार्थना करते हैं — और माँ उन्हें संतान का वर देती हैं।
हर साल चैत्र मास में सधी माँ का मेला लगता है, जहाँ हज़ारों श्रद्धालु इकठ्ठा होकर माँ की झाँकी देखते हैं और भक्ति गीत गाते हैं:
“रेत में बसेरा, तेज में बसे,
रेगिस्तान की रानी — सधी माँ जैसे!”
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