-: Pataudi palace History :-
धूल भरी पगडंडियों के बीच हरियाणा का एक छोटा सा गांव अपनी मिट्टी में सदियों पुरानी कहानियां छुपाए बैठा है पटौदी गांव जहां की हवाओं में नवाबी ठाट और इतिहास की गूंज महसूस होती है जहां 18वीं सदी में एक बहादुर फौजी ने पटौदी रियासत की नीव रखी और जहां का महल आज भी शाही विरासत की कहानी कहता है आइए इस अद्भुत सफर की शुरुआत करते हैं।
साल 1804 का समय था ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठों के बीच युद्ध चल रहा था उसी दौरान एक बहादुर फौजी फैज तलब खान जो अफगानिस्तान के कंधार की बरेच जनजाति से था उसने अपने शौर से ब्रिटिशर्स का दिल जीत लिया इनाम के तौर पर उसे पटौदी का ये इलाका दिया गया और यहीं से पटौदी रियासत की शुरुआत हुई।
यह रियासत 1949 तक नवाबों के गौरवपूर्ण शासन में रही लेकिन जब यह आजाद भारत में विलीन हुई तब भी इसकी नवाबी शान और विरासत की चमक कम नहीं हुई पटौदी रियासत में 10 नवाब हुए और हर एक ने अपनी अलग छाप छोड़ी फैज तलब खान पहले नवाब थे जिन्होंने पटौदी रियासत की नीव 1804 में रखी थी।
वहीं मंसूर अली खान पटौदी इस रियासत के आखिरी टाइटलर नवाब थे जो भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे युवा कप्तान भी बने और जिन्हें टाइगर पटौदी के नाम से जाना जाता है 1971 में शाही खिताब और विशेषाधिकार खत्म हो गए गए लेकिन इस परिवार की शान और प्रसिद्धि फीकी नहीं पड़ी आज के समय में इस परिवार के मुखिया हैं सैफ अली खान जो हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
पटौदी पैलेस शाही भव्यता का प्रतीक
पटौदी पैलेस जिसे इब्राहिम कोठी भी कहा जाता है एक ऐसा महल है जहां शाही ठाट बाट की हर परत आपको अचंभित कर देती है इस महल को यूरोपीय और मुगल शैली के संगम से बनाया गया था 1935 में डिजाइन किया गया यह पैलेस भारतीय और फ्रांसीसी शैलियों का अद्भुत मिश्रण है इसे नवाब इफ्तिकार अली खान ने अपनी पत्नी के लिए बनवाया था।
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जब नवाब इफ्तिखार अली खान ने भूपाल की बेगम से शादी की तो उन्हें लगा कि उनका पुराना घर उनकी पत्नी के लिए उतना भव्य नहीं है इसलिए उन्होंने 1910 से 1952 के बीच शाही दिल्ली की औपनिवेशिक शैली में एक नया महल बनवाने का फैसला किया इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल और कार्ल बोल्टे वन हिंज ने डिजाइन किया था।
पटौदी पैलेस के पास अकबर मंजिल नाम की एक और इमारत है जिसे 1857 के बाद नवाब के आधिकारिक निवास के रूप में बनाया गया था बाद में इसे कोर्ट परिसर में बदल दिया गया आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पैलेस में वीर जारा, मंगल पांडे और मेरे ब्रदर की दुल्हन जैसी कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है आज इस महल की कीमत लगभग 800 करोड़ आंकी जाती है।
यह महल 10 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें लगभग 150 कमरे हैं जिनमें सात बेडरूम बॉल रूम और विशाल ड्राइंग और डाइनिंग एरिया शामिल है 2005 से 2014 तक यह पैलेस नीमराना होटल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था सैफ अली खान ने इसे फिर से खरीदा और इसका नवीनीकरण किया अब यह उनके परिवार की छुट्टियों का पसंदीदा स्थान है।
सैफ अली खान की राजनीतिक ड्रामा सीरीज तांडव की शूटिंग पटौदी पैलेस में ही हुई है इस महल से जुड़ी हुई एक और खास बात है इस महल में नवाब मंसूर अली खान और उनके पिता की कबर भी हैं जो इसे परिवार के लिए भावनात्मक रूप से भी खास बनाती हैं इसी कारण पैलेस का आंतरिक भाग आमतौर पर शूटिंग के लिए नहीं खोला जाता 1971 में भारत सरकार ने शाही उपाधियां और प्रिवी पर्स समाप्त कर दिए इसके बाद परिवार के अधिकांश सदस्य पाकिस्तान चले गए जिनमें मेजर जनरल शेर अली खान पटौदी भी शामिल थे जिन्होंने पाकिस्तानी सेना में सेवा दी
नवाबों की खेल प्रतिभा और फिल्मी कनेक्शन
इफ्तिकार अली खान और मंसूर अली खान दोनों ही बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी थे इफ्तिकार अली खान ने 1930 के दशक में ने इंग्लैंड क्रिकेट टीम के लिए भी खेला था वहीं मंसूर अली खान जिन्हें टाइगर पटौदी के नाम से जाना जाता है भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे युवा कप्तान बने और अपनी नेतृत्व क्षमता के लिए विश्व विख्यात हुए मंसूर अली खान ने अपने समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की।
आज पटौदी परिवार के कई सदस्य हिंदी फिल्म उद्योग में सक्रिय हैं सैफ अली खान, करीना कपूर और उनके परिवार के अन्य सदस्य बॉलीवुड के जानेमाने चेहरे हैं पटौदी गांव केवल एक स्थान नहीं बल्कि इतिहास और आधुनिकता का अनोखा संगम है यहां की शाही हवेली नवाबों का इतिहास और गांव की संस्कृति हर किसी को अपनी ओर खींचती है।
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