महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य !

-: Mystery of mahakaleshwar temple :-

आखिर महाकालेश्वर मंदिर में मौजूद काल भैरव मंदिर में हर रोज चढ़ाई जाने वाली हजारों लीटर शराब कहां गायब हो जाती है उज्जैन में रात क्यों नहीं गुजार सकते हैं मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री क्या है महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के पीछे की सच्चाई क्या सच में किसी इंसान की चिता की राख से ही की जाती है बाबा महाकालेश्वर की आरती क्यों भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देते हैं महाकाल क्या सच में महाकाल मंदिर के अंदर पूजा करने आती है कोई दिव्य शक्ति क्या हुआ जब रिसर्चस को खुदाई के दौरान महाकाल मंदिर के नीचे मिला कुछ ऐसा जिसने पूरी दुनिया के होश उड़ा दिए आखिर ऐसा क्या मिला जिसने महाकाल मंदिर की एक नई मिस्ट्री को जन्म दे दिया।

भारत अपनी प्राचीनता को लेकर दुनिया भर में फेमस है यहां संस्कृति की चड़े बेहद गहरी है जो विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का कालों के काल महाकाल राजा की महिमा अद्भुत है देश के अलग-अलग कोने में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग अपनी दिव्यता और सनातन महत्व के कारण दर्शनीय हैं।

इनमें मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है वैसे तो साल भर यहां यात्री आते हैं लेकिन विशेष पर्वों पर भीड़ बहुत अधिक बढ जाती है महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास बेहद ही चौखा वाला है मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत के आधीन रहने के बाद भी देश के इस पावन स्थल ने अपनी पुरातन पहचान को नहीं खोया।

सनातन धर्म की पताका को ऊंचा रखने के लिए धर्म की रक्षा से जुड़े लोगों ने ज्योतिर्लिंग को हर संभव प्रयास के बाद आक्रांता हों से सुरक्षित रखा कई दशक बीत जाने के बाद वर्तमान दौर में मंदिर का एक अलग ही स्वरूप दर्शनार्थियों को देखने को मिलता है इस मंदिर का इतिहास काफी अचंभित करने वाला और चौका देने वाला रहा है।

महाकालेश्वर मंदिर के दरवाजे का रह रहस्य

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर के मंदिर में दुनिया भर से श्रद्धालु यहां विराजित एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं यह मंदिर अपने अंदर प्राचीन रहस्य और इतिहास को समेटे हुए हैं आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन महाकाल मंदिर में एक ऐसा रहस्यमय दरवाजा है जिसके अंदर बिना बाबा महाकाल की आज्ञा लिए प्रवेश नहीं किया जा सकता।

यह द्वार चांदी से बनाया गया है और जिस प्रकार से किसी भी घर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाई जाती है उसी तर महाकाल के दरबार में भी प्रवेश करने से पहले चांदी द्वार की घंटी को बजाया जाता है जब घंटी बजती है उस समय इस क्षेत्र में पंडित और पुरोहित के अलावा कोई नहीं होता घंटी बजाने के बाद भगवान महाकाल से अनुमति लेकर चांदी का द्वार खोला जाता है जिसके बाद मंदिर में प्रवेश कर भगवान की नियमित भस्म आरती होती है कोई भी भगवान महाकाल से अनुमति लिए बिना और घंटी बजाए बिना मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर सकता है

भस्म आरती

भारत के ज्यादातर मंदिरों के अंदर भगवान की जब भी आरती की जाती है तो दिए की बाती को प्रज्वलित करके की जाती है लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में जब भगवान शिव की आरती की जाती है तो वह भस्म की राख से होती है बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं भस्म किसी भी वस्तु का अंतिम रूप होता है चाहे वह इंसान हो लकड़ी हो या मिट्टी जलने के बाद हमें अंत में उसे भस्म ही प्राप्त होती है।

बहुत से श्रद्धालुओं को यह लगता है कि बाबा की आरती भस्म की चिता की ताजी राख से होती है हां दोस्त सच में पहले बाबा महाकाल की आरती इंसान की ताजी चिता की राख से ही की जाती थी भस्म आरती के लिए पहले लोग अपने जीवन काल में ही रजिस्ट्रेशन कराते थे मृत्यु के बाद उनकी चिता की राख से भगवान शिव की पूजा की जाती थी लेकिन अब कुछ कारणों की वजह से ऐसा नहीं होता है।

कहा जाता है कि अब महाकाल की भस्म आरती के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे शमी पीपल पलाश बड़ अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर भस्म को तैयार किया जाता है और फिर इस भस्म से ही बाबा महाकाल की आरती की जाती है इस आरती को बंद कमरे में केवल मंदिर के पुजारी ही करते हैं और ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की दन में छह बार आरती की जाती है इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है

नाम से जुड़ा रहस्य

वैसे तो महाकालेश्वर मंदिर के बहुत सारे रहस्य हैं लेकिन सबसे बड़ा रहस्य तो इसके नाम में ही छुपा हुआ है जी हां आपने कभी यह सोचने का प्रयास किया है कि आखिर मंदिर का नाम महाकालेश्वर ही क्यों पड़ा तो आपको बता दें कि इसके पीछे एक मान्यता है जिसके अनुसार बताया जाता है कि एक राक्षस का वध करने के लिए महाकाल का शिवलिंग प्रकट हुआ था।

उस समय भगवान शिव राक्षस का वध करने के लिए काल बनकर प्रकट हुए थे जब उज्जैन में भगवान शिव ने राक्षस का वध किया तो लोगों ने भगवान शिव के आगे हाथ जोड़ते हुए उनसे उज्जैन में रहने के लिए निवेदन किया इसके बाद शिवलिंग उज्जैन में स्थापित हो गई ऐसे में शिवलिंग कलयुग के अंत तक उज्जैन में ही स्थापित रहेगी इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दिया गया

नंबर चार महाकालेश्वर मंदिर में लाई जाती है शराब

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां महाकाल के कोतवाल बाबा काल भैरव की प्रतिमा को को शराब का भोग लगाया जाता है आश्चर्य की बात तो यह है कि देखते ही देखते वह पात्र जिसमें मदिरा का भोग लगाया जाता है खाली हो जाता है हर दिन सैकड़ों हजारों लीटर शराब आखिर कहां गायब हो जाती है यह कोई नहीं जानता महाकालेश्वर मंदिर के पास में मौजूद काल भैरव के इस मंदिर में हर दिन 2000 से भी अधिक शराब की बोतलें चढ़ाई जाती है लेकिन शराब की एक बूंद भी जमीन के नीचे नहीं गिरती।

यह शराब कहां जाती है यह रहस्य आज भी बना हुआ है यहां रोज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और इस चमत्कार को अपनी आंखों से देखती है ऐसा भी बिल्कुल नहीं है कि इस रहस्य को जानने की किसी ने कोशिश ना की हो कई वैज्ञानिकों ने कोशिश की लेकिन वह इस रहस्य को आज तक नहीं समझ सके इतना ही नहीं शराब के गायब होने के पीछे के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों ने तो इस मंदिर के अंदर खुदाई तक करा दी थी।

लेकिन उनके हाथ भी कुछ नहीं लग पाया मंदिर के पुजारी के अनुसार इस मंदिर का वर्णन स्कं पुराण के अवंती खंड में मिलता है इस मंदिर में भगवान काल भैरव के वैष्णव स्वरूप का पूजन किया जाता है जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आसपास शराब आदि की दुकानें हटा दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिसर से लेकर इसके रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकानें आपको देखने को मिलती है और यही नहीं यहां प्रसाद बेचने वाले लोग भी शराब अपने पास में रखते हैं

भक्तों को अलग-अलग रूप में देते हैं महाकाल दर्शन

उज्जैन में विराजित महाकाल एक ही है है लेकिन वह अपने भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं हर वर्ष और पर्व के अनुरूप ही उनका श्रृंगार किया जाता है भगवान शिव के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग उज्जैन पहुंचते हैं।

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जैसे शिवरात्रि में वह दूल्हा बनते हैं तो श्रावण मास में राजाधिराज बन जाते हैं दिवाली में जहां महाकाल का आंगन दीपों से सज जाता है तो होली में गुलाल से रंग जाता है जहां ग्रीष्म रतु में महाकाल के मस्तक में मठ यों से जल गिरता है तो कार्तिक मास में भगवान विष्णु को सृष्टि का कार्यभार सौंपने के लिए पालकी में विराजित हो जाते हैं महाकाल के हर एक रूप को देखकर व्यक्ति मोहित हो जाता है

रात को कभी नहीं रुकता कोई मंत्री

बाबा महाकालेश्वर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है जिसको देखने के लिए हर साल लाखों की तादाद में लोग पहुंचते हैं जिसमें बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज से लेकर मंत्री संत्री सब आते हैं लेकिन इस रहस्यमय मंदिर की की ऐसी खासियत है कि यहां पर रात के समय में कोई भी मंत्री नहीं रुक सकता है जी हां कहा जाता है कि महाकालेश्वर को उज्जैन का राजा माना जाता है और इसलिए यहां पर और किसी राजा का आना वर्जित है ऐसी मान्यता है कि अगर राजा इस नगरी में रात में ठहरने की जहमत उठाते हैं तो उनका राज्य पाठ हाथ से निकल जाता है।

पुराणिक कथाओं के अनुसार राजा विक्रमादित्य के समय से ही यहां पर कोई राजा नहीं रुकता है ना राष्ट्रपति ना प्रधानमंत्री और ना ही मुख्यमंत्री कभी भी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते क्योंकि जो भी राजा यहां रात्रि विश्राम करता है उसकी कुर्सी जल्द चली जाती है ऐसा कई मंत्री और मुख्यमंत्रियों के साथ हो चुका है भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई एक बार यहां रात में रुके थे अगले दिन उनकी सत्ता चली गई थी इसी के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री यदि यरप्पा भी उज्जैन में ठहरे थे इसके 20 दिन बाद ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था इस तरह के और भी कई तरह के उदाहरण हैं

रात में मौजूद अद्भुत शक्ति का रहस्य

वैसे तो महाकाल के मंदिर में ऐसी बहुत सारी क्मत कारी घटनाएं घटित होती हैं लेकिन उनका दीदार कर पाना हर एक मनुष्य के लिए संभव नहीं है दिन के समय में तो महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई रहती है और रात के समय में कपाट बंद कर दिए जाते हैं लेकिन रात के समय में महाकालेश्वर मंदिर में एक अद्भुत शक्ति मौजूद है जो भगवान शिव की पूजा करती है।

दरअसल ऐसा ही एक दुर्लभ चमत्कार महाकाल मंदिर के गर्भगृह में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था और किसी ने इस चमत्कार को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था जिसमें एक धुंधली सी आकृति महाकाल की आरती करती हुई दिखाई दी मंदिर की गोपनीयता को बनाई रखते हुए सीसीटीवी के फोटोस को बाद में मिटा दिया गया हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है भगवान ही जाने लेकिन ऐसा कहां जरूर जाता है

जूना महाकाल का रहस्य

महाकालेश्वर मंदिर के अंदर जूना महाकाल नाम का एक शिवलिंग मौजूद है इस शिवलिंग के पीछे भी एक बहुत बड़ा रहस्य छुपा हुआ है बताया जाता है कि कुछ राजाओं और आक्रमणकारियों के समय इस मंदिर में मौजूद असली शिवलिंग को कई बार नष्ट करने की कोशिश की गई थी। जिसे बचाने के लिए पुजारियों ने असली शिवलिंग को वहां से हटा दिया और एक दूसरा शिवलिंग रखकर पूजा करने लगे।

लेकिन जब आक्रमणकारियों का खतरा मंदिर से टल गया तो पुजारियों के द्वारा फिर से पुरानी वाली शिवलिंग को स्थापित किया गया लेकिन फिर पुजारियों ने सोचा अब जो दूसरा शिवलिंग बच गया है उसका क्या किया जाए तो काफी सोच विचार करने के बाद पुजारी ने हटाई गई शिवलिंग को मंदिर के ही प्रांगण में स्थापित कर दिया और तब से इसे जूना महाकाल के नाम से जाना जाता है

महाकालेश्वर मंदिर के नीचे मौजूद मंदिर का रहस्य

उज्जैन में महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण के दौरान खुदाई में एक प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं माना जा रहा है कि प्राचीन मंदिर करीब 1000 साल साल पुराना है मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुराने अवशेष मिले हैं जो मंदिर के नीचे मंदिर होने की प्रमाणिकता को सिद्ध करते हैं मूर्तियां गुंबद का हिस्सा मिट्टी के बर्तन समेत कई ऐसी प्राचीन चीजें मिली हैं जो कई रहस्यों को जन्म दे रही हैं।

2018 से महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई चल रही है खुदाई के दौरान मंदिर के उत्तरी छोर में दूसरे मंदिर के प्रमाण मिले हैं जिसमें उत्कृष्ट खंभे आधार ब्लॉक मंदिर के गुंबद के हिस्से पत्थर के नक्काशी दार रथ शामिल हैं यह अवशेष 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच के बताए जा रहे हैं वहीं महाकाल मंदिर के दक्षिणी छोर पर गर्भ में कई पुरानी दीवारें दबी मिली हैं।

हालांकि इस रहस्य को अभी तक सरकार भी नहीं समझ पाई है कि आखिर महाकालेश्वर मंदिर के नीचे एक और मंदिर का क्या राज है लेकिन इसमें भी भोलेनाथ का कोई ना कोई चमत्कार अवश्य छुपा होगा महाकाल ही जाने आखिर हजारों साल पुराने मंदिर के अवशेषों के पीछे क्या रहस्य छिपा हुआ है

मंदिर का इतिहास 

इस मंदिर का इतिहास भी किसी रहस्य से कम नहीं है कहा जाता है कि 1235 में महाकालेश्वर मंदिर को दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया था इस बारे में हम सभी जानते हैं कि किस तरह मुस्लिम आक्रांता औ ने हिंदू धर्म को मिटाने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करके वहां पर मदों का निर्माण करवाया था उस समय महाकालेश्वर मंदिर लोगों के लिए आस्था का एक केंद्र माना जाता था।

लेकिन जब इल्तुतमिश को इस बारे में सूचना मिली तो उसने तुरंत अपने सिपाहियों को मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया लेकिन जब हिंदुओं को इस बारे में पता चला तो उन्होंने सिपाहियों के आने से पहले ही महाकाल मंदिर के गर्भगृह में स्थित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को आक्रांता से सुरक्षित बचाने के लिए पास में ही बने एक कुएं में रख दिया था।

औरंगजेब ने ने मंदिर के अवशेषों से वहां एक मस्जिद का निर्माण करवा दिया था मंदिर टूटने के बाद करीब 500 सालों से अधिक समय तक महाकाल का मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में रहा और ध्वस्त मंदिर में ही महादेव की पूजा आराधना की जाती रही।

लेकिन जब कई वर्षों बाद 22 नवंबर 1728 में मराठा शूरवीर राणो जी राव सिंधिया ने मुगलों को परास्त किया तो उन्होंने मंदिर तोड़कर बनाई गई उस मस्जिद को गिराया और 1732 में उज्जैन में फिर से मंदिर का निर्माण करवाया और ज्योतिर्लिंग की स्थापना की राणो जी ने ही बाबा महाकाल ज्योतिर्लिंग को 550 साल बाद कोटि तीर्थ कुंड से बाहर निकाल वाया था और महाकाल मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था।

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