अब तक कितने कलयुग बीत चुके हैं? हम कौन से कलयुग में रह रहे हैं?

-: Mystery of Kaliyuga :-

आखिर अब तक कितने कलयुग बीत चुके हैं और आखिर हम कौन से कलयुग में जी रहे हैं क्या है युगों के चक्र का वास्तविक रहस्य। हमारे हिंदू धर्म के अनुसार युगों का बदलना युग चक्र पर आधारित होता है हिंदू धर्म ग्रंथों में चार युगों का वर्णन किया जाता है जिसकी शुरुआत सतयुग से होती है उसके बाद त्रेता युग फिर द्वापर युग और फिर अंतिम युग यानी कलयुग होता है। जहां पर हम अभी रह रहे हैं हर एक युग की समाप्ति पर एक नए युग का प्रारंभ होता है और कलयुग की समाप्ति होने पर युगों के चक्र में बदलाव हो जाता है।

जिस तरह घड़ी में 12 बजने के बाद एक नए दिन की शुरुआत होती है उसी तरह इन चारों युगों की अवधि समाप्त होने के बाद एक नए कालचक्र का आरंभ होता है तो ऐसे में 90% हिंदू आज तक नहीं जानते कि वास्तव में हम जिस कलयुग में रह रहे हैं वह एकलौता कलयुग नहीं है इससे पहले भी कई सारे कलयुग बीत चुके हैं और आने वाले समय में और भी नए कलयुग का जन्म होगा जिसका विस्तार से वर्णन हमारे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में आज भी मौजूद है और इसीलिए हमारे हिंदू धर्म ग्रंथ आज की आधुनिक साइंस से कई कदम आगे हैं।

आज के वैज्ञानिक जो महंगी महंगी सैटेलाइट का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष को टटोलने में लगे हुए हैं ग्रहों की दिशा गुरुत्वाकर्षण बल और नई-नई खोज कर रहे हैं यह सभी हमारे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में पहले से ही लिखा जा चुका है फिर चाहे वह धरती से सूर्य की दूरी हो या फिर अंतरिक्ष की गहराई हो सूर्य के सात घोड़े जो सूर्य की रोशनी को अलग-अलग सात प्रिज्म में बांटते हो या फिर गॉड पार्टिकल तो यह संभव है कि अगर धर्म ग्रंथों का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो कलयुग की उम्र और कलयुग के चक्र के बारे में पता लगाया जा सकता है क्योंकि समय एक चक्र है।

जिसका पहिया लगातार घूमता रहता है और यह एक चक्र पूरा करने के बाद हमारे युग को बदल देता है तो चलिए बताते हैं कि किस तरह हम गणना कर सकते हैं कि कितने कलयुग पहले बीत चुके हैं और आज हम किस कलयुग में जीवित है इस सृष्टि के रचयिता पालनहार और संघार भगवान विष्णु और महेश को बताया गया है जिन्हें त्रिदेव भी कहा जाता है ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड का निर्माण किया है और ब्रह्मांड से ही ब्रह्मा जी का जन्म भी हुआ है लेकिन हमारी सृष्टि का नियम है कि जिसका जन्म हुआ है उसका अंत होना जरूरी है इसीलिए जिस तरह ब्रह्मा जी का जन्म हुआ है।

ठीक उसी प्रकार उनकी मृत्यु भी हुई है और इस तरह हमारे ब्रह्मांड का जन्म हुआ है तो उसका अंत भी होगा लेकिन आपको बता दें कि यह कालखंड इतना लंबा है कि इसके अंत तक अगर कोई जीवित रहता है तो वह अमर हो जाता है शास्त्र बताते हैं कि ब्रह्मा जी के जीवन काल का समय 100 वर्ष का है लेकिन यह 100 वर्ष कलयुग के समय से कहीं ज्यादा होते हैं जिस तरह हमारे यहां 355 दिन का एक साल होता है जो दो भागों में बंटा होता है जिनमें से एक दिन होता है और एक रात होता है ।

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ठीक उसी प्रकार ब्रह्मा जी के एक कल्प में 14 मन्वंतर होते हैं एक मन्वंतर में चार युग होते हैं और यही चार युग सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग है हमारा कलयुग 432000 वर्षों का है लेकिन अगर इस समय की गणना ब्रह्मा जी के समय से की जाए तो जब हम मनुष्य के 4 अरब 32 करोड़ साल पूरे होते हैं तो यह समय ब्रह्मा जी के लिए केवल एक दिन के बराबर होता है तो अब सोच कर देखिए कि ब्रह्मा जी की उम्र 100 वर्ष की है तो हमारे समय के अनुसार उनकी आयु कितनी लंबी होगी।

तो वहीं अगर ब्रह्मा जी की आयु की गणना की जाए तो इस समय हम ब्रह्मा जी के 91 साल के पहले दिन में जीवित हैं इससे पहले कल्प के सातवें मन्वंतर का समय चल रहा है और यह 28 वां महायुगा है यानी कि आज से पहले 2447 कलयुग बीत चुके हैं और हम 2448 वें कलयुग में जीवित हैं हम 2448 वें कलयुग में जी रहे हैं और हमसे पहले 2447 कलयुग बीत  चुके हैं इस विषय से जुड़ी हुई एक कहानी भी हमारे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मौजूद है वह कहानी है स्वयं काग भुषी जी की ग्रंथों के मुताबिक लोमस ऋषि के श्राप के कारण काग भुषी कौवा बन गए थे।

श्राप से छुटकारा पाने के लिए उन्हें राम मंत्र और इच्छा मृत्यु का वरदान दिया गया था इसके बाद उन्होंने पूरे जीवन कौवे के रूप में ही बताया काग भुषी ने ही सबसे पहली रामायण य दराज गरुड़ को सुना दी थी और आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में काक भुषी को एक टाइम ट्रेवल के रूप में दिखाया गया है कहते हैं उन्होंने 11 अलग-अलग रामायण और 16 अलग-अलग महाभारत देखी हैं।

अब इससे यह भी साबित होता है कि हो ना हो उन्होंने कलयुग को इतनी बार तो बनते और मिटते हुए दोबारा देखा होगा उन्होंने ब्रह्मा जी को भी मरते और जीवित होते हुए देखा होगा क्या पता उन्होंने समांतर ब्रह्मांड को भी बनते और बिगड़ते हुए देखा होगा क्या पता उन्होंने पैरेलल यूनिवर्स में जाकर एक दूसरी पृथ्वी पर शायद रामायण और महाभारत को घटित होते हुए देखा होगा।

आजकल हम साइंस फिक्शन मूवीज को देखकर बहुत प्रेरित होते हैं और सोचते हैं कि क्या ऐसा संभव है तो हा ऐसा संभव है हमारे धार्मिक ग्रंथों में इन सभी चीजों का वर्णन बारीकी से किया गया है वैसे हमारे विज्ञान में भी समांतर ब्रह्मांड के बारे में बहुत बार बताया गया है कि कैसे हमारे ब्रह्मांड में कई और ब्रह्मांड मौजूद है और इन सभी ब्रह्मांड को अलग-अलग ब्रह्मांड नियंत्रित करते हैं।

इसीलिए से यह पता लगाना तो मुश्किल है कि उन सभी दूसरे ब्रह्मांड में कितनी बार कौन सा कलयुग चल रहा होगा या वहां पर सतयुग चल रहा है या वहां पर द्वापर युग चल रहा है या फिर त्रेता लेकिन यह बात तो निश्चित है कि हो ना हो वहां पर युगों का चक्र भी चला है जैसे यहां पर आज से पहले 2447 कलयुग बीत चुके हैं आने वाले समय में भी हजारों कलयुग आएंगे जब तक कि ब्रह्मा मरकर फिर से पुनः जीवित नहीं हो जाते एक नए मन्वंतर की शुरुआत नहीं होती।

जैसे ही 4 लाख 32000 वर्ष बी देंगे कलयुग का अंत होगा सतयुग की शुरुआत होगी और ब्रह्मा जी का एक दिन नष्ट हो जाएगा तब समय का चक्र फिर से घूमेगा फिर द्वापर युग फिर त्रेता युग और फिर कलयुग आएगा लेकिन जैसे जैसे कलयुग का अंत निकट आएगा वैसे-वैसे धरती पर पाप पड़ने लगेगा और इस धरती पर धर्म का नाश होता जाएगा जल्द ही इस धरती पर से इस कलयुग का भी विनाश हो जाएगा और समय चक्र फिर से दोबारा शुरू हो जाएगा।

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