दुनिया की 10 सबसे रहस्यमई और खतरनाक जगह

-: Mysterious places of world :-

आज हम बात करने वाले हैं दुनिया के 10 सबसे रहस्यमई जगहों के बारे में। ऐसी जगहें जो देखने में तो बेहद खूबसूरत लगती हैं लेकिन उनके पीछे छुपा राज आज तक विज्ञान भी पूरी तरह नहीं सुलझा पाया है।

क्या आपने कभी ऐसा पत्थर देखा है जो जैसे ही उसे थपथपाओ किसी संगीत की तरह आवाज निकालता है या फिर ऐसा पार्क देखा है जहां इंसानों की जगह सिर्फ मूर्तियां खड़ी हैं और उन्हें बनाने वाला इंसान अपनी पूरी जिंदगी बस इन्हें बनाता रहा। और सबसे चौंकाने वाली बात एक ऐसा गांव भी इस धरती पर मौजूद है जहां अब कोई इंसान नहीं रहता। सिर्फ घोड़ियां हैं हजारों की तादाद में। हर एक चेहरा अलग और हर एक चेहरा खामोशी में छुपा कोई राज।

एयर रॉक उलूरू, ऑस्ट्रेलिया

आयर्स रॉक

धरती पर कुछ जगहें ऐसी होती हैं जो सिर्फ देखने में खूबसूरत नहीं होती बल्कि उनके भीतर ऐसा रहस्य छुपा होता है जो इंसान की सोच से परे होता है। ऑस्ट्रेलिया के नॉर्दन टेरिटरी में रेगिस्तान के बीचों-बीच एक विशाल लाल चट्टान खड़ी है जो दिन में तांबे की तरह चमकती है और सूरज ढलते ही जलती हुई आग की तरह लाल हो जाती है। इस रहस्यमई चट्टान को उलूरू कहा जाता है जिसे पश्चिमी दुनिया एयर्स रॉक के नाम से जानती है। उलूरू कोई आम पहाड़ नहीं यह धरती की आत्मा है। इसकी ऊंचाई 348 मीटर है। यानी लगभग 100 मंजिला इमारत जितनी लेकिन इसका रहस्य इसकी ऊंचाई में नहीं छुपा।

असली चौंकाने वाली बात यह है कि इसका दो तिहाई हिस्सा जमीन के नीचे दफन है। यानी जो दिखाई दे रहा है वह केवल 30% है। बाकी सब धरती के गर्भ में छुपा हुआ है। उलूरू लगभग 3.6 कि.मी. लंबा और 1.9 कि.मी. चौड़ा है और इसके चारों ओर घूमने पर 9.4 कि.मी. की दूरी तय करनी पड़ती है। पर आंकड़े इसके रहस्य को नहीं समझा सकते। अनंगू नाम की एक आदिवासी जनजाति जो यहां सदियों से रहती आई है। मानती है कि यह चट्टान जिंदा है। उनकी कहानियों के अनुसार उलूरू को पवित्र माना जाता है। वह कहते हैं कि इसमें उनके पूर्वजों की आत्माएं वास करती हैं।

यहां की दीवारों पर अजीब और रहस्यमई चित्र बने हुए हैं जो किसी प्राचीन समय की गाथा सुनाते हैं। पर आज तक कोई भी यह समझ नहीं पाया कि उन चित्रों का सही मतलब क्या है। यहां तक कि कुछ इलाकों में फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग तक मना है। क्योंकि अनंगू मानते हैं कि इससे आत्माएं क्रोधित हो जाती हैं। और एक बात जो दिल दहला देती है। कहते हैं जो लोग इस चट्टान से पत्थर चुरा कर ले जाते हैं उनके साथ अजीब घटनाएं घटती हैं।

कई पर्यटक अपने घर जाकर बीमार पड़ जाते हैं। हादसों का शिकार हो जाते हैं और फिर डर के मारे उस पत्थर को वापस भेज देते हैं। उलूरू पर मौसम का जादू भी चलता है। बारिश के समय यह चट्टान नीली और बैंगनी सी दिखाई देती है। जैसे किसी दूसरी दुनिया की चीज हो। उलूरू कोई साधारण टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं। यह एक जीवित रहस्य है जो हजारों सालों से इंसानों को बुला रहा है। लेकिन अपने भीतर का सच आज तक किसी को नहीं बताया।

स्पॉटेड लेक, कनाडा

Spotted Lake in British Columbia

आसमान से देखने पर यह जगह किसी ने बिछाया हुआ रंग बिरंगा टॉवल लगती है। लेकिन असल में यह है एक रहस्यमई झील जिसका नाम है स्पॉटेड लेक यानी धब्बों वाली झील। यह झील स्थित है कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में और इसका रहस्य आज भी लोगों को हैरान कर देता है। इसकी लंबाई है करीब 700 मीटर और चौड़ाई लगभग 250 मीटर है। गर्मी के मौसम में जब इस झील का पानी धीरे-धीरे सूखता है तब इसकी सतह पर उभरते हैं। सैकड़ों गोलगोल रंगीन धब्बे।

कोई धब्बा सिर्फ 3 फीट जितना छोटा होता है तो कोई 30 फीट तक बड़ा हो सकता है। हर धब्बा एकदम गोल जैसे किसी ने कंपास से खींचा हो। और हर एक अपने में अनोखा इन धब्बों के रंग ऐसे होते हैं जैसे किसी फूलों के बाग से उठाकर झील में रख दिए गए हो। कहीं पीले फूलों की चमक है। कहीं हरी पत्तियों की ठंडक, कहीं नीला आसमान तो कहीं सफेद बादलों की छाया, कुछ धब्बे भूरे मिट्टी जैसे और कुछ तो बैंगनी गुलाब जैसे भी लगते हैं।

पूरा नजारा ऐसा जैसे धरती ने खुद एक इंद्रधनुष ओढ़ लिया हो। स्थानीय सिल्क जनजाति के लोग इस झील को पवित्र मानते हैं। उनका कहना है कि यहां के पानी में बीमारियों को ठीक करने की शक्ति है। लोग यहां आकर इस झील में नहाते थे और मानते थे कि इससे जोड़ों का दर्द, त्वचा की समस्याएं और दूसरी बीमारियां ठीक हो जाती थी। लेकिन यह झील सिर्फ शांति नहीं देती थी। पहले विश्व युद्ध में इसी झील से निकले खनिज पदार्थों जैसे मैग्नीशियम, कैल्शियम और सोडियम सल्फेट का इस्तेमाल किया गया था बारूद बनाने में।

यानी एक ही झील से कोई नहाकर ठीक होता था और कोई उसी के खनिजों से हथियार बनाकर युद्ध लड़ता था। आज भी जब कोई इस झील को ऊपर से देखता है तो उसकी आंखें रुक जाती हैं क्योंकि यह सिर्फ झील नहीं है। यह एक रहस्यमई चित्र है। एक ऐसा चमत्कार जो हर मौसम में कुछ नया दिखाता है।

रिंगिंग रॉक्स पार्क, यूएसए

Ringing Rocks

अमेरिका के पेंसिलनिया राज्य में एक ऐसी रहस्यमई जगह है जहां पत्थर खुद संगीत बजाते हैं। नाम है रिंगिंग राक्स पार्क यानी बजने वाले पत्थरों का पार्क। यह पार्क फैला हुआ है लगभग 128 एकड़ में। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है एक ऐसी जगह जहां फैले हैं लगभग सात एकड़ में सिर्फ पत्थर ही पत्थर। लेकिन यह पत्थर आम पत्थर नहीं है। जब आप इनमें से किसी को हथौड़े या किसी और पत्थर से मारते हो। तो यह पत्थर घंटी जैसी आवाज निकालते हैं।

हां, सही सुना आपने। बिल्कुल घंटी जैसी टन टन की आवाज। वैज्ञानिकों ने जब इन पत्थरों की जांच की तो पाया कि यह सभी एक ही ज्वालामुखीय चट्टान के टुकड़े हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब बाकी ज्वालामुखी चट्टानें खामोश रहती हैं तो यह क्यों गाते हैं? कोई कहता है इन पत्थरों में लोहे की मात्रा ज्यादा है इसलिए यह बचते हैं। कोई कहता है कि यह पत्थर किसी खास गूंजने वाले फॉर्मेशन में रखे हुए हैं। मगर सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अगर आप इन पत्थरों को पार्क से बाहर ले जाओ तो उनकी आवाजें खत्म हो जाती है।

वह पत्थर वहां पर रहकर ही बजते हैं। जैसे उस जमीन से कोई अदृश्य शक्ति उन्हें ध्वनि देती हो। वहीं के माहौल में ही वह अपना संगीत पैदा करते हैं। जैसे धरती का दिल उन्हीं पत्थरों से धड़कता हो। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह कोई शुद्ध भूमि है। जहां धरती की आत्मा खुद आवाज निकालती है।

कुछ लोगों ने तो यह तक कहा है कि वहां भूतों की आत्माएं फंसी हैं जो हर बार पत्थरों के टकराने पर आवाज में बोलती हैं और कई पर्यटक तो इस जगह को धरती का संगीत मंदिर भी कहते हैं। कई लोग जब यहां पहली बार जाते हैं तो उन्हें लगता है कि यह बस एक चट्टानों का ढेर है। लेकिन जैसे ही पहला पत्थर बजता है तो हर इंसान की आंखें फटी रह जाती हैं। क्योंकि इन पत्थरों में छिपा है एक रहस्य जो आज तक कोई सुलझा नहीं पाया।

वेव रॉक, ऑस्ट्रेलिया

Wave Rock

ऑस्ट्रेलिया की धरती पर एक ऐसी चट्टान है जो दिखती है जैसे समुद्र की एक ऊंची लहर अचानक जम गई हो। नाम है वेव रॉक यानी लहर जैसी चट्टान। और यकीन मानिए यह किसी कलाकार की बनाई मूर्ति नहीं है। यह प्राकृतिक चमत्कार है। यह चमत्कारी चट्टान हाइडन नाम के छोटे से शहर के पास स्थित है। ऑस्ट्रेलिया के वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया प्रांत में वेव रॉक की ऊंचाई है लगभग 15 मीटर। यानी करीब 49 फीट और इसकी लंबाई है 110 मीटर। यानी 360 फीट तक यह चट्टान फैली हुई है।

एकदम किसी समुद्री लहर की तरह। इस पत्थर की सतह इस तरह मुड़ी हुई है कि ऐसा लगता है जैसे लहर किसी तूफान में उठी हो और फिर एक झटके में समय ने उसे रोक दिया हो। ऊपर से इसकी सतह पर अलग-अलग रंगों की धारियां भूरे, पीले, सुनहरे, हल्के, काले और सफेद रंग जैसे किसी कलाकार ने ब्रश चलाया हो। लोग कहते हैं कि यह चट्टान करीब 27 करोड़ साल पुरानी है और इसे बनाने वाला कोई इंसान नहीं बल्कि वर्षों की हवा, पानी और मौसम की ताकतें हैं।

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बारिश के पानी ने इसकी सतह को धीरे-धीरे घिसा। हवा ने इसकी बाहरी परतों को तराशा और नतीजा प्रकृति का ऐसा चमत्कारी डिजाइन बना जिसे देखकर आंखें ठहर जाती हैं। लेकिन बस इतनी ही बात नहीं है। स्थानीय अब ओरिजिनल समुदाय इसे पवित्र मानते हैं। उनकी कहानियों के अनुसार यह चट्टान एक विशाल सांप की पीठ है जिसका नाम है रेनबो सरपेंट।

कहा जाता है कि यह सांप जब जमीन के नीचे से निकलता है तो धरती कांपती है और उस सांप की पीठ ही आज यह वेव रॉक बन चुकी है। हर साल हजारों लोग इसे देखने आते हैं। कुछ इसकी तस्वीरें खींचते हैं। कुछ इसके सामने खड़े होकर ऐसा अनुभव करते हैं जैसे समय रुक गया हो। वेव रॉक एक पत्थर की लहर जो ना टूटी ना बही बस जम गई हमेशा के लिए।

स्केलेटन कोस्ट, नमीबिया

Skeleton Coast and Kaokoveld - Africa Destinations

अफ्रीका के नमीबिया देश की उत्तरी पश्चिमी सीमा पर फैली है। एक बेहद डरावनी, सुनसान और रहस्यमई जगह। नाम सुनते ही रूह कांप उठती है। स्केलेटन कोस्ट यानी हड्डियों का तट। यह इलाका फैला है करीब 500 कि.मी. की लंबाई में और इसकी चौड़ाई 40 कि.मी. से लेकर 120 कि.मी. तक जाती है। चारों तरफ सिर्फ रेत के विशाल टीलों का जंगल और सामने है अंधाधुंध लहरों से गूंजता हुआ अटलांटिक महासागर। लेकिन यह कोई खूबसूरत तट नहीं है।

यह है प्राकृतिक कहर और विनाश का ठिकाना। स्केलेटन कोस्ट का नाम पड़ा उन हजारों जहाजों की वजह से जो यहां आकर तबाह हो गए। समंदर की लहरें इतनी उग्र और हवा इतनी तेज कि कोई भी जहाज इस तट से टकराने के बाद कभी वापस नहीं जा पाया। आज भी वहां टूटे हुए जहाजों के ढांचे, जंग लगे लोहे की हड्डियां और व्हेल मछलियों की असली हड्डियां रेत में बिखरी पड़ी हैं। जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें यहीं कैद कर दिया हो और यही वजह है कि इसे कहा जाता है द लैंड गॉड मेड इन एंगर।

यानी वह जमीन जिसे खुद भगवान ने गुस्से में बनाकर छोड़ दिया हो। स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां का माहौल शापित है। अक्सर सुनाई देती हैं। रहस्यमई आवाजें कभी समंदर से कभी रेत के नीचे से। कुछ लोगों ने तो यहां गायब होते परछाइयों को भी देखा है। जैसे कोई भूतिया नाविक आज भी अपने जहाज की तलाश में भटक रहा हो। यहां ना पानी है, ना छांव, ना कोई शहर, ना कोई इंसान। सिर्फ रेत, लहरें और हड्डियां। स्केलेटन कोस्ट एक ऐसा तट जहां वक्त भी डर के मारे रुक जाता है।

कावा इजेन, इंडोनेशिया

कावा इजेन

इंडोनेशिया के ईस्ट जावा में स्थित है दुनिया की सबसे रहस्यमई और खतरनाक जगहों में से एक कवा ईजेन। यह कोई आम ज्वालामुखी नहीं है। यह वो जगह है जहां धरती रात के अंधेरे में नीली आग उगलती है। माउंट आइजन का यह क्रेटर लगभग 1 कि.मी. चौड़ा है और इसके भीतर है एक झील। लेकिन यह कोई साधारण झील नहीं। यह झील दुनिया की सबसे तेज आब भरी झीलों में से एक है जिसका रंग हरा नीला है। लेकिन इसमें एक बूंद गिर जाए तो हड्डियां तक घुल सकती हैं।

अब बात करते हैं इसके सबसे बड़े रहस्य की। इस ज्वालामुखी से जब सल्फर गैस बाहर निकलती है और हवा से मिलती है तो उसमें नीली आग लग जाती है। यह आग दिन में नहीं दिखती। लेकिन रात के समय यह ज्वालामुखी किसी राक्षसी नीले जादू की तरह जलता है। पूरा इलाका एकदम भूतिया लगता है। चारों तरफ काली राख, हरे नीले पानी की झील और बीच-बीच में फूटती नीली लपटें। ऐसा लगता है जैसे धरती का कोई छिपा हुआ द्वार खुल चुका हो।

यह दृश्य देखने वाले हैरान रह जाते हैं। कभी लगता है कोई अलौकिक शक्ति काम कर रही है और इसी वजह से कावा ईजन को दुनिया की सबसे रहस्यमई प्राकृतिक जगहों में गिना जाता है। यहां की हवा भी बेहद जहरीली है। इसलिए वहां जाने वाले लोगों को गैस मास्क पहनकर ही अंदर जाना पड़ता है। कावा ईजन एक ऐसी जगह जहां आग नीली होती है। पानी जहर बन चुका है और पूरी धरती किसी भूतिया रहस्य में डूबी लगती है। यह धरती का ऐसा कोना है जो जितना खूबसूरत दिखता है उतना ही खतरनाक और चौंकाने वाला भी है।

द ग्रेट ड्यून ऑफ पिलाट, फ्रांस

द ग्रेट ड्यून ऑफ पिलाट

फ्रांस की धरती पर बसी है एक ऐसी रेत की दीवार जो देखने में किसी पहाड़ जैसी लगती है। लेकिन यह पहाड़ पत्थरों का नहीं सिर्फ रेत का बना हुआ है। नाम है द ग्रेट ड्यून ऑफ पायलट जो फ्रांस के दक्षिण पश्चिमी तट पर आर्कशॉन बे के पास स्थित है। यह दुनिया की सबसे ऊंची रेत की पहाड़ी है। ऊंचाई लगभग 110 मीटर यानी 360 फीट से भी ज्यादा। लंबाई लगभग 2.7 कि.मी. और चौड़ाई करीब 500 मीटर। मतलब यह कोई छोटी-मोटी बालू की ढेरी नहीं। यह एक विशालकाय रेत का तूफान है जो एक ही जगह पर जम गया है। अब सुनिए इसका असली रहस्य।

इस रेत की दीवार हर साल बदलती है। हवा के साथ उड़ती रेत इसे और ऊंचा बनाती जा रही है। कभी इसका आकार बदलता है तो कभी यह धीरे-धीरे पास के जंगलों को निगल जाती है। जी हां, यह ड्यून जंगलों के बीच घुस चुकी है। नीचे हरियाली है और ऊपर बालू का पहाड़। ऐसा लगता है जैसे रेगिस्तान और जंगल ने एक दूसरे को गले लगा लिया हो।

कई वैज्ञानिकों के लिए यह जगह आज भी एक पहेली बनी हुई है कि कैसे एक रेत का पहाड़ समुद्र के किनारे जंगलों के बीच खड़ा हो गया और कैसे यह हर साल खुद ब खुद अपना आकार बदलता है। यहां से दिखने वाला नजारा भी किसी स्वप्न जैसा होता है। एक तरफ गहरा नीला समुद्र दूसरी तरफ हरेभरे जंगल और बीच में एक सुनहरा रेत का तूफान। यह वह जगह है जो समय के साथ जीती है और खुद को बदलती रहती है। जहां आप खड़े हो जाएं तो ऐसा लगेगा जैसे धरती की छाती पर कोई विशालकाय रेत का सर्प लहराता हुआ सो रहा हो।

माउंट केलीमुतु, इंडोनेशिया

माउंट केलीमुतु और तीन रंग बदलने वाली झीलें

इंडोनेशिया की फ्लोरिस द्वीप पर स्थित है माउंट केलीमुतू एक ऐसा ज्वालामुखी जो धरती के सबसे रहस्यमई रंगों को समेटे हुए हैं। यहां एक नहीं तीन झील हैं जो एक ही पहाड़ की चोटी पर मौजूद हैं। लेकिन बात सिर्फ तीन झीलों की नहीं है। इनका सबसे बड़ा रहस्य है इनका रंग बदलना। जी हां, माउंट केमूटू की ये तीनों झीलें समय-समय पर अपना रंग खुद बदल लेती हैं। कभी नीली, कभी हरी, कभी काली और कभी खून की तरह लाल।

कोई भी वैज्ञानिक आज तक यह ठीक-ठीक नहीं बता पाया कि यह रंग कैसे और क्यों बदलते हैं। इन तीनों झीलों के अपने-अपने नाम भी हैं। पहली झील का नाम है तिवु आता बुपु पुरखों की आत्माओं की झील। दूसरी झील है तिवु कोओ फाइनुआ मुुरी युवाओं की आत्माएं और तीसरी झील है तिवु आटा पोलो। उनकी आत्माएं जो बुराई के साथ गई। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह झीलें मरने वालों की आत्माओं का ठिकाना है और जब किसी आत्मा का मूड बदलता है तो झील का रंग भी बदल जाता है।

कभी शांत नीला तो कभी डरावना काला। ऐसा लगता है मानो धरती खुद अपने अंदर की भावनाओं को रंगों के जरिए बाहर ला रही हो माउंट केलीमुतू लगभग 10639 मीटर ऊंचा है और इसकी तीनों झीलें अलग-अलग गहराई और आकार की हैं। पर इनका रहस्य एक ही है। कभी भी किसी भी दिन इनका रंग बदल सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि झीलों के नीचे से निकलने वाली गैस और खनिज इन रंगों के बदलाव की वजह हो सकते हैं। पर अब तक कोई एकतय जवाब नहीं मिला। माउंट केलीिमटू एक ऐसी जगह है जहां पानी बोलता है। आत्माएं रंग बदलती हैं और पूरी घाटी एक रहस्यमय कहानी जैसी लगती है।

परिकाला स्कल्प्चर पार्क, फिनलैंड

Parikkala Sculpture Park

अगर आप कभी फिनलैंड के सफेद सन्नाटों में खो जाएं और एक ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां पेड़-पौधों के बीच खड़े हो सैकड़ों पत्थर जैसे इंसान तो डर मत जाना क्योंकि आप पहुंच चुके होंगे। दुनिया के सबसे रहस्यमई और अजीब स्कल्प्चर पार्क में नाम है परिकाला स्कल्प्चर पार्क। यह जगह फिनलैंड और रशिया की सीमा के पास स्थित है और यहां आपको मिलेंगे 550 से भी ज्यादा इंसानी मूर्तियां जो पहली नजर में देखने पर जैसे आपको घूर रही हो।

हर एक मूर्ति की आंखों में असली दांत लगाए गए हैं जो इनका डरावनापन और भी बढ़ा देते हैं। और सबसे चौंकाने वाली बात इन सभी मूर्तियों को एक अकेले इंसान वेजो रोंगनन ने बनाया था। बिना किसी सरकारी मदद बिना किसी भीड़ के उसने अपनी पूरी जिंदगी इन्हीं अजीब और बोलती हुई मूर्तियों के बीच बिता दी। कुछ मूर्तियां योग करते हुए कुछ युद्ध की मुद्रा में और कुछ अजीब मुस्कान के साथ आपके पीछे खड़ी मिलेंगी।

हर मूर्ति के चेहरे पर एक रहस्य है और हर एक के अंदाज में छिपी है उसके रचयिता की खामोश कहानी। यह स्कल्प्चर पार्क कोई आम कला संग्रहालय नहीं है। यह एक इंसान का मानसिक संसार है। एक ऐसा जंगल जिसमें हर पत्थर एक आत्मा बन चुका है। यहां घूमते हुए लगता है कि हर मूर्ति आपको देख रही है।

जैसे वह अपने अंदर कैद कहानियां सुनाना चाहती हैं। वेजो रंकन की मौत के बाद भी इस जगह को वैसे ही रखा गया है। ना कोई टच करता है ना हटाता है। सब कुछ वैसा ही जैसा वो छोड़ गया था। यह पार्क ना सिर्फ एक कला का अद्भुत उदाहरण है बल्कि एक रहस्यमई एहसास है। जहां मौन बोलता है, पत्थर सांस लेते हैं और अजनबीपन आपको अपनी बाहों में भर लेता है। पर एक कला स्कल्प्चर पार्क। एक ऐसी जगह जो देखने में खूबसूरत लेकिन महसूस करने में थोड़ी डरावनी है।

डॉल विलेज, जापान

Nagoro, Village of Dolls

क्या आपने कभी किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है जहां हर एक घर में जीवन की यादें अपनी चुप सी मुस्कान के साथ खड़ी हो? ऐसा लगता है जैसे हर चीज अपने आप में कहानी सुनाने को तैयार हो। यह रहस्यमय जगह जापान के नागौरों में स्थित है जिसे लोग जानते हैं डॉल विलेज के नाम से जहां लोग नहीं बल्कि गुड़ियों का राज है। दरअसल यह गांव अब बहुत कम आबादी वाला है। लेकिन यहां की कलाकार सूखीमी अयानो ने इसे एक अजीब और रहस्यमय रूप दे दिया।

उसने गांव के खाली घरों और सुनसान रास्तों पर हजारों गुड़िया बनाई जो इस गांव की खोई हुई आत्मा की तरह हर जगह खड़ी हैं। अब जब आप इस गांव में घूमेंगे तो आपको हर मोड़ पर हर रास्ते पर गुड़ियों के चेहरे दिखेंगे। जैसे यह गुड़िया समय के साथ ठहर गई हो और आपसे अपनी कहानी कहने की कोशिश कर रही हो।

इन गुड़ियों का आकार और रूप असाधारण है। कहीं बच्चों की गुड़िया, कहीं बुजुर्गों की और कहीं खेतों में काम करते मजदूरों की। हर एक गुड़िया जैसे किसी भूली हुई याद का चेहरा हो। इन गुड़ियों को बनाने का उद्देश्य था उन लोगों की यादें ताजा रखना जो यहां से चले गए थे या जो अब इस गांव में नहीं रहते। गुड़ियों की आंखों में एक गहरी उदासी है। जैसे वे समय के झूले पर झूलते हुए गुम होती जिंदगी को याद कर रही हो।

डॉल विलेज की हर गली हर मोड़ पर यह गुड़िया आपको देखती हैं। आप जहां भी जाएं लगेगा जैसे उनकी नजरें आपका पीछा कर रही हो। जैसे वह अपनी चुप्प्य ध्वनियों से कुछ कह रही हो। कुछ ऐसा जो आप सुन नहीं सकते लेकिन महसूस जरूर कर सकते हैं। यह गुड़ियां किसी भूतिया कहानी की तरह लगती हैं और उनकी हंसीज़ाक सी आंखों में भी एक गहरा रहस्य छुपा होता है। नगोरों का यह गांव अब इंसानों का नहीं रहा। यह एक सजीव यादों का संग्रह बन चुका है।

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