-: Impact of Climate Change on Agriculture :-
-
फसल उत्पादन में कमी: तापमान में वृद्धि और वर्षा के अनिश्चित पैटर्न के कारण गेहूं, धान, मक्का जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार प्रभावित हो रही है।
-
सूखा और बाढ़: कुछ क्षेत्रों में लगातार सूखा तो कहीं अत्यधिक वर्षा और बाढ़ हो रही है, जिससे खेतों में पानी का असंतुलन पैदा हो गया है।
-
कीट और रोग: गर्मी और नमी बढ़ने से कीटों और फसल रोगों की संख्या बढ़ रही है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
-
मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट: अत्यधिक तापमान और अनियमित वर्षा मिट्टी की नमी और जैविक गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रही है।
-
पशुपालन पर असर: तापमान बढ़ने से पशुओं की उत्पादकता (दूध आदि) घट रही है और चारे की उपलब्धता भी कम हो रही है।
समाधान:
-
जल-संरक्षण तकनीक: टपक सिंचाई (Drip Irrigation), स्प्रिंकलर जैसे जलप्रबंधन उपाय अपनाकर पानी की बर्बादी कम की जा सकती है।
-
जलवायु-रहित फसलें: ऐसी फसलें उगाना जो सूखा, गर्मी या अधिक पानी सहने में सक्षम हों, जैसे मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा)।
-
फसल विविधीकरण: एक ही फसल के बजाय कई तरह की फसलें बोकर जोखिम को कम किया जा सकता है।
-
कृषि बीमा: प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए।
-
जैविक खेती और मिट्टी सुधार: रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का उपयोग कर मिट्टी की सेहत सुधारी जा सकती है।
-
तकनीकी सहायता: मौसम पूर्वानुमान, मिट्टी परीक्षण और कृषि सलाह जैसी सेवाओं से किसान बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
यह भी पढ़े :-
नीति आधारित समाधान:
-
सरकारी योजनाओं का विस्तार:
-
छोटे किसानों के लिए अनुदान और सब्सिडी।
-
हरित क्रांति जैसे कार्यक्रमों का आधुनिक रूप में विस्तार।
-
-
शोध और नवाचार:
-
जलवायु-सहिष्णु बीजों का विकास।
-
मौसम आधारित फसल सलाह प्रणाली का विस्तार।
-
-
कृषि जलवायु केंद्र:
-
प्रत्येक जिले में ‘जलवायु स्मार्ट कृषि केंद्र’ स्थापित किए जाएं, जहाँ किसान जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जानकारी और समाधान प्राप्त कर सकें।
-
-
पर्यावरणीय कानूनों का पालन:
-
जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले उद्योगों और प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण।
-
सामुदायिक और व्यक्तिगत प्रयास:
-
स्थानीय जल स्रोतों का संरक्षण:
-
तालाब, कुंओं और झीलों को पुनर्जीवित करना।
-
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संग्रहण) अपनाना।
-
-
सामूहिक खेती और साझा संसाधन:
-
किसान समूह बनाकर मशीनरी, पानी और संसाधनों को साझा करना।
-
सहकारी समितियों के माध्यम से विपणन और बीज-उर्वरक वितरण।
-
-
कृषि शिक्षा:
-
किसानों को नई तकनीकों, जलवायु जानकारी और टिकाऊ खेती के प्रशिक्षण देना।
-
स्कूलों और कॉलेजों में कृषि जलवायु शिक्षा को बढ़ावा देना।
-
-
कार्बन उत्सर्जन कम करना:
-
खेती में डीज़ल और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को घटाकर प्राकृतिक तरीकों को अपनाना।
-
पेड़ लगाना और जंगलों की कटाई को रोकना।
-
जुड़िये हमारे व्हॉटशॉप अकाउंट से- https://chat.whatsapp.com/JbKoNr3Els3LmVtojDqzLN
जुड़िये हमारे फेसबुक पेज से – https://www.facebook.com/profile.php?id=61564246469108
जुड़िये हमारे ट्विटर अकाउंट से – https://x.com/Avantikatimes
जुड़िये हमारे यूट्यूब अकाउंट से – https://www.youtube.com/@bulletinnews4810