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Diabetes in children

आज के इस दौर में बच्चों को डायबिटीज़ बना रही है अपना शिकार

-: Diabetes in children :-

आज की बदलती जीवनशैली का दुनिया भर के बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है। मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियाँ, जो पहले केवल वयस्कों में देखी जाती थीं, अब छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही हैं। अमेरिका में हुए एक हालिया शोध ने एक नया समाधान पेश किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मोनजारो नामक दवा 10 साल तक के बच्चों में टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।

बच्चों में मधुमेह क्यों बढ़ रहा है?

टाइप 2 डायबिटीज़ को पहले “वयस्क-प्रारंभिक मधुमेह” कहा जाता था, यानी यह केवल वृद्ध वयस्कों में ही पाया जाता था। हालाँकि, पिछले दो दशकों में तस्वीर बदल गई है। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग (सीडीसी) के अनुसार, 2002 में, हर 1,00,000 बच्चों में से लगभग 9 को टाइप 2 डायबिटीज़ थी। 2018 तक, यह आँकड़ा दोगुना होकर 18 हो गया।

अगर यही दर जारी रही, तो विशेषज्ञों का मानना है कि 2060 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका में मधुमेह से पीड़ित बच्चों की संख्या 28,000 से बढ़कर लगभग 2,20,000 हो सकती है। यह न केवल परिवारों के लिए, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती है।

इस बढ़े हुए जोखिम के मुख्य कारण हैं

  • जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • मोबाइल फोन और टीवी पर लंबे समय तक बिताना
  • बचपन में मोटापे की बढ़ती दर

यह दवा कैसे काम करती है?

मोनजारो एक GLP-1-आधारित दवा है। यह दवा शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को सक्रिय करती है और भूख कम करती है। यह वजन घटाने में भी मदद करती है।


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हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि मोनजारो ने बच्चों में HbA1C स्तर (औसत रक्त शर्करा स्तर) को महत्वपूर्ण रूप से कम कर दिया।
नियंत्रित बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) हृदय संबंधी अन्य जोखिम कारकों में भी सुधार हुआ है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके दुष्प्रभाव काफी हद तक वयस्कों में पहले देखे गए दुष्प्रभावों जैसे ही रहे। इसका मतलब है कि यह बच्चों के लिए भी अपेक्षाकृत सुरक्षित साबित हो सकता है।

इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें

  • बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज़ की जल्द पहचान करना ज़रूरी है। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
  • बार-बार प्यास लगना और पेशाब आना
  • थकान और कमजोरी
  • अचानक वजन घटना या बढ़ना
  • घावों या चोटों का देर से ठीक होना

आवर्ती संक्रमण

  • धुंधली दृष्टि

माता-पिता को इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। समय पर उपचार और रोकथाम आवश्यक है।
बचपन में मधुमेह का उपचार न किए जाने से जीवन में आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे: दिल की बीमारी, किडनी खराब, चेता को हानि, दृष्टि पर प्रभाव इसीलिए विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में मधुमेह को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।

भारत में भी खतरा बढ़ रहा है

हालाँकि यह शोध संयुक्त राज्य अमेरिका पर आधारित है, लेकिन भारत भी इससे अछूता नहीं है। हाल के वर्षों में, भारत में बच्चों और किशोरों में मोटापा और मधुमेह की समस्याएँ तेज़ी से बढ़ी हैं। शहरी क्षेत्रों में जंक फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड की आसान उपलब्धता, खेलों का अभाव और खराब जीवनशैली बच्चों को मधुमेह की ओर धकेल रही है।

मधुमेह से बचाव के आसान उपाय

  • बच्चों में मधुमेह की रोकथाम के लिए दवाइयों से ज़्यादा ज़रूरी है एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। कुछ आसान उपाय मदद कर सकते हैं:
  • बच्चों को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा शारीरिक गतिविधि या खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना
  • बच्चों को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों, जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों से दूर रखना
  • संतुलित और पौष्टिक घर का बना भोजन उपलब्ध कराना
  • परिवार के साथ स्वस्थ भोजन और व्यायाम की आदतें विकसित करना
  • समय-समय पर बच्चों के रक्त शर्करा के स्तर की जाँच करें
  • मोनजारो पर शोध ने चिकित्सा जगत में नई उम्मीदें जगाई हैं। अगर इस दवा को बच्चों के लिए आधिकारिक तौर पर मंज़ूरी मिल जाती है,

तो यह टाइप 2 डायबिटीज़ के इलाज में एक बड़ी सफलता होगी। हालाँकि, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दवा के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव ही इसका एकमात्र वास्तविक समाधान है।

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