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LIVING Proofs of MAHABHARAT

वैज्ञानिको को मिले महाभारत के 10 जिन्दा सबूत

आखिर वैज्ञानिकों को मिल ही गए महाभारत के वह 10 सबूत जो चीख-चीख कर गवाही देते हैं कि महाभारत सिर्फ एक कथा नहीं बल्कि एक असली सच था। तो आखिर कौन से हैं महाभारत के वो 10 सबूत? महाभारत कोई आम कहानी नहीं। यह एक ऐसा महाकाव्य है जो धर्म और अधर्म सत्य और झूठ प्यार और बलिदान की कहानी को बयां करता है। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जब पांडव और कौरव आमने-सामने थे तो यह सिर्फ दो भाई पक्षों की लड़ाई नहीं थी।

यह एक पुराने युग का अंत और नए युग की शुरुआत थी। भगवान श्री कृष्ण का गीता उद्देश्य हो, अर्जुन का धर्म संकट, भीष्म की प्रतिज्ञा हो या द्रोपदी का दर्द। यह सब हमें सिखाते हैं कि सच्चाई की राह आसान नहीं होती। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब एक सिर्फ कथा थी या हमारे इतिहास का वो सच जो आज भी हमारी धरती, नदियों और मंदिरों में बिखरा पड़ा है। तो चलिए एक-एक कर कर महाभारत के इन 10 सबूतों को बारीकी से जानते हैं।

कुरुक्षेत्र युद्ध की पवित्र भूमि

हरियाणा में बसा कुरुक्षेत्र वो जगह है जहां पर महाभारत का युद्ध हुआ था। एएसआई की टीम और वैज्ञानिकों ने कुरुक्षेत्र में खुदाई की और जो मिला वो हैरान करने वाला था। यहां तीर, गधा, भाले, तांबे के हथियार मिले जो लगभग 5000 साल से भी अधिक पुराने हैं। वैज्ञानिकों ने इन हथियारों को जांचा और पाया कि उस समय की धातु तकनीक बहुत ही उन्नत थी। कुछ हथियारों में ऐसे तत्व मिले जो उस युग की आम धातुओं से बिल्कुल अलग थे।

साथ ही रथ के पियों के निशान, घोड़ों की हड्डियां और इसके साथ ही बहुत सारे सैनिकों के औजार भी मिले। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी कुरुक्षेत्र की भूमि लाल रंग की मिट्टी से सनी है। जो चीख-चीख कर गवाही देती है कि वहां पर लाखों करोड़ों सैनिकों का खून बहा था। जिस वजह से कुरुक्षेत्र की भूमि आज लाल है। साथ ही कुरुक्षेत्र भूमि के आसपास भीष्म कुंड के अलावा कुछ ऐसे हथियार भी मिले हैं जो चीख-चीख कर गवाही देते हैं कि महाभारत का युद्ध काल्पनिक नहीं बल्कि सच है।

भगवान श्री कृष्ण की डूबी हुई नगरी

गुजरात के समुद्र तट पर बसी द्वारिका भगवान श्री कृष्ण की वह नगरी है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह समुद्र में डूब गई। लेकिन क्या यह सच होसकता है? समुद्र में खोज करने वाले वैज्ञानिकों ने वहां पत्थरों की बड़ी-बड़ी संरचनाएं, मंदिरों के टूटे हुए हिस्से और पुराने महलों के खंडर पाए। जांच में पता चला कि यह अवशेष 5000 से 10,000 साल पुराने हैं।


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एक बड़ा द्वार भी उन्हें मिला जो भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका की याद दिलाता है। तो क्या यह वही द्वारिका है जिसका जिक्र महाभारत में भी है। क्या यह सबूत चीख-चीख कर गवाही नहीं देता? कि भगवान श्री कृष्ण की नगरी कोई कहानी नहीं बल्कि सच थी।

हस्तिनापुर कौरवों और पांडवों का असली घर

उत्तर प्रदेश के मेरठ में हस्तिनापुर वह शहर है जहां कौरव और पांडव रहते थे। यहां खुदाई में पुराने महल, दीवारें और मिट्टी के बर्तन मिले जो तकरीबन 5000 साल से भी अधिक पुराने हैं। यह बर्तन और दीवारें उस समय की समृद्ध संस्कृति को दिखाते हैं।

हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ जिसे आज की दिल्ली कहा जाता है और मथुरा ऐसी जगहें हैं जो महाभारत में बताई गई हैं। इनका वर्णन मिलता है और आज भी यह मौजूद है। क्या यह शहर हमें यह नहीं बताते कि महाभारत की कहानी सच थी।

सरस्वती नदी पवित्र नदी का रहस्य

महाभारत में सरस्वती नदी का जिक्र कई बार आता है। इसे उस समय की पवित्र और बड़ी नदियों में एक माना गया था। लेकिन आज यह नदी कहीं दिखाई नहीं देती। क्या यह सच हो सकता है? वैज्ञानिकों ने उपग्रह, तस्वीरों और जमीन की जांच में पाया कि सरस्वती नदी कभी उत्तर भारत में बहा करती थी। यह नदी तकरीबन 5000 साल पहले सूख गई जो महाभारत के समय में मेल खाता है। क्या यह सबूत नहीं कि महाभारत की कहानी हकीकत है?

तारे और ग्रह आसमान की गवाही

महाभारत में सूर्य, चंद्र, ग्रहण और तारों की स्थिति का जिक्र मिलता है। वैज्ञानिकों ने इनका अध्ययन किया तो पाया यह घटनाएं लगभग 4000 ईसा पूर्व पहले हुई थी। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर ने भी साबित किया कि महाभारत में बताए गए तारे और उपग्रह उस समय उसी स्थिति में मेल खाते थे। क्या इतने सटीक विवरण किसी कहानी में हो सकते हैं?

यह सबूत महाभारत को इतिहास का हिस्साबनाते हैं। सबूत नंबर छह, लाक्षग्रह, पांडवों पर साजिश। महाभारत में लाक्षग्रह की कहानी है। जहां कौरवों ने पांडवों को जलाने की साजिश की थी। उत्तर प्रदेश के बागपत के बरनावा गांव में खुदाई में जली हुई इमारतों के अवशेष मिले जो इस कहानी से बिल्कुल मेल खाते हैं। क्या यह वही लाक्षग्रह हो सकता है जिसे दुर्योधन ने बनवाया था। यह सबूत हमें उस समय की साजिशों के करीब ले जाता है।

वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है कि महाभारत में इस घटना का वर्णन किया गया है और वही सटीक मेल यह खास जले हुए अवशेष अपने आप को चीख-चीख कर गवाही के तौर पर साबित कर रहे हैं। सबूत नंबर सात पांडवों के वनवास की जगह। महाभारत में पांडवों के वनवास का जिक्र मिलता है जो मध्य प्रदेश के चित्रकूट और हिमालय में हुआ था।

चित्रकूट में पांडव गुफाएं और हिमालय में बद्रीनाथ के पास भीम पुल और व्यास गुफा आज भी मौजूद है। स्थानीय लोग इन्हें पांडव से जोड़ते हैं। आपको बता दूं कि हमारे भारतवर्ष में लगभग 1 लाख से भी अधिक ऐसे मंदिर हैं जिन्हें पांडवों द्वारा बनाया गया था या फिर जिन्हें महाभारत के समय अन्य योद्धाओं ने बनाया था।

वेदव्यास और गीता सच्चाई का असली दर्शन

महाभारत के रचयिता वेदव्यास की गुफा बद्रीनाथ के पास आज भी मौजूद है। कहा जाता है यही उन्होंने भगवान गणेश जी को महाभारत की कहानी सुनाई जिसे भगवान गणेश ने अपने हाथों से लिखा। साथ ही भगवत गीता जो महाभारत का हिस्सा है अपने गहन दर्शन के लिए जानी जाती है। क्या इतने गहन विचार सिर्फ एक कहानी का हिस्सा हो सकते हैं? गीता आज भी लाखों लोगों को रास्ता दिखाती है जो महाभारत की सच्चाई को और भी मजबूत करती है।

अश्वत्थामा एक अमर योद्धा

महाभारत में अश्वत्थामा को चिरंजीवी होने का श्राप मिला था। मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ मंदिरों में लोग कहते हैं कि उन्होंने एक रहस्यमय व्यक्ति को देखा है जिसके माथे पर कभी ना ठीक होने वाला एक घाव है। क्या यह अश्वत्थामा हो सकते हैं? यह सिर्फ हम नहीं कह रहे बल्कि इंटरनेट, कई सारी किताबों और यहां तक कि कई सारे बड़े न्यूज़ चैनल ने भी इस बात का दावा किया है कि उन्होंनेअश्वत्थामा को बार-बार आते हुए देखा है। हमारे पुराणों और महाभारत की बात की जाए तो उसमें वर्णन है कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा अश्वत्थामा को चिरंजीवी रहने का श्राप दिया गया था जो कि महाभारत की सच्चाई को बयां करता है।

शिलालेख और लोकथाएं। तमिलनाडु और राजस्थान के पुराने मंदिरों में मिले शिलालेखों में अर्जुन और भीम जैसे योद्धाओं का जिक्र किया गया है। यह शिलालेख उस समय की युद्ध कला को दिखाते हैं। साथ ही महाभारत के कई हिस्सों में महाभारत की लोक कथाएं और गीत आज भी गाए जाते हैं। क्या यह शिलालेख और कहानियां हमें यह नहीं बताती कि महाभारत सच है और पीढ़ियों से चलती आ रही है। लेकिन आज फिर भी आप इसे झूठ क्यों मानते हैं?

इन सारे सबूतों के अलावा कई सारे ऐसे और भी सबूत हैं जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि महाभारत सच था। भगवान श्री कृष्ण द्वारा बरबरीिक से मांगा गया उनका सिर हो जो आज खाटू श्याम के रूप में राजस्थान में मौजूद है या फिर द्वारिका नगरी या फिर कर्ण का वो कवच और कुंडल जो आज भी ओम पर्वत पर भगवान इंद्र द्वारा रखा गया था।

सोनीपत, पानीपत, बागपत बहुत सारे ऐसे स्थान है जिनका वर्णन महाभारत में भी किया गया है। कुरुक्षेत्र के हथियार सरस्वती नदी हो और तारों की गणना जैसे सबूत हमें बताते हैं कि महाभारत कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि हमारे इतिहास का एक जिंदा हिस्सा है। ये वो महाकाव्य है जो हमें धर्म, कर्म और सत्य का रास्ता दिखाते हैं।

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