फ्रिज के बिना कैसे ठंडी रखते थे चीज़ें? जाने कब आया फ्रिज
-: History of the Refrigerator :-
साल था 1927 का जब जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ने अमेरिका में एक ऐसी मशीन बाजार में उतारी जो बिना बर्फ के ही चीजों को ठंडा कर रही थी। नाम था मॉनिटर टॉप रेफ्रिजरेटर। यह दुनिया का पहला मास-प्रोड्यूस्ड इलेक्ट्रिक फ्रिज था। उस समय लोग हैरान रह गए। बर्फ नहीं डाली फिर भी दूध ठंडा कैसे रह गया, यह जादू है या विज्ञान असल में यह एक नए दौर की शुरुआत थी।
जहां इंसान ने प्रकृति की ठंडक को मशीन में कैद करना सीख लिया था, आज वही मशीन हर घर का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेफ्रिजरेटर का आइडिया सबसे पहले किसके दिमाग में आया? पहला फ्रिज किसने बनाया और कैसे? और यह आम लोगों तक कैसे पहुंचा? आज हम जानेंगे रेफ्रिजरेटर के आविष्कार की गजब की कहानी, एक ऐसी कहानी जो बर्फ के गड्ढों से शुरू होकर स्मार्ट फ्रिज तक पहुंचती है।
हजारों साल पहले जब इंसान इलेक्ट्रिसिटी और मशीनों से अनजान था तब भी उसे खाना ठंडा रखने की जरूरत पड़ती थी, प्राचीन रोम, ग्रीस, भारत और चीन में लोग बर्फ के गड्ढों, गुफाओं या आइस हाउसेस में बर्फ को जमा करके रखते थे। फारस की सभ्यताओं ने ठंडक प्राप्त करने के अलग-अलग तरीके अपनाए। वे मिट्टी के बड़े-बड़े गड्ढे खोदते थे। बर्फ को सर्दियों में इकट्ठा करके गर्मियों तक भूसे और मिट्टी से ढका जाता था।
लेकिन सबसे आश्चर्यजनक प्रणाली थी फारस का यक्षाल। यह एक 60 फीट ऊंचा गुंबदनुमा स्ट्रक्चर होता था जो बर्फ को गर्मियों में भी पिघलने नहीं देता था। ‘यक्षाल’ का मतलब होता है ‘आइस फिट’, और इसका सबसे पुराना उदाहरण 400 ईसा पूर्व से भी पहले का है। बिना बिजली के इंसुलेशन, विंड टनल और नेचुरल कूलिंग से बर्फ साल भर ठंडी रहती थी। यानी कि 1000 ईसा पूर्व में भी इंसान बर्फ को संरक्षित करता था। वो भी बिना किसी मशीन के।
वैज्ञानिकों की ठंडक की खोज
1748 में स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक विलियम क्यूलिन ने पहली बार लैब में एक केमिकल को इवापोरेट करके ठंडक पैदा की। उन्होंने ईथर को वैक्यूम में बॉईल किया और पाया कि इवापोरेशन से तापमान गिरता है। लेकिन उनकी खोज सिर्फ एक डेमोंस्ट्रेशन थी। तब तक कोई प्रैक्टिकल मशीन नहीं बन पाई थी। यह इंसानी इतिहास का पहला डॉक्यूमेंटेड आर्टिफिशियल रेफ्रिजरेशन एक्सपेरिमेंट था। 1758 में बेंजामिन फ्रैंकलिन और जॉन हेडलीने इस टेक्निक को और बेहतर किया। उन्होंने अल्कोहल इवापोरेशन से थर्मामीटर को -7° तक ठंडा कर दिया। यह थे रेफ्रिजरेशन साइंस के शुरुआती बीज।
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पहला आर्टिफिशियल रेफ्रिजरेटर
1834 में अमेरिका के जेकब परकिंस ने दुनिया का पहला वर्किंग वेपर कंप्रेशन रेफ्रिजरेटर बनाया। इसमें कंप्रेस्ड गैस को लिक्विड में बदला गया और फिर एक्सपेंड करके ठंडक पैदा की गई। इस इन्वेंशन ने फ्रिज के फ्यूचर को डिफाइन किया, और परकिंस को ‘फादर ऑफ द रेफ्रिजरेटर’ कहा गया। इसके बाद 1850 में ऑस्ट्रेलिया के जेम्स हैरिसन ने प्रिंटिंग प्रेस से पैसा कमाने के बाद कमर्शियल आइस मेकिंग मशीन बनाना शुरू किया, जिससे ब्रूअरी और मीट इंडस्ट्रीज को भारी फायदा हुआ।
फ्रिज पहुंचा आम घरों तक
साल 1913 में फ्रेड डब्ल्यू. वूल्फ ने पहला इलेक्ट्रिक डोमेस्टिक रेफ्रिजरेटर डिजाइन किया। इसमें कंप्रेसर आइस बॉक्स के ऊपर लगा होता था। लेकिन 1927 में जनरल इलेक्ट्रिक ने जब मॉनिटर टॉप फ्रिज लॉन्च किया तब फ्रिज पहली बार अमेरिका के घरों में एक लग्जरी प्रोडक्ट बनकर पहुंचा। इसका डिजाइन राउंड और एलगेंट था। लोग इसे रेफ्रिजरेटर नहीं बल्कि फर्नीचर समझते थे।
जहरीली गैसों से फ्रीऑन तक
शुरुआती फ्रिज में जो गैस इस्तेमाल होती थी, वो थी अमोनिया, सल्फर dioxide और मिथाइल क्लोराइड, जो लीक होने पर जानलेवा होती थी। 1930 में ड्यूपोंट और जनरल मोटर्स ने मिलकर फ्रीऑन 12 यानी कि डाई क्लोरो डीफ्लोरोमीथेन नाम की सेफ और ऑर्डरलेस गैस बनाई। यही गैस अगले 50 साल तक फ्रिज में इस्तेमाल हुई। लेकिन बाद में यह पता चला कि यह ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रही है। जब यह पता चला कि फ्रीऑन 12 जैसी गैसें ओजोन लेयर को नष्ट कर रही हैं तो दुनिया भर में वैज्ञानिक और सरकारें सतर्क हो गईं।
इसके बाद कई समझौते हुए, जैसे 1987 का मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जिसके तहत ओजोन लेयर को बचाने के लिए सीएफसी पर धीरे-धीरे रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके बाद एचसीएफसी जैसी गैसें इस्तेमाल होने लगीं। आजकल ज्यादातर डोमेस्टिक रेफ्रिजरेटर्स में R600A यानी कि आइसोब्यूटेन का उपयोग होता है क्योंकि यह ओजोन लेयर के लिए सेफ है। एनर्जी एफिशिएंट है और कम GWP वाली गैस है।
भारत में फ्रिज की एंट्री
1950 में भारत में पहली बार इम्पोर्टेड रेफ्रिजरेटर पहुंचे। यह सिर्फ अफसरों, अमीर लोगों और राजनेताओं के घरों तक पहुंचे थे। 1970 में शुरू हुआ असली बदलाव जब इंडियन कंपनीज जैसे Godrej, Kelvinator और Voltas ने घरेलू बाजार के लिए फ्रिज बनाना शुरू किया। गोदरेज ने 1958 में भारत का पहला लोकली मेड रेफ्रिजरेटर लॉन्च किया। वहीं व्हर्लपूल ने 1995 में कैल्विनेटर इंडिया को खरीद कर फुल स्केल प्रोडक्शन शुरू किया।
फ्रिज कैसे काम करता है?
कंप्रेसर गैस को कंप्रेस करता है और गर्म करता है। कंडेंसर गर्म गैस को ठंडा करके लिक्विड बनाता है। एक्सपेंशन वाल्व लिक्विड का प्रेशर घटाता है। इवापोरेटर लिक्विड जब इवापोरेट करता है तो ठंडक देता है। यही साइकिल बार-बार चलती रहती है जिससे फ्रिज के अंदर ठंडक बनी रहती है। दोस्तों, आपको जानकर हैरानी होगी कि अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी एक फ्रिज डिजाइन किया था। दरअसल आइंस्टाइन ने 1930 में लियो जिलार्ड के साथ एक ऐसा फ्रिज डिजाइन किया जिसमें कोई मूविंग पार्ट नहीं थे। यह हीट से चलता था।
1953 में बना था पहला सोलर पावर फ्रिज। WHO और यूनिसेफ ने इसे वैक्सीन प्रिजर्वेशन के लिए अपनाया था। आज के स्मार्ट फ्रिज में वाई-फाई, टच स्क्रीन, वॉइस कंट्रोल और यहां तक कि कैमरा सिस्टम भी होता है जो ग्रोसरी खत्म होने पर अलर्ट भी देता है। तो देखा आपने कैसे एक जरूरत ने इंसान को इन्वेंशन के उस रास्ते पर ला दिया जिसने पूरी दुनिया का खानपान, सेहत और लाइफस्टाइल ही बदल दिया है। आज का फ्रिज सिर्फ एक कूलिंग मशीन नहीं। यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अनसीन हीरो है।
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