Contents
-: Soil Testing :-
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फसल के अनुसार पोषक तत्वों का संतुलन:- हर फसल को अलग-अलग पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। मिट्टी की जांच से पता चलता है कि आपकी ज़मीन में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और कौन से नहीं।
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उर्वरक की सही मात्रा तय करना:- बिना जांच के ज्यादा या कम उर्वरक डालना हानिकारक हो सकता है। जांच से सही मात्रा का पता चलता है जिससे लागत कम होती है और पैदावार बढ़ती है।
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मिट्टी की pH स्थिति जानना:- pH से तय होता है कि पौधे मिट्टी से पोषक तत्व कितना अवशोषित कर पाएंगे। यदि pH संतुलित न हो तो फसल खराब हो सकती है।
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लंबे समय तक भूमि की उर्वरता बनाए रखना:- बार-बार एक ही फसल उगाने या बिना जांच के उर्वरक डालने से मिट्टी की उर्वरता घटती है। नियमित जांच से भूमि को संतुलित रखा जा सकता है।
मिट्टी की जांच कैसे करें?
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सैंपल कब लें:- फसल की बुवाई से पहले, या खेत खाली होने पर सैंपल लेना सबसे अच्छा होता है।
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सैंपल कैसे लें:
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खेत के अलग-अलग हिस्सों से (कम से कम 5-6 जगहों से) मिट्टी लें।
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0 से 15 सें.मी. गहराई तक खुदाई करें और मिट्टी निकालें।
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इन सब सैंपलों को मिलाकर एक मिश्रित सैंपल बनाएं।
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सैंपल कैसे पैक करें:
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मिट्टी को छाया में सुखाएं और प्लास्टिक की साफ थैली या डिब्बे में रखें।
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सैंपल पर खेत का नाम, स्थान, तारीख, पिछली फसल आदि लिखें।
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जांच कहां कराएं:
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कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)
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सरकारी या निजी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं
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मोबाइल सॉयल टेस्टिंग वैन (कई राज्यों में चलती हैं)
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जांच रिपोर्ट से क्या जानकारी मिलती है?
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pH स्तर
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नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम की मात्रा
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सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, सल्फर आदि
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कार्बनिक तत्व (Organic Carbon) का स्तर
निष्कर्ष:- मिट्टी की जांच हर किसान के लिए ज़रूरी कदम है, जो फसल की पैदावार, लागत और भूमि की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है। यदि आप स्मार्ट खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपनी मिट्टी को जानिए।
मिट्टी की जांच रिपोर्ट को कैसे समझें और क्या करें?
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pH स्तर (6.5 से 7.5 सामान्य):
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कम pH (अम्लीय): चूना (Lime) मिलाएं
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ज़्यादा pH (क्षारीय): जैविक खाद, गंधक (Sulphur) उपयोग करें
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नाइट्रोजन (N):
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यदि कम हो: यूरिया या गोबर की खाद डालें
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यदि संतुलित हो: जरूरत से ज्यादा उर्वरक न डालें
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फॉस्फोरस (P):
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यदि कम हो: SSP (Single Super Phosphate) या रॉक फॉस्फेट डालें
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पोटैशियम (K):
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यदि कम हो: MOP (Muriate of Potash) या लकड़ी की राख डाल सकते हैं
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सामान्य सिफारिशें:
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जैविक खाद का उपयोग बढ़ाएं
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फसल चक्र अपनाएं (Crop Rotation)
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ढैंचा जैसे हरी खाद वाली फसलें बोएं
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समय-समय पर मिट्टी की जांच दोहराएं (हर 2-3 साल में)
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मिट्टी सुधारने के देसी उपाय
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गोबर की खाद – मिट्टी की बनावट और जैविक क्षमता दोनों सुधरती हैं
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वर्मी कम्पोस्ट – पोषक तत्वों से भरपूर और पर्यावरण के अनुकूल
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नीम की खली – कीट नाशक गुण भी रखती है
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बायोफर्टिलाइज़र – जैसे राइजोबियम, पीएसबी (Phosphate Solubilizing Bacteria)
मुफ्त मिट्टी परीक्षण कहां कराएं?
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प्रधानमंत्री मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card) के तहत
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राज्य सरकार की कृषि विभाग की मोबाइल टेस्टिंग वैन या कृषि मेले में
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नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या ब्लॉक स्तर की कृषि प्रयोगशाला
उर्वरक प्रबंधन: मिट्टी जांच के आधार पर
1. उर्वरक डालने का सही समय:
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बुवाई से पहले (बेसल डोज़): फॉस्फोरस और पोटैशियम
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फसल के विकास के समय (टॉप ड्रेसिंग): नाइट्रोजन
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इससे पौधे को समय पर पोषण मिलता है और उर्वरक की बर्बादी नहीं होती।
2. संतुलित मात्रा का उपयोग करें:
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मिट्टी जांच रिपोर्ट में दी गई सिफारिश के अनुसार उर्वरक डालें।
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उदाहरण:
यदि मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी है पर नाइट्रोजन पर्याप्त है, तो केवल फॉस्फोरस दें, न कि DAP अंधाधुंध।
3. जैविक व रासायनिक उर्वरकों का संयोजन:
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50% जैविक खाद + 50% रासायनिक खाद से बेहतर परिणाम
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इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
4. फोलियर स्प्रे (पत्तियों पर छिड़काव):
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सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे Zinc, Boron आदि को फसल की पत्तियों पर छिड़का जा सकता है।
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इससे पोषक तत्व सीधे अवशोषित होते हैं और असर जल्दी दिखता है।
उर्वरक प्रबंधन की वार्षिक योजना (सुझावित):
फसल | बुवाई से पहले | विकास के दौरान | विशेष सुझाव |
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गेहूं | NPK मिश्रण | यूरिया की टॉप ड्रेसिंग | सल्फर ज़रूरी |
धान | ऑर्गेनिक खाद + DAP | यूरिया (2 बार) | Zinc मिलाएं |
सब्ज़ियाँ | कम्पोस्ट + DAP | NPK छिड़काव | बायोफर्टिलाइज़र |
किसान भाइयों के लिए सुझाव
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हर 2-3 साल में मिट्टी जांच करवाना अनिवार्य बनाएं।
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जांच रिपोर्ट को सुरक्षित रखें और हर फसल से पहले देखें।
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एक बार समझने के बाद, रिपोर्ट पढ़ना और निर्णय लेना आसान हो जाता है।
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आप चाहें तो पास के कृषि अधिकारी से रिपोर्ट समझने में मदद ले सकते हैं।
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