फ़सलों से कीटों और रोगों को दूर रखेंगी आपके आसपास मिलने वाली ये दस पत्तियां

-: जैविक कीटनाशक :-

घरेलू उपायों से फसलों की रक्षा करना एक पारंपरिक लेकिन प्रभावी तरीका है। नीचे ऐसी 10 पत्तियों की सूची दी जा रही है जो कीटों और रोगों से फसलों की रक्षा करने में मदद कर सकती हैं और आमतौर पर हमारे आसपास आसानी से मिल जाती हैं:

आपके आसपास की ये 10 पत्तियां रखेंगी फसलों को कीटों और रोगों से दूर:

  1. नीम की पत्तियां
    👉 प्राकृतिक कीटनाशक, कीटों और फफूंद रोगों को दूर रखती हैं।

  2. धतूरे की पत्तियां
    👉 इसके रस में जहरीले तत्व होते हैं, जो कीट नियंत्रण में सहायक होते हैं।

  3. गिलोय की पत्तियां
    👉 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, पौधों की रोगों से रक्षा करती हैं।

  4. तुलसी की पत्तियां
    👉 एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, फसलों को सड़न और फफूंद से बचाती हैं।

  5. पपीते की पत्तियां
    👉 वायरस-रोधी गुण होते हैं, फसलों को वायरस से बचाने में सहायक।

  6. अरंडी की पत्तियां
    👉 इसके रस से कीटों को दूर भगाया जा सकता है।

  7. गेंदे के पौधे की पत्तियां (Marigold)
    👉 इसकी गंध कीटों को दूर रखती है, साथी पौधे के रूप में उपयोगी।

  8. नींबू या सिट्रस वर्ग की पत्तियां
    👉 इनमें पाए जाने वाले तेल कीट भगाने वाले होते हैं।

  9. करंजी (Pongamia) की पत्तियां
    👉 कीटनाशक गुण होते हैं, जैविक स्प्रे के लिए उपयोगी।

  10. भांग की पत्तियां
    👉 कुछ क्षेत्रों में परंपरागत रूप से कीटनाशक के रूप में प्रयोग की जाती हैं।

उपयोग का तरीका:

इन पत्तियों का अर्क बनाकर या पानी में उबालकर छिड़काव किया जा सकता है। कुछ पत्तियों को खाद में मिलाकर भी उपयोग किया जाता है।

यहां कुछ जैविक कीटनाशक बनाने की विधियां दी जा रही हैं, जिन्हें आप इन पत्तियों का उपयोग करके आसानी से घर पर बना सकते हैं:

1. नीम का कीटनाशक:

सामग्री:

  • नीम की पत्तियां (200-250 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. नीम की पत्तियों को अच्छी तरह से धो लें।

  2. इन्हें 1 लीटर पानी में उबालें और कम से कम 30 मिनट तक उबालें।

  3. पानी ठंडा होने के बाद, पत्तियों को छानकर उनका अर्क निकाल लें।

  4. इसे किसी स्प्रे बोतल में भरकर फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: नीम का तेल कीटों को मारने के साथ-साथ फसलों में रोगों के विकास को भी रोकता है।

2. तुलसी और पपीते का कीटनाशक:

सामग्री:

  • तुलसी की पत्तियां (100 ग्राम)

  • पपीते की पत्तियां (100 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. तुलसी और पपीते की पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर काट लें।

  2. इन्हें 1 लीटर पानी में उबालें और लगभग 30 मिनट तक उबालें।

  3. फिर इसे छानकर ठंडा करें और फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: यह कीटनाशक वायरस, बैक्टीरिया, और अन्य छोटे कीटों को मारने में मदद करता है।

3. धतूरे का कीटनाशक:

सामग्री:

  • धतूरे की पत्तियां (100 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. धतूरे की पत्तियों को काटकर 1 लीटर पानी में उबालें।

  2. इसे 30 मिनट तक उबालने के बाद ठंडा करें और छानकर स्प्रे बोतल में भरें।

  3. इसे पौधों पर छिड़काव करें, खासकर कीट प्रभावित स्थानों पर।

प्रभाव: यह एक शक्तिशाली कीटनाशक है जो विभिन्न कीटों को मारने में प्रभावी है, लेकिन इसका उपयोग सावधानी से करें क्योंकि यह जहरीला हो सकता है।

4. गेंदे का कीटनाशक:

सामग्री:

  • गेंदे की पत्तियां (100 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. गेंदे की पत्तियों को धोकर छोटे टुकड़ों में काट लें।

  2. इन्हें 1 लीटर पानी में उबालें और 20-30 मिनट तक उबालें।

  3. फिर इसे छानकर ठंडा करें और फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: गेंदे की पत्तियों का कीटनाशक मिश्रण कीटों की संख्या को नियंत्रित करता है और साथ ही फसलों में रोगों को भी रोकता है।

5. करंजी की पत्तियों का कीटनाशक:

सामग्री:

  • करंजी की पत्तियां (100 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. करंजी की पत्तियों को धोकर छोटे टुकड़ों में काट लें।

  2. इन्हें 1 लीटर पानी में उबालें।

  3. इसे 20 मिनट तक उबालने के बाद ठंडा करें और छानकर फसलों पर स्प्रे करें।

प्रभाव: करंजी की पत्तियों का अर्क कीटों और फफूंद रोगों को प्रभावी रूप से नष्ट करता है।

6. लहसुन और प्याज का कीटनाशक:

सामग्री:

  • लहसुन (10-12 कलियां)

  • प्याज (1 मध्यम आकार)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. लहसुन की कलियों और प्याज को छीलकर मसल लें।

  2. इसे 1 लीटर पानी में डालकर उबालें।

  3. उबालने के बाद इसे 30 मिनट तक ठंडा होने दें।

  4. फिर इसे छानकर स्प्रे बोतल में भर लें और फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: लहसुन और प्याज का मिश्रण कीटों को दूर रखने में सहायक होता है और यह फसलों के आसपास की गंध को भी बदल देता है, जिससे कीट आकर्षित नहीं होते।

7. खट्टे फल (नींबू, संतरा) का कीटनाशक:

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सामग्री:

  • नींबू या संतरे के छिलके (2-3)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. नींबू या संतरे के छिलकों को छोटे टुकड़ों में काट लें।

  2. इन्हें 1 लीटर पानी में डालकर उबालें।

  3. 20-30 मिनट तक उबालने के बाद ठंडा करके छान लें।

  4. इसे स्प्रे बोतल में भरकर फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: खट्टे फल की खुशबू कीटों के लिए अप्रिय होती है, और यह उन्हें दूर रखने में सहायक होता है। यह जैविक रूप से पौधों की सुरक्षा करता है।

8. चाय के पत्तियों का कीटनाशक:

सामग्री:

  • चाय की पत्तियां (50 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. चाय की पत्तियों को उबालने के लिए पानी में डालें।

  2. 15-20 मिनट तक उबालें और फिर इसे ठंडा करके छान लें।

  3. इसे स्प्रे बोतल में भरकर फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: चाय में मौजूद तत्व कीटों को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। यह पौधों के आसपास के वातावरण को भी स्वस्थ बनाता है।

9. तुलसी और अदरक का कीटनाशक:

सामग्री:

  • तुलसी की पत्तियां (50 ग्राम)

  • अदरक का टुकड़ा (1 इंच)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. तुलसी की पत्तियों और अदरक को काटकर पानी में डालें।

  2. इसे 20-30 मिनट तक उबालें।

  3. फिर इसे छानकर स्प्रे बोतल में भर लें और फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: अदरक और तुलसी का मिश्रण कीटों को भगाने में सहायक होता है, और यह पौधों के रोगों से भी रक्षा करता है।

10. सेंधा नमक और हल्दी का कीटनाशक:

सामग्री:

  • सेंधा नमक (1 चम्मच)

  • हल्दी (1 चम्मच)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. सेंधा नमक और हल्दी को पानी में मिलाकर अच्छे से घोल लें।

  2. इसे स्प्रे बोतल में भरकर फसलों पर छिड़काव करें।

प्रभाव: हल्दी और सेंधा नमक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो पौधों में कीटों और फफूंद से बचाव करते हैं।

11. बैक्टीरिया और फंगस से बचाव के लिए प्राकृतिक खाद:

सामग्री:

  • गाय का गोबर (100 ग्राम)

  • पानी (1 लीटर)

विधि:

  1. गाय के गोबर को पानी में डालकर अच्छे से घोल लें।

  2. इसे 24 घंटे तक उबालने के बाद, फसलों में डालें।

प्रभाव: यह मिश्रण पौधों को मजबूत बनाता है और फफूंद तथा बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाता है।

इन जैविक उपायों को अपनाने से आप न सिर्फ फसलों को कीटों और रोगों से बचा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह एक अच्छा कदम होगा। इन उपायों को नियमित रूप से उपयोग में लाकर आप अपनी फसलों को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं।

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