-: vegetable farming in home :-
घर की खाली ज़मीन में सब्ज़ी की खेती शुरू करना एक बहुत अच्छा विचार है — इससे आपको ताज़ी सब्ज़ियाँ भी मिलेंगी और खेती का आनंद भी। नीचे स्टेप-बाय-स्टेप गाइड दी गई है जिससे आप आसानी से शुरुआत कर सकते हैं:
1. ज़मीन की जाँच करें
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सूरज की रोशनी: कम से कम 5–6 घंटे धूप ज़रूरी है।
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मिट्टी: दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी को नरम और उपजाऊ बनाएं।
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जल निकास (Drainage): पानी जमा न हो, इसलिए ज़मीन थोड़ा ऊँची या ढलान वाली हो तो बेहतर।
2. मिट्टी तैयार करना
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गहरी खुदाई करें: 1-1.5 फुट तक खुदाई करें।
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गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाएँ: मिट्टी में 8-10 किलो प्रति वर्ग मीटर खाद मिलाएं।
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अगर ज़मीन सख्त है: तो बालू और पत्तों की खाद मिलाएँ।
3. सब्ज़ियाँ चुनना (सीज़न के अनुसार)
मौसम | सब्ज़ियाँ |
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गर्मी | टमाटर, बैंगन, मिर्च, लौकी, तोरई, भिंडी |
सर्दी | पालक, मेथी, सरसों, मूली, गाजर, गोभी |
बारिश | लोबिया, परवल, करेला, भिंडी |
4. बीज बोना या पौधे लगाना
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बीज को पहले अंकुरित करें (seedling tray या छोटी क्यारी में)।
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फिर पौधों को 15-20 दिन बाद मुख्य खेत में लगाएँ।
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पंक्तियों की दूरी: आमतौर पर 1-1.5 फुट।
5. सिंचाई (पानी देना)
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सुबह या शाम को नियमित पानी दें।
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ज्यादा पानी से बचें (जड़ें सड़ सकती हैं)।
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ड्रिप सिंचाई या बूंद-बूंद सिंचाई बेहतर है।
6. देखभाल और रोग नियंत्रण
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नीम का घोल या गोमूत्र आधारित जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें।
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खरपतवार हटाते रहें
7. नियमित देखभाल कैसे करें?
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✅ निंदाई-गुड़ाई (Weeding & Loosening):
हर 10–15 दिन में मिट्टी को थोड़ा-थोड़ा खोदें, इससे जड़ें ऑक्सीजन लेती हैं और खरपतवार हटते हैं।
✅ जैविक खाद डालना:
हर 20–25 दिन में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी हुई पत्तियाँ डाल सकते हैं।
✅ सहारा देना (Trellis/Support):
टमाटर, मिर्च, करेला, लौकी जैसे पौधों को सहारे की ज़रूरत होती है, लकड़ी या तार की मदद से।
8. कीट व रोग नियंत्रण
प्राकृतिक उपाय:
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नीम का तेल + पानी का स्प्रे (5ml नीम तेल प्रति लीटर पानी)।
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लहसुन + मिर्च + साबुन का घोल बनाकर छिड़काव।
सामान्य रोग:
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पत्तियाँ पीली होना = नाइट्रोजन की कमी।
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पत्तियों पर धब्बे = फंगल अटैक, नीम का स्प्रे करें।
9. फसल कटाई (Harvesting)
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सब्ज़ियाँ समय पर तोड़ लें वरना उनका स्वाद और पौधे की उत्पादकता दोनों कम हो जाते हैं।
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जैसे भिंडी हर 2 दिन में, पालक 25-30 दिन में, लौकी 50-60 दिन में तैयार होती है।
10. फसल चक्र (Crop Rotation)
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हर सीज़न नई सब्ज़ी लगाएँ जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और कीट नहीं पनपें।
बोनस टिप्स:
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मुलचिंग (Mulching): पौधों के आसपास सूखी घास/पत्तियाँ बिछा दें जिससे नमी बनी रहे और खरपतवार कम हो।
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बारिश के समय: थोड़ी ऊँची बेड बनाकर खेती करें ताकि पानी न रुके।
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घर की रसोई से बचा हुआ कचरा (Bio-waste) से कम्पोस्ट बनाएं — सस्ता और बेहतरीन खाद।
11. ज़्यादा उत्पादन के लिए स्मार्ट प्लानिंग
✅ मिश्रित फसलें (Intercropping):
एक ही बेड में ऐसी सब्ज़ियाँ लगाइए जो एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह उगें:
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टमाटर + धनिया
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मक्का + मूली
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मिर्च + पालक
✅ साथी पौधे (Companion Planting):
कुछ पौधे एक-दूसरे को कीटों से बचाते हैं और विकास में मदद करते हैं।
उदाहरण:
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तुलसी टमाटर के पास लगाएँ — कीड़े नहीं आते।
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गेंदे के फूल (Marigold) – लगभग किसी भी सब्ज़ी के पास लगाएं, यह कीट भगाता है।
12. अगर थोड़ी बिक्री भी करनी हो…
अगर आपकी उपज ज़्यादा हो जाए तो आप थोड़ी बहुत लोकल मार्केट, अपना स्टॉल, या सोसायटी में शेयरिंग भी कर सकते हैं।
शुरुआत के लिए सुझाव:
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छोटी टोकरी में “मिक्स सब्ज़ी पैक” बनाएं।
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व्हाट्सएप ग्रुप/लोकल कनेक्शन से ऑर्डर लें।
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“बिना केमिकल वाली सब्ज़ी” बोलना ही अपने आप में USP है।
13. ज़रूरी उपकरण (Basic Tools List)
उपकरण | काम |
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खुरपी/कुदाल | खुदाई और गुड़ाई |
पानी का पाइप/झारी | सिंचाई |
छाटने की कैंची | पुराने पत्ते या शाखाएँ हटाने के लिए |
दस्ताने और टोपी | सुरक्षा के लिए |
14. सालभर की प्लानिंग (Seasonal Calendar Idea)
महीना | लगाने योग्य सब्ज़ियाँ |
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जनवरी–फरवरी | गोभी, ब्रोकली, पालक |
मार्च–अप्रैल | भिंडी, टमाटर, बैंगन |
मई–जून | करेला, लौकी, तोरई |
जुलाई–अगस्त | लोबिया, सेम, हरी मिर्च |
सितंबर–अक्टूबर | मूली, मेथी, बथुआ |
नवंबर–दिसंबर | सरसों, गाजर, प्याज़ |
पानी और धूप की उपलब्धता कैसी है?
धूप की भूमिका (Sunlight)
सब्ज़ियों को कम से कम 4–6 घंटे की सीधी धूप चाहिए होती है। इससे:
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पौधों में फोटोसिंथेसिस अच्छी होती है
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फल और सब्ज़ियाँ स्वादिष्ट और पौष्टिक बनती हैं
कैसे पता करें कितनी धूप मिल रही है?
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अगर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक धूप पड़ती है → बहुत अच्छा
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सिर्फ सुबह या सिर्फ शाम की धूप है → छांव वाली सब्ज़ियाँ लगाएँ (पालक, धनिया, मेथी आदि)
पानी की उपलब्धता (Water Supply)
सब्ज़ियों को नियमित सिंचाई चाहिए:
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हर 1–2 दिन में हल्की सिंचाई, खासकर गर्मियों में
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मिट्टी सूखने न पाए, लेकिन पानी जमा भी न हो
कैसे पानी दे सकते हैं:
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नली या पाइप से
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बाल्टी और मग से (छोटे प्लॉट में)
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