-: Story Of Kakbhushundi :-
आज हम काकभुशुण्डि के विषय में बात कर रहे हैं इनके बारे में माना जाता है कि इन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त है तो यदि आप इनकी गणना चिरंजीविकल नहीं होगा काक भुषी का वर्णन वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस दोनों में देखने को मिलता है इसके अतिरिक्त यह भी दावा किया जाता है कि इन्हें मिले वरदान के कारण यह भूत भविष्य और वर्तमान तीनों कालों में घटित हुई घटनाओं को देख सकते हैं काग भुषी एक दिलचस्प गिरदार है और इनके विषय में कई प्रथाएं भी प्रचलित हैं ।
कथाओं के अनुसार एक बार जब भगवान शिव माता पार्वती को भगवान विष्णु के राम अवतार की कथा सुना रहे थे तभी एक कौवे ने उनकी बातें सुन ली और उसे पूरी राम कथा के बारे में पता चल गया यही कौवा आगे जाकर काक भुषी के नाम से प्रख्यात हुआ मान्यता है कि काग भुषी ने पृथ्वी पर कई बार जन्म लिया और अपने कई जन्मों में से एक जन्म में वो भगवान शिव के अनन्य भक्त बने हालांकि ऐसा माना जाता है कि उनके जो गुरु थे वो वैष्णव थे मतलब वो भगवान नारायण की पूजा किया करते थे और अपने शिष्य कभुशुण्डि को भी नारायण की आराधना करने के लिए कहते थे।
किंतु काकभुशुण्डि शिव के अतिरिक्त सबको हीन यानी छोटा मानते थे उनके लिए केवल शिव ही भगवान थे और इसी सोच और ईगो के कारण उन्होंने भगवान विष्णु का अपमान कर दिया और उनकी पूजा करने से भी मना कर दिया अपने आराध्य के अपमान से क्रोधित होकर भगवान शिव ने काकभुशुण्डि को श्राप दे दिया कि उन्हें 1000 बार पशु योनि में जन्म लेना होगा इस श्राप से काकभुशुण्डि और उनके गुरु दोनों अत्यंत दुखी हुए काकभुशुण्डि के गुरु ने बड़ी विनम्रता से भगवान शिव से उनका दिया श्राप वापस लेने की प्रार्थना की।
उनके गुरु से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा कि मैं अपना श्राप तो नहीं लौटा सकता लेकिन मैं यह वरदान देता हूं कि काग भुषी को अपना हर जन्म याद रहेगा जिससे इसे अनन्य ज्ञान की प्राप्ति होगी और हर जन्म में इनकी मृत्यु बिना किसी कष्ट या पीड़ा के हो जाएगी यही कारण है कि काकभुशुण्डि ने अपने कई जन्मों में कई युगों को देखा और जिया भी इस घटना से एक कहानी और भी जुड़ी है ऐसा माना जाता है कि काकभुशुण्डि अहंकार में आकर अपने गुरु का अपमान कर दिया था।
वो खुद को अपने गुरु से ज्यादा विद्वान और श्रेष्ठ समझने लगे थे और इसी बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने उन्हें 1000 बार पशु योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया था बाकी की कथा वैसी ही है काग भुषी के बारे में यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि कि श्री राम के जन्म के बाद उन्हीं के द्वारा उन्हें इस श्राप से मुक्ति प्राप्त होगी इसके बाद काकभुशुण्डि राम भक्ति में लीन हो गए।
ऐसा माना जाता है कि काकभुशुण्डि ने कौई के रूप में अयोध्या में वास किया और श्री राम का बचपन और उनकी लीलाएं भी देखी श्री राम के द्वारा ही उन्हें श्राप से मुक्ति मिली लेकिन मुक्त होने के बाद भी उन्होंने कवे का रूप ही बनाए रखा क्योंकि उनकी प्रभु श्री राम की भक्ति उन्होंने इसी रूप में की थी काकभुशुण्डि के एक जन्म की कथा और प्रचलित है ऐसी मान्यता है कि एक बार काकभुशुण्डि ने एक ब्राह्मण और राम भक्त के रूप में जन्म लिया था।
उस समय लोमस नाम के ऋषि थे जो निर्गुण भक्ति में विश्वास करते थे। एक बार जब वो सत्संग कर रहे थे तब काकभुशुण्डि ने उनकी निर्गुण भक्ति प्रणाली पर कई प्रश्न उठाए और उनकी भक्ति प्रक्रिया को मानने से इंकार कर दिया उनके विवादों कटाक्ष प्रश्नों और वाद विवाद से क्रोधित होकर ऋषि लोमेश ने काकभुशुण्डि को कौवा बनने का श्राप दे दिया इस तरह पुनः काकभुशुंडी को कौवे का रूप प्राप्त हुआ काकभुशुंडी ने ऋषि से क्षमा मांगी और ऋषि लोमेश को भी अपने दिए हुए श्राप पर पछतावा हुआ और उन्होंने काकभुशुंडी को इच्छा मृत्यु का वरदान दे दिया।
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काकभुशुण्डि के विषय में एक और बात प्रचलित है जो शायद रामायण और महाभारत को लेकर के आपका दृष्टिकोण बदल द ऐसा माना जाता है कि काकभुशुंडी ने जो 11 रामायण और 16 महाभारत देखी हैं उनमें अलग-अलग परिणाम होने की संभावनाएं बताई जाती हैं यानी जिस महाभारत और रामायण के विषय में हम जानते हैं वही अंतिम सत्य हो ये जरूरी नहीं है इसके अलावा य जो मल्टी वर्ड्स टाइम इफेक्ट्स और टाइम ट्रेवल की बातें जो आज इतनी प्रचलन में है इन सबके बारे में आप योग वशिष्ठ किताब में पढ़ सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस किताब के जरिए मॉडर्न फिजिक्स के कई कांसेप्ट को समझा जा सकता है और इस किताब में काकभुशुण्डि ने ब्रह्मांड के और भी कई रहस्यों के बारे में लिखा है इन शॉर्ट काकभुशुंडी ने युगों ब्रह्मांड और अंतिम सत्य को बहुत करीब से देखा है और यह सब योग वशिष्ठ के द्वारा पढ़ा और समझा जा सकता है काकभुशुण्डि के बारे में कई और कथाएं प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि जिस तरह से माता यशोदा ने श्री कृष्ण के मुख में पूरा ब्रह्मांड देखा था उसी तरह का भुषी ने भगवान राम के मुख में पूरा ब्रह्मांड देखा था।
इसके अलावा एक कथा और प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि श्री राम की वास्तविकता जानने के बाद भी एक ऐसी घटना हुई कि स्वयं काकभुशुण्डि को भी उनके नारायण होने पर संदेह हो गए एक बार काकभुशुण्डि ने बचपन में श्री राम के मुख से रोटी छीन ली जिके कारण श्रीराम जोर-जोर से रोने लगे इस पर काकभुशुण्डि को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्हें लगा कि तीनों जगत के स्वामी एक रोटी के टुकड़े के लिए इस तरह से क्यों रोएंगे उन्हें लगा कि ये तो कोई आम बच्चा है और इसलिए वहां से उड़कर के वो दूर आसमान में चले गए।
आसमान में एक ऊंची उड़ान भरी और जब फिर पीछे मुड़ कर के देखा तो उन्हें बालराम दिखाई दी उनके पीछे-पीछे वहां तक पहुंच गए थे इसे देख कर के काकभुशुण्डि को विश्वास हो जाता है कि वो बालक नारायण ही है श्री राम के नारायण स्वरूप को लेकर गरुड़ और काग भुषी का संवाद भी काफी प्रचलित है एक बार राम रावण युद्ध के समय भगवान राम पर नागपाल से प्रहार किया गया था वो स्वयं उन नागों के बंधन से बाहर नहीं आ पा रहे थे।
इसलिए भगवान के कहने पर गरुड़ ने श्री राम की सहायता की और सारे नागों को मारकर श्री राम को मुक्त किया गरुड़ इस घटना के बाद गहन सोच में पड़ गए वो विचार करने लगे कि क्या वाकई में ये उनके प्रभु और तीनों लोगों के स्वामी प्रभु नारायण ही हैं वो जिनके आसन पर स्वयं शेषनाग विराजमान होते हैं वो एक नाग पाश को भी तोड़ ना सके ऐसा कैसे संभव है।
गरुड़ की शंका का समाधान तब हुआ जब का घोसुंडी ने उन्हें अपने निजी अनुभव और श्री राम की कथा के विषय में सब कुछ बताया काकभुशुण्डि माइथोलॉजी का एक बड़ा इंटरेस्टिंग किरदार है वो राम भक्त हैं पर एक समय ऐसा था जब वो नारायण को भगवान के रूप में मानते ही नहीं थे वह चिरंजीवी हैं पर उनके धरती पर होने का कोई विशेष कारण नहीं है।
जहां उनके पास कई कल्पों का अनुभव है तो दूसरी तरफ उन्हें बार-बार अपनी गलतियों के लिए श्राप भी भुगतना पड़ा है ये कहना गलत नहीं होगा कि केवल ज्ञान होना काफी नहीं है अगर उस ज्ञान के साथ विनम्रता ना आ जाए और आप ये ना समझ सकें कि चेंज इज द रियल कांस्टेंट तो आपका ज्ञान आपके विनाश का कारण भी बन सकता है
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