सबरीमाला मंदिर का रहस्य

-: Sabarimala Temple :-

सबरीमाला मंदिर भारत के केरल राज्य के पठानमथिट्टा ज़िले में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है, जो भगवान अयप्पा को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके साथ कई रहस्य, परंपराएँ और विवाद भी जुड़े हुए हैं। आइए इसके कुछ रहस्यों और विशेषताओं पर नजर डालते हैं:

सबरीमाला मंदिर का रहस्य और विशेषताएं

1. महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंध (10-50 वर्ष आयु वर्ग)

  • सबसे चर्चित रहस्य और परंपरा यह है कि 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती थी।

  • इसका कारण भगवान अयप्पा की ब्रह्मचारी (celibate) स्थिति बताई जाती है।

  • हालांकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को असंवैधानिक बताया और सभी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी, लेकिन स्थानीय परंपरा और विरोध के कारण यह अभी भी एक संवेदनशील मुद्दा है।

2. व्रतम (Vratham) की अनोखी परंपरा

  • दर्शन से पहले 41 दिन का व्रतम रखना अनिवार्य होता है।

  • इस दौरान भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, शराब और मांस से दूर रहना होता है, और काले वस्त्र पहनने होते हैं।

  • वे खुद को ‘स्वामी अयप्पा’ कहकर पुकारते हैं, यानी सभी भक्तों को भगवान का रूप माना जाता है।

3. जंगल के बीच स्थित तीर्थ

  • मंदिर घने जंगलों और पर्वतों के बीच स्थित है और वहाँ तक पहुँचने के लिए तीर्थयात्रियों को कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है।

  • यह रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिकता और साहसिकता का संगम है।

4. मकर ज्योति का चमत्कार

  • हर साल मकर संक्रांति के दिन “मकर ज्योति” नामक दिव्य प्रकाश पहाड़ी पर प्रकट होता है, जिसे हजारों भक्त चमत्कार मानते हैं।

  • कुछ इसे प्राकृतिक या मानव-निर्मित मानते हैं, लेकिन भक्तों के लिए यह भगवान अयप्पा का दर्शन होता है।

5. हर धर्म के लिए खुला दरवाज़ा

  • यह मंदिर समानता का प्रतीक है – ऐतिहासिक रूप से एक मुस्लिम व्यक्ति वावर का भी मंदिर के पास स्मारक है, जिससे धार्मिक सौहार्द का संदेश मिलता है।

सबरीमाला मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं और इससे जुड़े किरदारों के रहस्य:

भगवान अयप्पा और महिषी की कथा

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अयप्पा का जन्म और उद्देश्य

  • अयप्पा को हरिहरपुत्र कहा जाता है, क्योंकि उनका जन्म भगवान शिव और विष्णु के मोहिनी रूप से हुआ था।

  • उनका अवतार राक्षसी महिषी (महिषासुर की बहन) को मारने के लिए हुआ था, जो केवल एक ऐसे पुत्र से मारी जा सकती थी जो शिव और विष्णु दोनों का हो।

महिषी का वध

  • महिषी को अयप्पा ने सबरीमाला की पहाड़ियों में युद्ध कर के मारा।

  • वध के बाद महिषी का रूप बदल गया और वह देवी में परिवर्तित हो गई। उसने अयप्पा से विवाह का प्रस्ताव रखा।

  • लेकिन अयप्पा ने ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली थी, इसलिए उन्होंने कहा – “जब कन्याएँ मेरी पूजा करना बंद कर देंगी, तभी मैं तुमसे विवाह करूंगा।”

  • इसी वजह से 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा शुरू हुई।

वावर स्वामी – मुस्लिम भक्त

वावर की कहानी

  • वावर एक मुस्लिम योद्धा थे, जिनसे अयप्पा का युद्ध हुआ था। लेकिन युद्ध के बाद अयप्पा ने उन्हें माफ किया और अपना भक्त बना लिया।

  • आज भी सबरीमाला यात्रा के दौरान वावर मस्जिद (एरुमेली में) जाकर श्रद्धालु उन्हें सम्मान देते हैं।

  • यह हिन्दू-मुस्लिम एकता और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

मकर ज्योति और दिव्य दर्शन

  • मकर संक्रांति की रात को एक खास तारे (Makara Nakshatra) के साथ एक दिव्य प्रकाश दिखाई देता है जिसे “मकर ज्योति” कहते हैं।

  • कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह एक पूर्वनियोजित अग्नि होती है, लेकिन भक्तों के लिए यह अयप्पा की उपस्थिति का संकेत है।

  • लाखों लोग उसी दिन मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

तीर्थ यात्रा की अनोखी प्रक्रिया

  • यात्रा की शुरुआत एरुमेली से होती है, फिर भक्त पंबा नदी में स्नान कर के आगे बढ़ते हैं।

  • 18 पवित्र सीढ़ियाँ (Pathinettampadi) चढ़कर मंदिर में प्रवेश किया जाता है। हर सीढ़ी का अलग महत्व है – जैसे काम, क्रोध, मोह आदि पर विजय।

18 पवित्र सीढ़ियाँ – आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक

प्रतीकात्मक महत्व

इन सीढ़ियों को चढ़ना सिर्फ एक भौतिक कार्य नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। हर सीढ़ी हमारे अंदर के एक “दोष” या “बंधन” का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे पार करके ही कोई भगवान अयप्पा के दर्शन तक पहुँच सकता है।

18 सीढ़ियों के अर्थ

सीढ़ियों को तीन भागों में बाँटा जाता है:


पहली 5 सीढ़ियाँ – पाँच इंद्रियाँ (Pancha Indriyas)

  1. काम (Desire)

  2. क्रोध (Anger)

  3. लोभ (Greed)

  4. मोह (Attachment)

  5. अहंकार (Ego)

 इन पर विजय पाना आत्मशुद्धि का पहला चरण है।

अगली 8 सीढ़ियाँ – अष्ट ऋषि (Ashta Rishis)

  1. पुलस्त्य

  2. वशिष्ठ

  3. अंगिरा

  4. अत्रि

  5. मरिचि

  6. भ्रगु

  7. कश्यप

  8. गौतम

ये ऋषि ज्ञान और संयम के प्रतीक हैं। यात्री इन गुणों को आत्मसात करता है।

अंतिम 5 सीढ़ियाँ – पंचभूत (Pancha Bhootas)

  1. पृथ्वी

  2. जल

  3. अग्नि

  4. वायु

  5. आकाश

 इन पर विजय का अर्थ है – प्रकृति से एकाकार होना। तभी इंसान भगवान के दर्शन के योग्य बनता है।

इरुमुडी किट के बिना प्रवेश नहीं

  • इन 18 सीढ़ियों को तभी चढ़ा जा सकता है जब भक्त के पास इरुमुडी किट (Irumudi Kettu) हो।

  • यह एक दो-भागों वाली पोटली होती है, जिसमें एक भाग भगवान के लिए समर्पित होता है (पूजा सामग्री) और दूसरा भाग भक्त के लिए (भोजन आदि)।

  • इरुमुडी के बिना कोई भी भक्त इन सीढ़ियों पर पाँव नहीं रख सकता – यह एक अटूट परंपरा है।

इन सीढ़ियों को चढ़ना – आत्मा की चढ़ाई

इन 18 सीढ़ियों को पार करना एक आत्मा की यात्रा माना जाता है – जहाँ इंसान अपनी वासनाओं, क्रोध, लालच, मोह और अहंकार को त्यागकर शुद्ध होकर भगवान अयप्पा के शरण में जाता है।

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