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Omkareshwar Temple History

क्या हुआ जब विज्ञानिक ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के गर्वग्रह मै गए!

-: Omkareshwar Temple History :-

यह बात है कुछ समय पहले की ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में मरम्मत का काम चल रहा था क्योंकि हजारों साल पुराने इस मंदिर की नींव कमजोर हो गई थी मरम्मत का काम करते वक्त अचानक दीवारों के अंदर से एक रहस्य में रास्ता अपने आप खुल गया जो किसी दें इस मंदिर के नीचे जा रहा था यह नजारा देखते ही सभी लोगों में हड़कंप मच गया फिर जैसे-तैसे वैज्ञानिकों को इसकी सूचना दी गई मौका पाकर वैज्ञानिक आए और इस तरह से में रास्ते के अंदर शोध करना शुरू कर दिया पर जैसे ही वे इसके अंदर गए उन्हें कुछ ऐसा दिखाई दिया जिसे देख वहां मौजूद सभी वैज्ञानिकों के होश उड़ गए।

उन्होंने अंदर ऐसी एक चीज देख ली जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी यह चीज देखने के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर सवाल उठने लगे और कहा गया कि असली मंदिर तो इस मंदिर के नीचे मौजूद है और नीचे ऐसी चीजें मौजूद है जिसकी कल्पना मात्र सेही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे आखिर वैज्ञानिकों ने इस मंदिर के नीचे ऐसा क्या देख लिया आखिर क्यों मौजूदा ओंकारेश्वर मंदिर के ज्योतिर्लिंग पर सवाल उठने लगे आखिर अंदर ऐसा क्या है जो अगर बाहर आ गया तो सब कुछ बदल देगा आखिर क्या है इन सब के पीछे का रहस्य

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग यह भारत के मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है यह मंदिर नर्मदा नदी के बीच मंदता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है यह दीप हिंदू पवित्र चिन्ह ओम के आकार में बना हुआ है यहां दो मंदिर स्थापित है ओंकारेश्वर और कि अमरेश्वर यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना भी की थी जिन्हें भगवान शिव ने देवताओं का धनपति बनाया था।

कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा के बाल से कावेरी नदी में उत्पन्न की थी यह नदी कुबेर मंदिर के बाजू से बेहतर नर्मदा जी से मिलती है ओंकारेश्वर शिवलिंग किसी मनुष्य द्वारा घड़ा या तराशा नहीं गया बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है इसके चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है। अधिकतर मंदिर में लिंग की स्थापना गर्भ गृह के मध्य में की जाती है और उसके ठीक ऊपर शिखर होता है किंतु यह ओंकारेश्वर लिंग मंदिर की गुंबद के नीचे नहीं है।

इसकी एक विशेषता यह भी है कि मंदिर के शिखर के ऊपर भगवान महाकाल की मूर्ति लगी है लेकिन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर के शिखर के बीच में ना होने की वजह कुछ और ही बताइए है और यह धारणा उस समय पैदा हुई जब इस मंदिर के गर्भ-गृह है कि मरम्मत में एक ऐसा रहस्य मेरा सामने अपने आप खुल गया जिसे देखकर वैज्ञानिकों ने भी दांतो तले उंगली दबा ली दरअसल ओंकारेश्वर मंदिर में लगे पत्थरों के चरण व पानी के रिसाव के कारण फाउंडेशन कमजोर होने की आशंका के चलते प्रशासन ने इसकी 3D सर्वे करवाया जिसमें गर्भ गृह के नीचे खाली रास्ता दिखाई दिया।

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जिसके बाद लगातार कंप्यूटराइज नक्शे तैयार होने लगे पता लगाया गया शिखर के गर्भ गृह के बीच पांच मंदिर है इसका मतलब ओंकारेश्वर मंदिर पांच मंजिल का है जिनकी शुरुआत ओमकार जी महाराज से होती है ऊपर के चार शिवलिंग और नंदी महाराज शिखर की सीध में है लेकिन ओमकार जी महाराज का शिखर व नंदी महाराज दोनों ही जगह अलग-अलग है फिर बाद में गर्भ गृह की दीवारों के पत्थरों को खोजने का काम शुरू कर दिया लेकिन दो घंटे की मस्कत के बाद भी सबल और मशीन से भी तीन फीट तक खुदाई हो सकी लेकिन कुछ समय बाद ही सबल फस गया जो काफी देर तक निकला ही नहीं।

इस शोध में पता चला कि ओंकारेश्वर मंदिर के नीचे जो मंदिर निकला है उसकी बनावट और आर्किटेक्ट देख ऐसा लगता है कि यह सातवीं शताब्दी से पहले का है ओंकारेश्वर के ओम्कार पर्वत पर बने मंदिर और वहां बिखरे अवशेषों को देखकर यह प्रतीत होता है कि ओंकारेश्वर आनंदी काल में ऋषि-मुनियों और साधु संन्यासियों की तपभूमि और अध्यात्म का केंद्र रही है ओम्कार पर्वत का वर्णन तो यजुर्वेद में भी मिलता है इन मंदिरों को बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया है वह पत्थर भी यहां के नहीं है यह कहीं बाहर से लाकर मंदिर में उपयोग किए गए थे।

इस शोध में यह भी कहा गया कि जहां भी शिवलिंग होता है उसके ठीक सामने नंदी की मूर्ति होती है और मंदिर के शीर्ष के ठीक नीचे एक शिवलिंग होता है लेकिन ओंकारेश्वर मंदिर में ऐसा नहीं है और इसीलिए कहा गया है कि असली ज्योतिर्लिंग इस मंदिर के गर्भ गृह के ठीक नीचे मौजूद है और उधर ही नंदी का मुख भी है मंदिर के नीचे दबा ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया है कि जब मुगलों का आक्रमण हुआ था तब पंडितों ने उनको चकमा देने के लिए असली ज्योतिर्लिंग को नीचे दबा दिया और उनको भटकाने के लिए यहां एक शिवलिंग का निर्माण किया और आज भी असली ज्योतिर्लिंग इस मंदिर के नीचे ही मौजूद है।

इस मंदिर पर शुद्ध कुछ समय के लिए ही चला लेकिन बाद में शोध बंद करवा दिया गया और यह कहा गया कि अगर इस मंदिर के साथ छेड़छाड़ हुई तो यह मंदिर गिर भी सकता है और जिसकी वजह से बहुत नुकसान भी हो सकता है ओंकारेश्वर मंदिर के नीचे जो रहस्य मौजूद है वह खुलकर इस दुनिया के सामने तो ना सका लेकिन भविष्य में यह रहस्य सबके सामने जरूर आएगा  

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