Ganesh Chaturthi 2024 : रिद्धि-सिद्धि कैसे बनीं गणपति की पत्नियां, भगवान गणेश का ‘शुभ और लाभ’ से क्या है संबंध?

-: Ganesh Chaturthi 2024 :-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विघ्नहर्ता पार्वती नंदन को भी दो बार विवाह करना पड़ा था। रिद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश की पत्नी माना जाता है। ये दोनों देवियाँ धन, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रतीक हैं।

रिद्धि-सिद्धि और भगवान गणेश की कहानी

सभी देवताओं में ज्ञान, बुद्धि और खुशी के देवता माने जाने वाले भगवान गणेश के विवाह से एक दिलचस्प पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने भगवान गणेश के विवाह की बात की। लेकिन भगवान गणेश के अनोखे रूप के कारण कोई भी लड़की उनसे शादी करने को तैयार नहीं थी। इसी बीच उनके छोटे भाई भगवान कार्तिकेय का विवाह हो गया, जिससे भगवान गणेश की अपने विवाह को लेकर चिंता बढ़ गई।

भगवान ब्रह्मा ने दो युवतियों को दर्शन दिए, भगवान शिव और माता पार्वती ने सोचा कि उनके बेटे के लिए उपयुक्त पत्नियाँ ढूंढी जानी चाहिए, लेकिन उन्होंने यह भी सोचा कि कोई भी साधारण लड़की भगवान गणेश जैसे महान देवता के योग्य नहीं होगी। भगवान ब्रह्मा ने समस्या का समाधान किया। अपनी मानसिक शक्तियों से उन्होंने रिद्धि और सिद्धि नामक दो दिव्य युवतियों को उत्पन्न किया। रिद्धि धन और समृद्धि का प्रतीक है, जबकि सिद्धि सफलता और ज्ञान का प्रतीक है। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें भगवान गणेश को अर्पित कर दिया और दोनों का विवाह भगवान गणेश से हो गया।

रिद्धि और सिद्धि का महत्व

रिद्धि को धन, समृद्धि और खुशहाली की देवी माना जाता है। गणेश जी के साथ उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि जो गणेश जी की पूजा करता है उसे न केवल बुद्धि और ज्ञान मिलता है बल्कि जीवन में सुख और भौतिक सुख भी मिलते हैं।

सिद्धि को सफलता और मानसिक शांति की देवी माना जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है और किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

गणेश और रिद्धि-सिद्धि की शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए 

शुभ (रिद्धि से): शुभ को सौभाग्य और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। इससे पता चलता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल मिलते हैं।
लाभ (प्रत्यक्ष से): लाभ को लाभ और सफलता का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से हर क्षेत्र में लाभ और उन्नति मिलती है।

रिद्धि-सिद्धि का प्रतीकात्मक अर्थ

भगवान गणेश के साथ रिद्धि और सिद्धि की उपस्थिति यह दर्शाती है कि भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति को जीवन में समृद्धि (रिधि) और सफलता (सिद्धि) दोनों मिलती है। गणेश को “विघ्नकर्ता” और “संकटमोचक” के रूप में जाना जाता है। वह न केवल विघ्नों का नाश करते हैं बल्कि जीवन में सुख, शांति और प्रगति भी लाते हैं, इसलिए भगवान गणेश की यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो हमें ज्ञान, सफलता, धन और खुशी मिलती है, अर्थात रिद्धि और सिद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

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