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जानिए संविधान बनाने की अद्भुत कहानी!

Constitution of India History

-: Constitution of India History :-

यह कहानी है एक ऐसे दस्तावेज की जिसने भारत को बदल कर रख दिया एक ऐसी किताब जिसे लिखने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे एक ऐसी रचना जो दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है आज जब हम 76 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहे हैं आइए इस दस्तावेज की कहानी सुनते हैं जिसने हमें आजादी के बाद सही मायनों में आजादी दिलाई।

भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस के इस खास मौके पर हम आपको बताएंगे भारतीय संविधान की कहानी यह कहानी सिर्फ आंकड़ों और तथ्यों की नहीं बल्कि उन सपनों और संघर्षों की भी है जिसने एक बिखरे हुए देश को एकता के धागे में पिरोया तो चलिए शुरू करते हैं भारतीय संविधान का यह अद्भुत सफर दोस्तों जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तब यह आजादी अधूरी थी हमारे पास ना कोई दिशा थी और ना कोई नियम कानून थे देश को एकजुट करने के लिए कुछ ऐसा चाहिए था जो हर भती को साथ लेकर चले और यहीं से शुरू होती है।

भारतीय संविधान की कहानी 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तब यह आजादी एक बड़ी जिम्मेदारी भी साथ लाई बंटवारे के जख्म सांप्रदायिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता यह सब भारत के सामने बड़ी चुनौतियां बनकर खड़ी थी इस बिखरते हुए राष्ट्र को संभालने और एक नया भारत बनाने के लिए एक मजबूत संविधान की जरूरत थी 29 अगस्त 1947 को एक ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को सौंपी गई उनके कंधों पर भारत के भविष्य को आकार देने की जिम्मेदारी थी।

लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था इस समिति में कुल सात सदस्य थे जिन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यह सदस्य थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी, एन गोपाल स्वामी अयंगर, अल्लादी कृष्ण स्वामी अयर, सैयद मोहम्मद सादुल्ला, एन माधव राव और टी टी कृष्णमाचारी इन सात सदस्यों के अलावा कई अन्य लोगों ने संविधान सभा में योगदान दिया था ड्राफ्टिंग कमेटी के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी।

एक ऐसा संविधान बनाना जो देश की विविधता को स्वीकार करें भारत जैसे देश में जहां सैकड़ों भाषाएं धर्म और संस्कृतियों थी वहां हर किसी के अधिकारों को सुरक्षित करना बहुत ही मुश्किल कार्य था लेकिन यह जरूरी भी था इस काम में दो साल 11 महीने और 18 दिन लगे संविधान सभा ने 11 सत्रों में 166 दिन बहस की इसके हर अनुच्छेद और हर शब्द पर गहराई से चर्चा की गई डॉक्टर अंबेडकर का कहना था।

संविधान केवल एक किताब ही नहीं है यह भारत के हर नागरिक का अधिकार पत्र है इससे सभी को न्याय समानता और स्वतंत्रता का अधिकार मिलेगा क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान ने दुनिया के 60 देशों से प्रेरणा ली है भारतीय संविधान ने ब्रिटिश, अमेरिकी, आयरिश और कैनेडियन संविधान सहित 60 देशों से अपनी विशेषताएं ली हैं इसमें ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली अपनाई गई है जिसमें सरकार विधायिका द्वारा बनाई जाती है अमेरिका के बिल ऑफ राइट से समानता और स्वतंत्रता जैसे अधिकार लिए गए हैं।

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संविधान की प्रस्तावना के मुख्य आदर्श स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व फ्रांस से लिए गए हैं वहीं यूएसएसआर से पंचवर्षीय योजनाएं अपनाई गई इसके अलावा कनाडा के संघीय ढांचे को अपनाते हुए भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार अलग-अलग तय किए गए हैं और सबसे अनोखी बात भारतीय संविधान की मूल प्रति हाथ से लिखी गई थी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे खूबसूरत तरीके से लिखा और इसे शांति निकेतन के शिल्पकार ने सजाया वहीं नंदलाल बोस ने इसकी कलात्मकता का निर्देशन किया भारतीय संविधान को शुरू में अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित किया गया था।

आज यह 22 अन्य भाषाओं में भी लिखा हुआ है जो इसे दुनिया के सबसे विविध भाषाई दस्तावेजों में से एक बनाता है अब बात करते हैं भारतीय संविधान के कुछ रोचक तथ्यों की भारतीय संविधान दुनिया का सबसे से लंबा लिखित संविधान है जिसमें 448 अनुच्छेद 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था शुरुआत में संविधान में धर्म निरपेक्ष और समाजवादी शब्द नहीं थे 1976 में 22वें संशोधन के माध्यम से इन शब्दों को जोड़ा गया था डॉक्टर अंबेडकर का योगदान किसी जादूगर से कम नहीं था।

उन्होंने संविधान को ना केवल लिखा बल्कि यह सुनिश्चित किया कि यह हर भारतीय के अधिकारों को संरक्षित कर सक सके उन्होंने समानता सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता के आदर्शों को संविधान का केंद्र बनाया डॉक्टर अंबेडकर का सबसे बड़ा योगदान भारतीय समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों, दलित आदिवासी और पिछड़े वर्ग के नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करना था उन्होंने संविधान में समानता का अधिकार यानी राइट टू इक्वलिटी और अनटचेबिलिटी जैसे अनुच्छेदों को शामिल करवाया अंबेडकर ने संविधान में मौलिक अधिकारों यानी कि फंडामेंटल राइट्स को बहुत महत्व दिया था।

उनके प्रयासों से मौलिक अधिकारों को संविधान का अभिन्न हिस्सा बनाया गया जिसमें समानता का अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक उपचार का अधिकार शामिल है यह अधिकार भारत को एक समाजवादी और लोकतांत्रिक समाज बनाने की नीव है डॉक्टर अंबेडकर ने भारत को एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाने की वकालत की थी उन्होंने संविधान में यह सुनिश्चित किया कि राज्य का कोई धर्म नहीं होगा और हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की आजादी होगी।

डॉक्टर अंबेडकर ने समाज में आर्थिक समानता लाने पर भी जोर दिया उन्होंने आरक्षण का प्रावधान करवाया ताकि शैक्षणिक और सरकारी सेवाओं में वंचित वर्गों को बराबरी का मौका मिल सके आज भारतीय संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है यह हमारी राष्ट्रीय एकता लोकतंत्र और न्याय का प्रतीक है यह हमें सिखाता है कि हर भारतीय बराबर है और हमारे अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हैं।

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