सिंधी नववर्ष का पावन पर्व और झूलेलाल जी की जयंती का ऐतिहासिक महत्व

-: Cheti Chand 2025 :-

चेती चंड सिंधी समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे उनके नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह दिन संत झूलेलाल जी की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। झूलेलाल सिंधी समुदाय के पूजनीय संत हैं, जिन्हें जल देवता का अवतार माना जाता है।

चेती चंड का महत्व:

  • चेती चंड चैत्र मास की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।

  • यह हिंदू पंचांग के अनुसार नववर्ष का शुभारंभ होता है।

  • इस दिन को जल के देवता की पूजा का विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि झूलेलाल जी को जल देवता का रूप माना जाता है।

  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

झूलेलाल जी की कथा:

  • कहा जाता है कि सिंध (अब पाकिस्तान में) में मिर्क शाह नामक एक क्रूर शासक हुआ करता था, जो जबरन धर्म परिवर्तन कराता था।

  • सिंधी लोगों ने भगवान से प्रार्थना की और वरुण देवता (जल देवता) ने उन्हें झूलेलाल जी के रूप में अवतार देने का आश्वासन दिया।

  • झूलेलाल का जन्म हुआ और बड़े होकर उन्होंने मिर्क शाह को अहिंसा और प्रेम का मार्ग अपनाने की शिक्षा दी।

  • मिर्क शाह ने उनकी शक्ति और चमत्कार को देखकर धर्म परिवर्तन का आदेश वापस ले लिया।

  • तब से सिंधी समुदाय ने झूलेलाल जी को अपना आराध्य देव मानकर उनकी पूजा शुरू की।

उत्सव और परंपराएँ:

  • इस दिन सिंधी समुदाय द्वारा झूलेलाल जी की झांकी निकाली जाती है।

  • लोग जल में अख्खा (चावल) अर्पित करते हैं।

  • “चेटी चंड जू झूलेलाल” के जयकारे लगाए जाते हैं।

  • मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

  • सिंधी लोग इस दिन को नए साल की शुरुआत मानकर व्यापार और जीवन के नए संकल्प लेते हैं।

आधुनिक समय में चेती चंड:

  • आज भी भारत और विदेशों में बसे सिंधी समुदाय के लोग चेती चंड को धूमधाम से मनाते हैं।

  • इस दिन को सिंधी एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

  • सिंधी समाज में इसे उम्मीद और सद्भावना का प्रतीक माना जाता है।

चेती चंड के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू

1. धार्मिक मान्यता:

  • चेती चंड पर सिंधी समुदाय द्वारा वरुण देवता और संत झूलेलाल जी की पूजा की जाती है।

  • यह दिन जल के महत्व को दर्शाता है, क्योंकि झूलेलाल जी को जल का देवता माना जाता है।

  • इस दिन विशेष रूप से जल में अख्खा (चावल) और मीठा प्रसाद चढ़ाया जाता है।

2. प्रमुख अनुष्ठान और पूजा विधि:

  • इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं।

  • घर और मंदिरों में झूलेलाल जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है।

  • विशेष भजन-कीर्तन और झांकी निकाली जाती है।

  • जल में अख्खा चढ़ाने की परंपरा को लोग विशेष रूप से निभाते हैं।

  • कई स्थानों पर सिंधी समाज की शोभायात्रा निकाली जाती है।

3. भोग और प्रसाद:

  • चेती चंड पर खासतौर से ताहिरी (मीठा चावल) और प्रसाद बनाया जाता है।

  • भक्तगण मंदिर में जाकर प्रसाद का वितरण करते हैं।

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  • कुछ लोग घर पर विशेष पकवान बनाकर इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।

4. लोकगीत और नृत्य:

  • चेती चंड पर विशेष सिंधी भजन और लोकगीत गाए जाते हैं।

  • झूलेलाल जी के जयकारे लगाए जाते हैं, जैसे:

    • “झूलेलाल बेड़ा पार!”

    • “चेटी चंड जू झूलेलाल!”

  • सिंधी समाज में धमाल नृत्य भी किया जाता है।

5. चेती चंड का सामाजिक संदेश:

  • यह पर्व धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रतीक है।

  • झूलेलाल जी के जीवन से प्रेरणा लेकर लोग परोपकार और सद्भावना का पालन करते हैं।

  • इस दिन समाज में जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा का भी संदेश दिया जाता है।

चेती चंड पर रोचक तथ्य

1. झूलेलाल जी का दूसरा नाम:

  • झूलेलाल जी को सिंधी समाज में ‘उडेरो लाल’ और ‘वरुण देवता’ के नाम से भी पूजा जाता है।

  • उन्हें जल देवता का अवतार माना जाता है, जो लोगों की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे।

2. चेती चंड का अर्थ:

  • “चेती” का अर्थ है चैत्र माह, जबकि “चंड” का मतलब है चंद्रमा

  • यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया (दूसरे दिन) को मनाया जाता है, इसलिए इसे चेती चंड कहा जाता है।

3. धार्मिक जल यात्रा:

  • चेती चंड के दिन सिंधी समुदाय के लोग जल यात्रा निकालते हैं।

  • वे पानी के स्रोत (नदी, तालाब या समुद्र) में जाकर पूजा करते हैं और जल में अख्खा (चावल) चढ़ाते हैं।

  • यह जल संरक्षण और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

4. सिंधी समाज का नववर्ष:

  • चेती चंड को सिंधी नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

  • इस दिन लोग पुराने वर्ष को विदा करके नए साल का स्वागत करते हैं।

  • घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नववर्ष का शुभारंभ किया जाता है।

5. सिंधी समाज में एकता का प्रतीक:

  • चेती चंड पर सिंधी समाज के लोग जाति, धर्म और वर्ग भेद को भूलकर एकजुट होकर पर्व मनाते हैं।

  • इस दिन सामूहिक भोज और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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