दिन में 1 बार दर्शन देकर समुद्र के अंदर गायब हो जाता है यह मंदिर! जने क्या है इसके पीछे का राज़

-: Mystery Of Shree Stambheshwar Mahadev Temple :-

भारत में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जो अपने अंदर अनेकों रहस्यों को समेटे बैठे हैं इन मंदिरों की कहानी इतनी आश्चर्य चकित करने वाली है जिनका असल जिंदगी में कल्पना करना बहुत मुश्किल होता है भारत मंदिरों का देश है और इसमें ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनका सच शायद ही आज तक कोई पता कर पाया हो इन अनोखे मंदिरों की साज सज्जा उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं और मूर्तियों की बनावट भक्तों को आश्चर्य चकित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं अभी तक आपने कई प्राचीन मंदिरों और उनसे जुड़े किस्से सुने होंगे कुछ मंदिर प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण प्रसिद्ध होते हैं तो वहीं कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं इसी तरह भारत में शिव का एक ऐसा मंदिर है जहां रोजाना एक दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है।

गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर गुजरात में घूमने के लिए अविश्वसनीय स्थानों में से एक है माना जाता है कि जो भी भक्त यहां पर सच्चे दिल से अपनी कोई इच्छा लेकर आता है उसकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है इसके अलावा उसके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है गुजरात के भरूच में भगवान शिव को समर्पित श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर मौजूद है।

यह मंदिर दिन में केवल दो बार ही दिखाई देता है बाकी समय यह पानी से ढका रहता है अब आप के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पत्थरों से बना यह मंदिर दिन में में दो बार कहां गायब हो जाता है क्या इसके पीछे कोई श्राप छुपा हुआ है या फिर कोई इस मंदिर में ऐसी घटना घटित हुई है जिसके चलते यह मंदिर अदृश्य हो जाता है।

भारत के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 125 किलोमीटर दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है प्राचीन सोमनाथ मंदिर से यह करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है ऐसे में अगर आप सोमनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो स्तंभेश्वर महादेव मंदिर आपको अवश्य जाना चाहिए क्योंकि यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र माना जाता है।

यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है इस मंदिर की महिमा देखने के लिए आपको यहां सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ेगा मंदिर अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए हैं कुछ रहस्य तो ऐसे हैं जिनको सुनने के बाद व्यक्ति उन पर विश्वास भी नहीं कर सकता तो चलिए सबसे पहले इस मंदिर के निर्माण से से जुड़े हुए रहस्य के बारे में बात करते हैं जिसका जिक्र हमारे धार्मिक ग्रंथ स्कंद पुराण में मिलता है।

स्कंद पुराण के अनुसार इस मंदिर के शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान कार्तिकेयन ने की थी जो भगवान शिव के पुत्र हैं कथा के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था जो ब्रह्मा जी की तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त कर उत्पाद मचाया करता था इस तरह एक बार तारकासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया और उनसे वरदान मांगा कि केवल शिव का पुत्र ही उसे मार सकेगा और वह भी सिर्फ छह दिन की आयु में तब भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह नहीं हुआ था।

इसलिए तारकासुर ने भगवान शिव से यह वरदान मांगा था भगवान शिव तारकासुर की तपस्या से काफी प्रसन्न हो गए थे इसलिए उन्होंने तारकासुर को वरदान दे दिया भगवान शिव से वरदान लेने के बाद तारकासुर ने अपना राक्षसी रूप दिखाना शुरू कर दिया और उसने पूरी पृथ्वी पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी तारकासुर के द्वारा मचाए गए उत्पाद से परेशान हो गए थे इसलिए वे ब्रह्मा जी के पास मदद के लिए गए लेकिन उन्होंने देवताओं की कोई मदद नहीं कि उन्होंने इतना ही बताया कि तारकासुर का वध केवल शिव के पुत्र के हाथों से ही हो सकता है।

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अब समस्या यह थी कि वैरागी भगवान शिव को ग्रस्त कैसे बनाया जाए ताकि उनका माता पार्वती से विवाह हो सके और शिव पुत्र जन्म ले इस के लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने के लिए कामदेव की सहायता ली कामदेव ने देवताओं के कहे अनुसार भगवान शिव के ध्यान को भंग करने के लिए उनके मन में प्रेम राग जगाने का प्रयास किया लेकिन इस बीच भगवान शिव की तीसरी आंख खुल गई और कामदेव उसकी अग्नि से भस्म हो गए।

इसके बाद भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ फिर दोनों के मिलने से कुमार कार्तिकेय का जन्म हुआ इसके बाद भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया तारकासुर भगवान शिव का भक्त था राक्षस को मारने पर भगवान कार्तिकेय को अपने पिता के भक्त की हत्या का पाप लगा लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें यह कहकर सांत्वना दी कि उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए एक असुर का वध किया है।

इस वजह से उनके ऊपर कोई भी पाप नहीं लगा है लेकिन कार्तिकेय ने इसके बाद भी फैसला लिया कि वह अपने द्वारा किए गए पाप का पश्चाताप करेंगे सबसे पहले कार्तिकेय भगवान ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और उनसे इस किए गए पाप से छुटकारा पाने के बारे में विचार विमर्श करते हैं लेकिन ब्रह्मा जी उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहते हैं इसके बाद कार्तिकेय भगवान विष्णु के पास जाते हैं और इस बार कार्तिकेय की सच्ची भावनाओं को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक शिवलिंग स्थापित करने और क्षमा प्रार्थना करने की सलाह दी।

इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें इस जगह पर एक शिवलिंग स्थापित करने का उपाय सुझाया था कार्तिकेय ने शिवलिंग बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा और उन्हें तीन दिव्य शिवलिंग बनाने का आदेश दिया बाद में कार्तिकेय ने इन शिवलिंग को तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किया और उचित विधि विधान से उनकी पूजा की और इन तीन पवित्र स्थानों को प्रतिज्ञा शवर, कपालेश्वर और कुमारेश्वर के नाम से जाना जाने लगा कार्तिकेय ने कपालेश्वर में पूजा करते समय शिवलिंग पर पवित्र जल छिड़का और प्रार्थना की ताकि तारकासुर की आत्मा को शांति मिले।

उन्होंने भगवान कपालेश्वर को तिल के बीज भी अर्पित किए और प्रार्थना की तिल के रूप में किया गया मेरा प्रसाद ऋषि कश्यप के वंशज तारक तक पहुंचे इस तरह कार्तिकेय अपने पापों से मुक्त हो गए और इस तरह से इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना हुई थी जिससे बाद में इस जगह को स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर ही क्यों पड़ा।

दरस असल इस मंदिर की वास्तुकला बहुत सरल है और इसे जमीन से थोड़े ऊपर स्तंभों पर बनाया गया है यह मंदिर मुख्य रूप से स्तंभों पर टिका हुआ है इसलिए इसे स्तंभेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह मंदिर रोजाना समुद्र में डूब जाता है और फिर वापस आकर अपने किए की माफी भी मांगता है मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है।

कुछ लोग इसको   चमत्कार मानते हैं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर गुजरात में अरब सागर और कैंबे की खाड़ी के तट के बीच स्थित है हर दिन यह शिव मंदिर उच्च ज्वार के दौरान पानी में डूब जाता है और ज्वार का स्तर कम होने पर फिर से प्रकट हो जाता है मंदिर संपूर्ण रूप से पानी के अंदर डूब जाता है।

केवल इसकी ऊपरी छोटी ही आपको तैरती हुई दिखाई देती है ऐसी नेचुरल एक्टिविटी सदियों से होती आ रही है ज्वार के समय उठने वाली पानी की लहरें मंदिर में महादेव की शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं यह घटना हर रोज सुबह और शाम में होती है लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि आज इतने सालों से लगातार पानी में डूबने के बावजूद भी इस मंदिर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है।

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