नया घर बनवाते समय रखें इन बातों का ध्यान, बनी रहेगी सुख-शांति

-: Vastu Tips for home :-

नया घर बनवाते समय वास्तुशास्त्र का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वास्तु शास्त्र न केवल घर के आकार और दिशा को ध्यान में रखता है बल्कि घर में रहने वाले लोगों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। चीजों को सही दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर हम वास्तु का पालन नहीं करते हैं तो हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। आइए हम आपके साथ साझा करते हैं आपके नए घर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स, जो आपके जीवन में शांति बनाए रखेंगे।

फाटक

मुख्य द्वार घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। वास्तु के अनुसार नए घर का मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम की ओर होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में मुख्य द्वार रखने से घर में समृद्धि, शांति और खुशहाली बनी रहती है। ध्यान रखें कि मुख्य द्वार लकड़ी का बना होना चाहिए।

रसोई घर

वास्तु के अनुसार नए घर की रसोई का दक्षिण-पूर्व दिशा यानी दक्षिण-पूर्व कोने में होना बहुत जरूरी है। खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चूल्हा, चूल्हा, बर्नर या ओवन पूर्व दिशा में ही होना चाहिए।

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रसोईघर में पीने का पानी, नल और वॉशबेसिन उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। रेफ्रिजरेटर को पश्चिम दिशा में ही रखें। बहुत सावधान रहें कि रसोई का दरवाज़ा सीधे भोजन तैयार करने वाली इकाई के पीछे न हो।

फाटक

मुख्य द्वार घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। वास्तु के अनुसार नए घर का मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम की ओर होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में मुख्य द्वार रखने से घर में समृद्धि, शांति और खुशहाली बनी रहती है। ध्यान रखें कि मुख्य द्वार लकड़ी का बना होना चाहिए।

रसोई घर

वास्तु के अनुसार नए घर की रसोई का दक्षिण-पूर्व दिशा यानी दक्षिण-पूर्व कोने में होना बहुत जरूरी है। खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चूल्हा, चूल्हा, बर्नर या ओवन पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। रसोईघर में पीने का पानी, नल और वॉशबेसिन उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। रेफ्रिजरेटर को पश्चिम दिशा में ही रखें। बहुत सावधान रहें कि रसोई का दरवाज़ा सीधे भोजन तैयार करने वाली इकाई के पीछे न हो।

पूजा घर

पूजा घर सही दिशा में रखने से भगवान प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए। पूजा कक्ष में पेंट का रंग हल्का पीला, नारंगी या नीला रखें और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसके आस-पास या ऊपर कोई शौचालय या स्नानघर न हो।

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