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पत्थरों में छुपी 5 सबसे रहस्यमई जगहें

5 Most Mysterious Places Hidden in S

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आज हम बात करने वाले हैं पत्थरों से बनी पांच सबसे रहस्यमई जगहों के बारे में। हमारी इस दुनिया में बहुत सी ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में रहस्य छुपाए हुए हैं, लेकिन जब यह रहस्य पत्थरों में छिप जाए तो वह और भी ज्यादा हैरान कर देने वाले हो जाते हैं। दुनिया में सिर्फ चीजों, मंदिरों और पुरानी कहानियों में ही रहस्य नहीं छिपा होता। पत्थरों में भी एक ऐसा राज दबा होता है जिसे अगर आप जान लें तो शायद आप अपनी आंखों पर यकीन ना कर पाएं।

इनमें से कुछ अरमुरू पेरू कहा जाता है कि यह एक दूसरी दुनिया का दरवाजा है। एक पुजारी इसमें गया और कभी लौट कर नहीं आया और दूसरा नागाकेव थाईलैंड मान्यता है। भगवान ने एक विशाल सांप को शाप दिया और वह पत्थर बन गया। कहते हैं अगर माफी मिल जाए तो वह फिर जिंदा हो उठेगा। और तीसरा पिएड्रा मोवेदिज़ा अर्जेंटीना। यह पत्थर अपने आप हिलता था। फिर एक दिन गिर पड़ा। अब वहां सिर्फ उसकी मूर्ति बनाया गया है।

अरामुरू, पेरू

दक्षिण अमेरिका के पेरू देश में एंडीज पर्वतों के बीच बसी है एक बेहद रहस्यमई जगह अरामुरू इसे स्थानीय लोग देवताओं का द्वार कहते हैं और यह पेरू के हाईमारका नामक इलाके में स्थित है जो प्रसिद्ध टाइटिका का झील के पास है। यह कोई आम द्वार नहीं है बल्कि एक एकल विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका आकार लगभग 23 फीट ऊंचाई और 20 फीट चौड़ाई का है और देखने में यह ऐसा लगता है मानो कहीं दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता हो।

खास बात यह है कि यह दरवाजा कहीं खुलता नहीं। इसके पीछे कोई कमरा या सुरंग नहीं है। बस एक रहस्यमई द्वारनुमा संरचना जो हजारों वर्षों से वैसी ही बनी हुई है। स्थानीय किन्वदंतियों के अनुसार अरामू मुरू एक प्राचीन पुजारी था जिसे देवताओं ने एक स्वर्ण चाबी दी थी। मान्यता है कि उसने इसी चाबी से द्वार खोला और वह हमेशा के लिए किसी दूसरी दुनिया में चला गया और फिर कभी वापस नहीं आया।

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लोगों का कहना है कि जब वे इस द्वार को छूते हैं तो अजीब ऊर्जा महसूस होती है। कुछ पर्यटकों ने वहां अलग-अलग आकृतियां और चमकदार रोशनी देखने का दावा भी किया है। कुछ का तो यह भी मानना है कि यह द्वार इंसानों ने नहीं बल्कि एलियंस द्वारा बनाया गया है और यह दूसरी दुनिया में जाने वाला पोर्टल हो सकता है और आज के समय में यह जगह दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ खींच रही है।

हर साल हजारों पर्यटक यहां घूमने आते हैं और सोशल मीडिया पर अजीब-अजीब तस्वीरें और वीडियो सांझा करते रहते हैं। तो क्या यह एक प्राचीन पोर्टल है या एलियंस का बनाया हुआ कोई विज्ञान से परे राज इसका सच आज भी किसी के पास नहीं है। लेकिन यह रहस्य आज भी लोगों को अपनी ओर खींच रहा है।

नागाकेव, थाईलैंड

थाईलैंड की घनी हरियाली के बीच बसी एक पहाड़ी पर एक ऐसा पत्थर मौजूद है जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं क्योंकि वह पत्थर नहीं। बल्कि लगता है जैसे कोई विशाल नाग अपनी पूंछ घसीटता हुआ अभी-अभी बाहर निकल रहा हो। हम बात कर रहे हैं नागा गुफा की जो थाईलैंड के उत्तर पूर्व में स्थित बूंगकर्ण नामक प्रांत में फूलांग का नेशनल पार्क के भीतर बसी है। यहां मौजूद सैकड़ों मीटर लंबा एक विशाल पत्थर जो पूरी तरह से किसी नाग के शरीर जैसा दिखता है।

उसकी त्वचा पर नाग जैसी स्केल्स, कमान जैसी मुड़ी हुई रीड और सिर का आकार ऐसा जैसे एक विशाल कोबरा फन फैलाकर बैठा हो। यहां की सबसे रहस्यमई बात यह है कि यह पत्थर केवल एक जगह पर नहीं बल्कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई नाग सच में हजारों साल पहले जमीन पर चलता हुआ एक लहराती लकीर छोड़ गया हो और फिर अचानक वो पूरा शरीर पत्थर में बदल गया हो। इस जगह पर कम से कम 8 से 10 बड़े पत्थर ऐसे हैं जो पूरी तरह से किसी ना किसी सांप के अंग जैसे दिखते हैं।

कहीं उसका सिर, कहीं उसका उठता फन, कहीं लहराता शरीर और कहीं उसकी पूंछ। लोक कथा कहती है कि हजारों साल पहले इस जगह पर नागों का एक पूरा कुल बसता था। लेकिन एक शाम उनके राजा ने भगवान की मर्जी के खिलाफ जाकर शराब का सेवन कर लिया। भगवान ने क्रोध में आकर पूरा नाग कुल शापित कर दिया और उसी क्षण वह सब जीवित नाग पत्थरों में बदल गए। लोग मानते हैं अगर भगवान उन्हें क्षमा कर दें तो यह पत्थर दोबारा जिंदा सांप बन सकते हैं।

आज भी वहां के लोग इन पत्थरों को पूजते हैं। उन्हें पवित्र मानते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि इन पत्थरों में आज भी चेतना है। जैसे कोई दिव्य ऊर्जा इन्हें जीवित बनाए हुए है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पत्थर इतने साफ और सटीक आकार में है कि वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। यह कोई साधारण चट्टान नहीं लगती बल्कि हर कोण से देखने पर एक जीवित नाग का आभास देती है। लेकिन सवाल अब भी वही है क्या यह सिर्फ प्राकृतिक आकृति है या फिर वाकई किसी अद्भुत रहस्य का हिस्सा।

पिएड्रा मोवेदिज़ा, अर्जेंटीना

दुनिया में हजारों चट्टानें हैं। लेकिन पीड्रा मूवजा सिर्फ एक है। एक ऐसी चट्टान जो अपने आप हिलती थी बिना किसी धक्का बिना किसी मशीन के। अर्जेंटीना के टैंडल शहर में एक पहाड़ी के किनारे पर खड़ी थी यह रहस्यमई चट्टान। इसका नाम ही है पीड्रामोवेडीजा यानी हिलती हुई चट्टान। अब आप सोचेंगे क्या कोई पत्थर सच में हिलता है? जी हां, यह चट्टान सच में हिलती थी और वह भी इतनी भारी थी कि उसका वजन करीब 300 टन था। चौंकाने वाली बात यह थी कि यह चट्टान एक बहुत पतले किनारे पर टिकी थी।

जैसे जरा सी हवा से गिर जाएगी। लेकिन वह सैकड़ों सालों तक वहीं टिकी रही और धीरे-धीरे अपने आप हिलती रहती थी। लोगों का मानना था कि इसमें कोई अलौकिक शक्ति है। कुछ कहते थे कि इसके नीचे कोई धरती के अंदर की रहस्यमई ऊर्जा बह रही है तो कुछ इसे भूतियां चट्टान कहते थे जो इंसानों के पास आने पर शांत हो जाती थी। लेकिन अकेले में फिर से हिलती थी। लेकिन इस कहानी का सबसे रहस्यमय मोड़ आया 29 फरवरी 1912 को।

उस दिन बिना कोई तूफान, भूकंप या हलचल के यह चट्टान अचानक पहाड़ी से नीचे गिर गई और टुकड़ों में बिखर गई। कोई नहीं समझ पाया कि यह कैसे हुआ। कुछ लोगों ने कहा कि आसपास की खुदाई या कंपन ने इसे असंतुलित कर दिया। लेकिन बहुतों का मानना है कि जिस रहस्य से यह चट्टान जिंदा लगती थी, वह शक्ति उस दिन खत्म हो गई। आज भी उसी जगह पर एक कृत्रिम कॉपी रखी गई है।

लेकिन वह ना हिलती है ना जादू दिखाती है। सिर्फ असली पत्थर की याद दिलाती है। एक ऐसी चट्टान जो खुद चलती थी और फिर बिना वजह गिर भी पड़ी। लेकिन सवाल आज भी कायम है। क्या पिएड्रा मोवेदिज़ा सच में सिर्फ एक चट्टान थी या फिर कोई जीवित रहस्य जो अब भी उस पहाड़ी में कहीं छिपा बैठा है।

रॉकसन चर्चेस लालीबिला इथियोपिया

कभी सुना है एक ऐसा शहर जो जमीन के नीचे बसा है? वह भी पत्थर में काटकर एक दो नहीं पूरे 11 चर्च ना ईंट ना लकड़ी ना सीमेंट सिर्फ पत्थर यह कहानी है लालीबेला की इथियोपिया की एक छोटी सी जगह लेकिन वहां छुपा है एक इतना बड़ा रहस्य जिसे देखकर आज तक दुनिया के सबसे बड़े इंजीनियर भी सोच में पड़ जाते हैं। यहां के रॉक हन चर्चेस यानी पत्थर में काटकर बनाए गए चर्च इतने सटीक और गहराई से बनाए गए हैं कि लगता है जैसे किसी मशीन ने उन्हें काटा हो।

लेकिन हकीकत यह है कि यह चर्च 12वीं सदी में बनाए गए और वह भी ऊपर से नीचे की तरफ पत्थर काट कर। इन चर्चों को ना किसी पत्थर पर खड़ा किया गया है बल्कि सीधे जमीन के अंदर से बाहर निकाला गया है। जैसे किसी ने जमीन को तराश कर उसमें से मंदिर निकाल दिया हो। हर दीवार, हर खिड़की, हर दरवाजा एक ही चट्टान का हिस्सा है। ना कोई जोड़, ना कोई टुकड़ा, ना कोई सपोर्ट, बस पत्थर और उसमें खुदा हुआ पूरा चर्च।

अब सवाल उठता है क्या उस वक्त के लोगों के पास ऐसी तकनीक थी? क्या वह इंसान ही थे जिन्होंने इसे बनाया था या फिर वाकई में कुछ और था कोई और शक्ति? कहा जाता है कि राजा लालीबेला को यह सपना आया था कि जेरूसलम को दोबारा धरती पर बसाना है। और फिर उन्होंने फरिश्तों की मदद से एक रात में इन चर्चों को बनवाया। जी हां, एक रात में। कुछ लोग इसे केवल कहानी मानते हैं।

लेकिन जो इन चर्चों को अपनी आंखों से देख लेता है, वह जानता है यहां कुछ तो है जो इंसानी समझ से बाहर है। आज भी यह चर्च ना सिर्फ धार्मिक स्थल है बल्कि एक जिंदा रहस्य है जो हर साल लाखों लोगों को अपनी तरफ खींचते हैं। लेकिन यह रहस्य आज भी वहीं खड़ा है कि कौन थे वो लोग जिन्होंने इन पत्थरों को सिर्फ औजारों से नहीं बल्कि कला, ज्ञान और शायद किसी अदृश्य शक्ति से तराशा।

चांद बाबड़ी, इंडिया

राजस्थान की गर्म सूखी जमीन के नीचे एक ऐसा रहस्य छिपा है जो देखने में जितना सुंदर है अंदर से उतना ही डरावना हम बात कर रहे हैं चांद बावड़ी की यह कोई साधारण कुआं नहीं है यह एक 13 मंजिल गहरा गहना है जो हर तरफ से सैकड़ों सीढ़ियों से घिरा हुआ है और वह भी ऐसी सटीकता से जैसे किसी गणितज्ञ ने ब्रह्मांड का फार्मूला तराश दिया हो। इस बावड़ी में कुल मिलाकर 3500 से भी ज्यादा सीढ़ियां हैं।

हर सीढ़ी इतनी सटीक और एक जैसी है कि अगर आप ऊपर से नीचे देखें तो लगता है जैसे आप किसी आयाम में गिर रहे हो जैसे समय में उतर रहे हो। इसका निर्माण हुआ था लगभग नौवीं सदी में राजा चंद्र के शासनकाल में। पर जो चीज इसे रहस्यमई बनाती है वह है इतनी परफेक्ट बनावट जो आज की तकनीक से भी दोहराना लगभग नामुमकिन है। इतनी गर्म जगह पर इस बावड़ी की तलहटी हमेशा ठंडी रहती है।

यहां नीचे जाने पर तापमान ऊपर से लगभग 5 से 6 डिग्री कम हो जाता है। लेकिन सवाल यह है उस द्वार में लोगों को इतनी गहराई और तकनीक का ज्ञान कैसे था? कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यह कोई साधारण जल संग्रह नहीं बल्कि एक शक्तिशाली यंत्र था जो ऊर्जा को संचित करता था या फिर पाताल की ओर खुलने वाला एक द्वार। कुछ स्थानीय लोग आज भी मानते हैं कि रात के समय इस बावड़ी में उतरना मना है।

क्योंकि यहां की गहराई में कुछ ऐसा है जो इंसानों को बुला लेता है और फिर लौटने नहीं देता। इसके चारों ओर बना मंदिर और खंभों की नक्काशी बताती है कि यह स्थान केवल पानी का स्रोत नहीं बल्कि एक ऊर्जा केंद्र था। शायद कोई गुप्त विज्ञान जो अब खो गया है। क्या चांद बावड़ी सिर्फ एक स्थापत्य चमत्कार है या फिर यह एक गुप्त संदेश है जो भविष्य की किसी सभ्यता को पढ़ने के लिए छोड़ा गया था।

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